धार्मिक और सामाजिक सुधार

धार्मिक और सामाजिक सुधार

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धार्मिक और सामाजिक सुधार

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

इस अध्याय के अध्ययन का उद्देश्य पाठकों को भारत में प्रारम्भ हुए स्वतंत्रता आंदोलन के विभिन्न स्वरूपों से अवगत कराना है। उदारवादी और उग्रवादी आंदोलन के बदलते कार्यक्रम, कांग्रेस के विभाजन से बदलती आंदोलन की दिशा का देश की आम जनता का रुझान भी छात्रों को सामने लाना है। 1885 र्इ. में कांग्रेस के स्थापना के बाद आगामी 20 वषोर्ं तक कांग्रेस की उदारवादी नीति एवं तदुपरांत समकालीन वैश्विक घटनाओं के कारण बदलते आदोलन का स्वरूप एव प्रवत्ति की क्रमबद्ध यात्रा को तय कराना भी इन खंडों का उद्देश्य है।

 

हिन्दू सुधार आन्दोलन

राजा राम मोहन राय

§  राजा राममोहन राय को भारतीय नवजागरण का अग्रदूत कहा जाता है। इनका जन्म 22 मर्इ 1772 को बंगाल के हुगली जिले में स्थित राधानगर में हुआ था।

§  राजा राममोहन राय पहले भारतीय थे जिन्होंने सर्वप्रथम भारतीय समाज में व्याप्त धार्मिक और सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए आंदोलन किया।

§  राजा राममोहन राय मानवतावादी थे, उनकी विश्व बंधुत्व में घोर आस्था थी। ये जीवन की स्वतंत्रता तथा संपत्ति ग्रहण करने के लिए प्राकृतिक अधिकारों के समर्थक थे।

§  ब्रह्म समाज ने जाति प्रथा पर प्रहार किया तथा स्त्री पुरुष समानता पर बल दिया।

§  धार्मिक क्षेत्र में इन्होंने मूर्तिपूजा की आलोचना करते हुए अपने पक्ष को वेदोक्तियों के माध्यम से सिद्ध करने का प्रयास किया। इनका मुख्य उद्देश्य भारतीयों को वेदांत के सत्य का दर्शन कराना था।

§  राजा राम मोहन राय ने संवाद कौमुदी और मिरात उल अखबार प्रकाशित कर भारत में पत्रकारिता की नींव डाली।

 

आत्मीय सभा

§  राजा राम मोहन राय ने 1815 र्इ. में कलकत्ता में आत्मीय सभा की स्थापना करके हिंदू धर्म की बुराइयों पर प्रहार किया। राजा राम मोहन राय एकेश्वरवादी थे। उन्होंने इस संस्था के माध्यम से एकेश्वरवाद का प्रचार-प्रसार किया।

§  ब्रह्म समाज- 1828 र्इ. में राजा राम मोहन राय ने कोलकाता में ब्रह्म सभा की नामक एक संस्था की स्थापना की जिसे बाद में ब्रह्म समाज का नाम दे दिया गया।  

 

वेदांत कॉलेज

§  1825 र्इ. में वेदांत कॉलेज की स्थापना की। कलकत्ता में

§  डेविड हैयर द्वारा हिंदू कॉलेज की स्थापना में भी राजा राम मोहन राय ने सहयोग किया।

§  राजा राम मोहन राय के विचारों से प्रभावित होकर देवेंद्र नाथ टैगोर ने 1843 र्इ. में ब्रह्म समाज की सदस्यता ग्रहण की।

§  ब्रह्म समाज में शामिल होने से पूर्व देवेंद्र नाथ टैगोर ने

§  तत्वबोधिनी सभा 1839 र्इ. का गठन किया था।

 

वेद समाज

§  आचार्य केशव चंद्र सेन के प्रयासों से मद्रास में वेद समाज की स्थापना हुर्इ 1871 र्इ. में वेद समाज दक्षिण के ब्रह्य समाज के रुप में अस्तित्व में आया।

 

केशव चंद्र सेन और प्रार्थना समाज

§  केशव चंद्र की प्रेरणा से मुंबर्इ में वर्ष 1867 में आत्माराम पांडुरंग ने प्रार्थना समाज की स्थापना की। इस संस्था की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अन्य लोगों में महादेव गोविंद रानाडे और आर. जी. भंडारकर थे।

§  महादेव गोविंद रानाडे को पश्चिमी भारत में सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अग्रदूत कहा जाता है।

§  प्रार्थना समाज ने बाल विवाह, विधवा विवाह का निषेध, जातिगत संकीर्णता के आधार पर सजातीय विवाह, स्त्रियों की उपेक्षा, विदेशी यात्रा का निषेध किया।

§  केशव चंद्र सेन के सहयोग से रानाडे ने 1867 र्इ. में विधवा आश्रम संघ की स्थापना की।

§  महादेव गोविंद रानाडे ने एक आस्तिक धर्म में आस्था नामक पुस्तक की रचना की।

 

