जल संसाधन, सिंचाई एवं बहुउद्देशीय परियोजनाएं

जल संसाधन, सिंचाई एवं बहुउद्देशीय परियोजनाएं

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जल संसाधन, सिंचाई एवं बहुउद्देशीय परियोजनाएं

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

‘‘जल ही जीवन हैं।’’ जीवन की उत्पत्ति ही जल में हुर्इ है। हर जीवन के सृजन में जल का विशेष योगदान है। है। जल प्रकृति का ऐसा उपहार है, जिसका कोर्इ दूसरा विकल्प नहीं है। जल का विविध उपयोग है और जल विकास की धुरी भी है। भारत में पेय जल उपलब्धता तथा उपयुक्तता की दृष्टि से सीमित है। जल का वितरण तो बहुत ही असमान है, कहीं उसकी अधिकता है तो कहीं - उसकी भारी कमी मिलती है। जल की गुणवत्ता में भी दिनों-दिन गिरावट आती जा रही है। यह अपने-आप में बड़ी चिन्ता का विषय है। जल की मांग और आपूर्ति में समन्वय के साथ-साथ जल संसाधनों के स्रोतों के बीच ताल-मेल अनिवार्य है। अत: जल संसधनो का संरक्षण आवश्यक है।

 

समान्य परिचय (General Introduction)

  • जल एक चक्रीय संसाधन है जो पृथ्वी पर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
  • पृथ्वी का लगभग 70% धरातल पानी से आच्छादित है परन्तु अलवणीय जल, कुल जल का केवल लगभग 3% ही है।
  • जल के दो प्रमुख स्त्रोत है -
  1. धरातलीय जल
  2. भूमिगत जल

 

धरातलीय जल संसाधन (Surface water Resources)

  • धरातलीय जल संसाधन के चार मुख्य स्त्रोत है - नदियां, झीलें, तलैया और तालाब इत्यादि है।
  • मैदानी नदियां सिंचार्इ, पेयजल के लिये विशेष रूप से उपयोगी है।
  • हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों तथा प्रायद्वीपीय पठार से प्रवाहित होने वाली नदियां विशेष रूप से जलविद्युत उत्पादन के लिये महत्वपूर्ण है। इन नदियों पर विभिन्न बहुउद्देशीय परियोजनाएं चलार्इ जा रही है।

 

भूमिगत जल संसाधन (Ground Water Resources)

  • ‘भूमिगत जल’ से अभिप्राय है वह पानी जो चट्टानों और मिट्टी के माध्यम से रिसकर धरातल की निचली सतहों में भंडारित होता रहता है। जिन चट्टानों में यह जल संग्रहीत होता है, उन्हें ‘जलीय चट्टानी परत’ कहते है।
  • देश मे कुल पुन:पूर्ति योग्य भौम जल संसाधन लगभग 432 घन किमी. है। कुल पुन: पूर्ति योग्य भौम जल संसाधन का लगभग 46% गंगा और ब्रह्मपुत्र बेसिनों में पाया जाता है।

 

सिंचार्इ के साधन (Sources of Irrigation)

  • भारत में सिंचार्इ के निम्न प्रमुख साधन है -

 

सिंचार्इ के साधन

कुल सिंचित क्षेत्र

‘कुएं एवं नलकूपों द्वारा

62%

नहरों द्वारा

24%

तालाबों द्वारा

3%

अन्य द्वारा

11%

 

कुआं एवं नलकूप सिंचार्इ (Well and Tubewell Irrigation)

  • देश की कुल सिंचित भूमि के 62 प्रतिशत भाग की सिंचार्इ कुओं एवं नलकूपों से होती है। वर्तमान में ये भारत में सिंचार्इ के सर्वप्रमुख साधन हैं।
  • मध्य प्रदेश, हरियाणा, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश में ये सिंचार्इ के प्रमुख साधन हैं।
  • दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश एवं कर्नाटक राज्यों में भी कुओं एवं नलकूपों की सहायता से सिंचार्इ की जाती है।
  • नलकूपों की सर्वाधिक संख्या उत्तर प्रदेश में है।

 

नहर सिंचार्इ (Canal Irrigation)

