जम्मू-कश्मीर के संबंध में उपबन्ध

जम्मू-कश्मीर के संबंध में उपबन्ध

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विश्लेषणात्मक अवधारणा

 

भारतीय संविधान का भाग-21, अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध से संबंधित है। इसके अन्तर्गत संविधान के अनुच्छेद-370 के तहत जम्मू एवं कश्मीर राज्य को भारत संघ के । अन्तर्गत विशेष स्थिति प्रदान की गई थी। इसका अपना अलग संविधान था। हाल ही में इस व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है और जम्मू-कश्मीर को केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया गया है। इस अध्याय में छब्म्त्ज् के उपरोक्त स्त्रोत के आधार पर विगत वर्ष का परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्न एवं जम्मू-कश्मीर के स्थायी उपबंध के संदर्भ में अद्यतन तथ्यों एवं प्रश्नों को सम्मिलित किया गया है।

 

9 अगस्त, 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित संविधान (जम्मू और कश्मीर के लिए लागू) आदेश, 2019 पर हस्ताक्षर कर अनुच्छेद 370 के उन प्रावधानों को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया जो जम्मू व कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देते थे। इस आदेश द्वारा संविधान (जम्मू और कश्मीर के लिए लागू), 1954 के आदेश को निरस्त किया गया तथा जम्मू व कश्मीर राज्य में भारतीय संविधान के सभी अनुच्छेद लागू करने का प्रावधान किया गया। राष्ट्रपति के इस आदेश द्वारा संविधान के अनुच्छेद 367 में एक उप-धारा जोडी गई है, जो अनुच्छेद 370 के खंड (3) को संशोधित करती है। इस संशोधन द्वारा ’राज्य की संविधान सभा के स्थान पर खंड (2) में लिखित ’राज्य की विधान सभा’ पढ़ा जाएगा। 

  •              जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019: 5 अगस्त, 2019 को गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर को विशेष प्रावधान देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को हटाने के लिए जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019 के अंतर्गत 2 संकल्प विधेयक पेश किए जिसे अंततः 6 अगस्त, 2019 को लोकसभा द्वारा भी पारित कर दिया गया। इस विधेयक को राष्ट्रपति की अनुमति 9 अगस्त, 2019 को प्राप्त हुई। इस विधेयक के निम्न प्रावधान हैं:
  1.                        जम्मू और कश्मीर के पुनर्गठन के लिए विधेयक इस संशोधन से अनुच्छेद 370 के केवल खंड (1) छोड़कर शेष खंड लागू नहीं होंगे। संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड (1) द्वारा जम्मू-कश्मीर को भारत के राज्यों की सूची में शामिल किया गया है। यह विधेयक दोनों सदनों में पारित किया गया, जिसे राष्ट्रपति द्वारा 9 अगस्त,2019 को स्वीकृति प्रदान की गई है।
  2.                         जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 द्वारा जम्मू-कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र को बिना विधानसभा वाले जबकि शेष जम्मू-कश्मीर को विधानसभा वाले केन्द्र शासित प्रदेश का दर्जा प्रदान किया गया है। इस प्रकार जम्मू-कश्मीर पर केन्द्र का सीधे नियंत्रण होगा। दो अलग-अलग केंद्रशासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख का प्रशासन, राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त उप-राज्यपाल के माध्यम से संचालित किया जाएगा।
  3.                       इस अधिनियम में जम्मू एवं कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के लिए विधानसभा का प्रावधान किया गया है, जिसके सदस्यों को संख्या 114 होगी। इन 114 सदस्यों में से 24 सीटें पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के लिए रिक्त रहेंगी, जबकि 90 सीटें शेष जम्मू-कश्मीर से भरी जाएंगी।
  •                        जम्मू-कश्मीर राज्य को प्राप्त विशेष प्रावधान जो अब समाप्त हो गए हैं:
  1.               अलग संविधानः वर्ष 1951 में जम्मू-कश्मीर राज्य की विधानसभा का गठन किया गया जिसे राज्य के लिए अलग संविधान बनाने का दायित्व सौंपा गया था। इस संविधान सभा द्वारा वर्ष 1956 में संविधान निर्माण का कार्य पूरा कर लिया गया था और 17 नवंबर, 1956 को इसे सर्वसहमति से पारित कर दिया गया। भारतीय संविधान के लागू होने की तिथि के प्रतीक के रूप में जम्मू-कश्मीर का संविधान भी 26 जनवरी, 1957 को लागू कर दिया गया था।
  2.                       दोहरी नागरिकताः जम्मू-कश्मीर भारत का एकमात्र राज्य था, जिसके नागरिकों को दोहरी नागरिकता प्राप्त थी अर्थात् जम्मू-कश्मीर के । नागरिकों को भारत एवं जम्मू-कश्मीर राज्य की नागरिकता प्राप्त थी, जो कि वर्तमान में समाप्त हो गई है। अब केवल अन्य राज्यों के समान जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को भी केवल भारत की नागरिकता प्राप्त है।
  3.                अलग ध्वजः जम्मू-कश्मीर भारत का एकमात्र राज्य था जिसका भारत के राष्ट्रीय ध्वज के अतिरिक्त अपना ध्वज था। लेकिन हाल ही में किए गए परिवर्तन के तहत यह अधिकार भी समाप्त कर दिया गया है। अर्थात् अब सम्पूर्ण भारतीय क्षेत्र के लिए एक ही राष्ट्रीय ध्वज होगा।
  4. अनुच्छेद 35 (क): जम्मू-कश्मीर राज्य और भारत सरकार के बीच वर्ष 1954 में राष्ट्रपति के आदेश से संविधान के अनुच्छेद-370 में एक नया अनुच्छेद, 35(क) जोड़ा गया था, जो राज्य को यह निर्धारित करने की शक्ति देता था कि राज्य का स्थायी या मूल नागरिक कौन है और उन्हें क्या-क्या अधिकार मिले हुए हैं। इसी अनुच्छेद के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य से बाहर का व्यक्ति राज्य में कोई अचल सम्पत्ति नहीं खरीद सकता था, न ही अन्य राज्यों का कोई भी व्यक्ति जम्मू-कश्मीर राज्य का नागरिक बन सकता था, जैसे विशेष अधिकार इस अनुच्छेद के तहत जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को प्राप्त थे, जो जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के लागू होने के उपरान्त समाप्त हो गए। अतः अब भारत के अन्य राज्यों का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में स्थायी या मूल नागरिक बन सकता है एवं जम्मू-कश्मीर में अचल सम्पत्ति खरीद सकता है।

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