दयानंद सरस्वती और आर्य समाज

§  आर्य समाज के संस्थापक दयानंद सरस्वती थे, इन्होंने 1875 र्इ. में बंबर्इ में आर्य समाज की स्थापना की।

§  इन्होंने वेदों की और लौटो का नारा दिया।

§  दयानंद सरस्वती ने जाति व्यवस्था, बाल विवाह, समुद्री यात्रा निषेध के विरुद्ध आवाज बुलंद की तथा स्त्री शिक्षा, विधवा विवाह आदि को प्रोत्साहित किया।

§  स्वामी दयानंद ने शुद्धि आंदोलन चलाया। इस आंदोलन ने उन लोगों के लिए हिंदू धर्म के दरवाजे खोल दिए जिन्होंने हिंदू धर्म का परित्याग कर दूसरे धमोर्ं को अपना लिया था।

§  स्वामी दयानंद ने अनेक पुस्तको की रचना की, किंतु सत्यार्थ प्रकाश और पाखंड खंडन उन की महत्वपूर्ण रचनाएं हैं।

§  स्वामी दयानंद ने शूद्रों तथा स्त्रियों को वेद पढ़ने, ऊंची शिक्षा प्राप्त करने तथा यज्ञोपवीत धारण करने के पक्ष में आंदोलन किया।

§  वेलेंटाइन शिरोल ने अपनी पुस्तक इंडियन अनरेस्ट में आर्य समाज को भारतीय अशांति का जन्मदाता कहा है।

§  आर्य समाज के प्रचार-प्रसार का मुख्य केंद्र पंजाब रहा है। उत्तर प्रदेश, गुजरात और राजस्थान में भी इस आंदोलन को कुछ सफलता मिली।

§  स्वामी दयानंद की मृत्यु के बाद स्वामी दयानंद ने शूद्रों तथा स्त्रियों को वेद पढ़ने, ऊंची शिक्षा प्राप्त करने तथा यज्ञोपवीत धारण करने के पक्ष में आंदोलन किया।

§  वेलेंटाइन शिरोल ने अपनी पुस्तक इंडियन अनरेस्ट में आर्य समाज को भारतीय अशांति का जन्मदाता कहा है। स्वामी दयानंद की मृत्यु के बाद आर्य समाज दो गुटों में बंट गया, जिसमे एक गुट पाश्चात्य शिक्षा का विरोधी तथा दूसरा पाश्चात्य शिक्षा का समर्थन करता था।

 

गुरुकुल

पाश्चात्य शिक्षा के विरोधी आर्य समाजियों में श्रद्धानंद, लेखराज और मुंशी राम प्रमुख थे, जिन्होंने 1902 र्इ. में हरिद्वार में गुरुकुल की स्थापना की। आर्य समाज दो गुटों में बंट गया, जिसमे एक गुट पाश्चात्य शिक्षा का विरोधी तथा दूसरा पाश्चात्य शिक्षा का समर्थन करता था।

 

दयानंद एंग्लो-वैदिक कॉलेज

पाश्चात्य शिक्षा के समर्थन में हंसराज और लाला लाजपत राय थे। इन्होंने दयानंद एंग्लो-वैदिक कॉलेज की स्थापना की। भारत में डी. .वी. स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना की नींव भी आर्य समाज के इसी गुट ने रखी।

 

स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण मिशन

§  स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना 1897 र्इ. में अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस की स्मृति में की थी।

§  रामकृष्ण परम हंस कलकत्ता के दक्षिणेश्वर स्थित काली मंदिर के पुजारी थे, जिंहोने चिंतन, सन्यास और भक्ति के परंपरागत तरीको में धार्मिक मुक्ति प्राप्त करने का प्रयास किया।

§  राम कृष्ण मूर्ति पूजा में विश्वास रखते थे और उसे शाश्वत, सर्वशक्तिमान र्इश्वर को प्राप्त करने का साधन मानते थे। 1886 र्इ. में रामकृष्ण परमहंस की मृत्यु के बाद विवेकानंद ने अपने गुरु संदेशों के प्रचार-प्रसार का उत्तरदायित्व संभाला। विवेकानंद के बचपन का नाम नरेंद्र था। इनका जन्म बंगाल के एक कायस्थ परिवार में हुआ था।

§  सितंबर, 1893 में अमेरिका के शिकागो में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में विवेकानंद ने भारत का नेतृत्व किया।

§  विवेकानंद ने कहा था, ‘‘मैं ऐसे धर्म को नहीं मानता जो विधवाओं के आंसू नहीं पोंछ सके या किसी अनाथ को एक टुकड़ा रोटी भी ना दे सके।’’

 

थियोसोफिकल सोसाइटी

§  थियोसोफिकल सोसाइटी की स्थापना 1875 र्इ. में मैडम एच. पी. ब्लावेट्स्की और हेनरी स्टील आलकॉट द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका में की गर्इ थी।