  • यह भारत में सिंचार्इ का दूसरा प्रमुख साधन है, जिसके द्वारा 24 प्रतिशत भू-भाग पर सिंचार्इ होती है।
  • उत्तरी भारत में कोमल जलोढ़ मृदा का विस्तार होने के कारण यहां नहरों द्वारा सिंचार्इ अधिक होती है।
  • दक्षिण भारत में कठोर चट्टानी संरचना की स्थिति होने के कारण नहर निर्माण की प्रक्रिया अत्यंत जटिल होने से इसका विकास सीमित क्षेत्रों में (नदियों के डेल्टार्इ क्षेत्रों में) ही हो पाया है।
  • उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, बिहार आदि राज्यों में नहर सिंचार्इ का प्रमुख माधयम है।
  • नहरों द्वारा देश के कुल सिंचित क्षेत्र का सर्वाधिक विस्तार उत्तर प्रदेश में है।

 

तालाब सिंचार्इ (Pond Irrigation)

  • कुएं-नलकूप व नहरी सिंचार्इ के पश्चात् भारत में सिंचार्इ का तीसरा प्रमुख साधन तालाब है
  • देश की कुल सिंचित भूमि के लगभग 3% भाग की सिंचार्इ तालाबों के द्वारा होती है।
  • तालाबों द्वारा सर्वाधिक सिंचार्इ प्रायद्वीपीय भारत के तमिलनाड़, कर्नाटक, तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश राज्यों में की जाती है।
  • उत्तरी भारत के बिहार, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में भी तालाबों द्वारा सिंचार्इ की जाती है।
  • भारत में तालाबों द्वारा सर्वाधिक सिंचार्इ तमिलनाडु में होती है।

 

बहउद्देशीय परियोजनाएं (Multipurpose Projects)

  • जलीय स्त्रोतो पर अनेक उद्देश्यों की पूर्ति (जैसे सिंचार्इ का प्रबंध, जलविद्युत उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण, पेयजल आपूर्ति, नौकायन, मत्स्य पालन, वन्यजीव संरक्षण, मृदा संरक्षण, पर्यटन) हेतु बहुउद्देशीय परियोजनाओं की शुरूआत की गयी है।
  • जवाहरलाल नेहरू गर्व से बांधों को ‘‘आधुनिक भारत के मंदिर’’ कहा करते थे, उनका मानना था कि इन परियोजनाओं के चलते कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था, औद्योगिक विकास और नगरीय अर्थव्यवस्था समन्वित रूप.से विकास करेगी।

 

भारत की कुछ प्रमुख बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएं

दामोदर घाटी परियोजना

  • यह स्वतंत्र भारत की पहली बहुउद्देशीय परियोजना थी, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के ‘टेनेसी नंदी घाटी परियोजना’ पर आधारित है।
  • दमोदर घाटी निगम की स्थापना दमोदर घाटी निगम अधिनियम 1948 की धारा-12 के तहत वर्ष 1948 में की गयी थी।
  • इस परियोजना के तहत दामोदर और उसकी सहायक नदियों बराकर, कोनार, बोकारो पर बांध बनाया गया है।
  • इस परियोजना का विस्तार झारखंड व पश्चिम बंगाल राज्य में है।
  • प्रमुख बांध - तिलैया, मैथान, कोनार, पंचेत हिल आदि।
  • प्रमुख ताप गृह - बोकरो ताप गृह, दुर्गापुर ताप गृह, चंद्रपुरा ताप गृह आदि।

 

भाखड़ा नांगल परियोजना

  • सतलुज नदी पर स्थित यह देश की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय परियोजना है। जिसके तहत भाखड़ा एवं नांगल में बांधों का निर्माण किया गया है।
  • सतलुज नदी पर निर्मित भाखड़ा बांध विश्व का सबसे ऊंचा गुरुत्वीय बांध है।
  • दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा व राजस्थान इस परियोजना से लाभान्वित हो रहे है।

 

नर्मदा घाटी परियोजना

  • नर्मदा एक अंतर्राज्यीय नदी है, जो मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं गुजरात से प्रवाहित होती है।
  • इस परियोजना के तहत नर्मदा नदी पर मध्य प्रदेश में इंदिरा सागर, ओंमकारेश्वर एवं महेश्वर में बांधो का निर्माण किया गया है।
  • गुजरात में इस परियोजना के तहत सरदार सरोवर बांध का निर्माण किया गया है।
  • सरदार सरोवर परियोजना मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र व राजस्थान की संयुक्त परियोजना है।

 

भारत की प्रमुख बहुउद्देशीय परियोजनाए

परियोजना का नाम

नदी

लाभान्वित राज्य

भाखड़ा नांगल परियोजना

सतलुज नदी,

हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान

निम्मो-बाजमो परियोजना

सिंधु नदी

लद्दाख (जम्मू-कश्मीर)

हीराकुंड बांध परियोजना

महानदी

ओडिशा

नागार्जुन सागर परियोजना

कृष्णा नदी

आंध्र प्रदेश, तेलंगाना

पोचपांद परियोजना

गोदावरी नदी

तेलंगाना

पवना परियोजना

पवना नदी

महाराष्ट्र

इडुक्की (पेरियार) परियोजना

पेरियार नदी

केरल

सबरीगिरी परियोजना

कक्कीधपम्बा

केरल

नाथपा-झाकरी परियोजना

सतलुज, नदी

हिमाचल प्रदेश

मेटूर परियोजना

कावेरी नदी

तमिलनाडु

रणजीत सागर बांध (थीन बांध) परियोजना

रावी नदी

पंजाब

सुर्इल नदी परियोजना

सुर्इल नदी

हिमाचल प्रदेश

बाणसागर परियोजना

सोन नदी

बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश

रामगंगा परियोजना

रामगंगा

उत्तराखण्ड

सरदार सरोवर परियोजना

नर्मदा नदी

मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात

नर्मदा सागर परियोजना

नर्मदा नदी

गुजरात, मध्य प्रदेश

तिलैया परियोजना

बराकर नदी

झारखण्ड

चुटक परियोजना

सुरू नदी

कारगिल (जम्मू-कश्मीर)

बगलिहार परियोजना

चेनाब नदी

जम्मू-कश्मीर

तुलबुल परियोजना

झेलम नदी

जम्मू-कश्मीर

उरी परियोजना

झेलम नदी

जम्मू-कश्मीर

चंबल परियोजना

चंबल नदी

मध्य प्रदेश, राजस्थान

गांधी सागर बांध

चंबल नदी

मध्य प्रदेश

काकरापार परियोजना

ताप्ती नदी

गुजरात

अलमट्टी बांध परियोजना

कृष्णा नदी

आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र

रिहंद परियोजना

रिहंद नदी

उत्तर प्रदेश

किशनगंगा परियोजना

किशनगंगा नदी

जम्मू-कश्मीर

केन-बेतवा लिंक परियोजना

केन-बेतवा नदी

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश

गंडक परियोजना

गंडक नदी

उत्तर प्रदेश, बिहार

दामोदर नदी परियोजना

दामोदर नदी

झारखंड, पश्चिम बंगाल

किसाऊ बांध परियोजना

टोंस नदी

हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश

टिहरी बांध परियोजना

भागीरथी नदी (भागीरथी + भिलगना)

उत्तराखण्ड

श्रीसैलम परियोजना

कृष्णा नदी

आंध्र प्रदेश, तेलंगाना

शरावती परियोजना

शरावती नदी

कर्नाटक, गोवा, तमिलनाडु

शिवसमुद्रम परियोजना

कावेरी नदी

कर्नाटक

हिडकल परियोजना

घाट प्रभा नदी

कर्नाटक

पूर्णा परियोजना

पूर्णा नदी

महाराष्ट्र

पोंग बांध-परियोजना

व्यास नदी

हिमाचल प्रदेश

दलहस्ती परियोजना

चेनाब नदी

जम्मू-कश्मीर

संजय सरोवर परियोजना

वेनगंगा नदी

मध्य प्रदेश

कोयना परियोजना

कोयना नदी

महाराष्ट्र

माताटीला बांध

बेतवा नदी

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश

रानी लक्ष्मीबार्इ बांध परियोजना

बेतवा नदी

उत्तर प्रदेश

तुंगभद्रा परियोजना

पेन्नार, तुंगभद्रा नदी

आंध्र प्रदेश, कर्नाटक

घाटप्रभा परियोजना

घाटप्रभा नदी

कर्नाटक

उकार्इ परियोजना

ताप्ती नदी

गुजरात

साबरमती परियोजना

साबरमती नदी

गुजरात

तेलुगू गगा पारयोजना

कृष्णा नदी

महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक

काल्पोंग परियोजना

काल्पोंग नदी

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह

ऊपरी पेनगंगा परियोजना

पेनगंगा नदी

महाराष्ट्र

 

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