§  इस सोसाइटी ने हिंदू धर्म को विश्व का सर्वाधिक गूढ़ एवं आध्यात्मिक धर्म माना।

§  1882 र्इ. में मद्रास के समीप अडîार में थियोसोफिकल सोसाइटी का अंतर्राष्ट्रीय कार्यालय स्थापित किया गया।

§  भारत में इस आंदोलन को सफल बनाने का श्रेय एक आयरिश महिला श्रीमती एनी बेसेंट को दिया गया, जो 1893 र्इ. में भारत आयी और इस संस्था के उद्देश्यों के प्रचार-प्रसार में लग गयी।

§  एनी बेसेंट ने बनारस में 1898 र्इ. में सेंट्रल हिंदू कॉलेज की स्थापना की जो, 1916 र्इ. में पंडित मदन मोहन मालवीय के प्रयासों से बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में परिणित हो गया।

 

प्रमुख धार्मिक संस्थाएं और आंदोलन

§  शिवदयाल साहिब ने 1861 र्इ. में आगरा में राधा स्वामी

आंदोलन चलाया।

§  1887 र्इ. में शिव नारायण अग्निहोत्री ने लाहौर में देव  समाज की स्थापना की।

§  भारतीय सेवा समाज की स्थापना 1851 र्इ. में समाज सुधार के

§  उद्देश्य से गोपाल कृष्ण गोखले ने की। रहनुमार्इ मजदयासन सभा की स्थापना 1851 र्इ. में दादाभार्इ नैरोजी तथा एस. एस. बंगाली ने की। इस संस्था ने राफ्त गोफ्तार नाम की एक पत्रिका का प्रकाशन भी किया।

§  ज्योतिबा फुले ने सत्यशोधक समाज की स्थापना की तथा गुलामगिरी नाम की एक पुस्तक की रचना भी की।

§  श्री नारायण गुरु के नेतृत्व में केरल के बायकोम मंदिर में अछूतों के प्रवेश हेतु एक आंदोलन हुआ था।

§  सी. एन. मुदलियार ने दक्षिण भारत में 1915-16 र्इ. में जस्टिस पार्टी की स्थापना की।

§  र्इ. वी. रामास्वामी नायकर ने दक्षिण भारत में 1920 र्इ. में आत्मसम्मान आंदोलन चलाया।

§  बी. आर. अम्बेडकर ने 1924 र्इ. में अखिल भारतीय दलित वर्ग की स्थापना की तथा 1927 र्इ. में बहिष्कृत भारत नामक एक पत्रिका का प्रकाशन किया।

§  भारत में महिलाओं के उन्नति के लिए 1917 र्इ. में श्रीमती एनी बेसेंट ने मद्रास में भारतीय महिला संघ की स्थापना की।

§  महात्मा गांधी ने छुआछूत के विरोध के लिए 1932 र्इ. में हरिजन सेवक संघ की स्थापना की।

§  अखिल भारतीय अनुसूचित जाति संघ की स्थापना बी. आर. अंबेडकर ने 1942 र्इ. में की।

 

मुस्लिम सुधार आंदोलन

अहमदिया आंदोलन

§  अहमदिया आंदोलन का आरंभ 1889-90 र्इ. में मिर्जा गुलाम अहमद ने फरीदकोट में किया।

§  गुलाम अहमद हिंदू सुधार आंदोलन, थियोसोफी और पश्चिमी उदारवादी –ष्टिकोण से प्रभावित तथा सभी धमोर्ं पर आधारित एक अंतर्राष्ट्रीय धर्म की स्थापना की कल्पना करते थे।

§  अहमदिया आंदोलन का उद्देश्य मुसलमानों में आधुनिक बौद्धिक विकास का प्रचार करना था।

§  मिर्जा गुलाम अहमद ने हिंदू देवता कृष्ण और र्इसा मसीह का अवतार होने का दावा किया।

 

अलीगढ़ आंदोलन

§  सर सैयद अहमद द्वारा चलाए गए आंदोलन को अलीगढ़

आंदोलन के नाम से जाना जाता है।

§  सर सैय्यद अहमद मुसलमानों में आधुनिक शिक्षा का प्रसार करना चाहते थे।

§  इसके लिए उन्होंने 1865 र्इ. में अलीगढ़ में मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना की, जो 1890 र्इ. में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बन गया।

§  अलीगढ़ आंदोलन ने मुसलमानों में आधुनिक शिक्षा का प्रसार किया तथा कुरान की उदार व्याख्या की।

§  इस आंदोलन के माध्यम से सर सैय्यद अहमद ने मुस्लिम समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया।

 

देवबंद आंदोलन

§  यह रुढ़िवादी मुस्लिम नेताओं द्वारा चलाया गया आंदोलन था, जिसका उद्देश्य विदेशी शासन का विरोध तथा मुसलमानों में कुरान की शिक्षाओं का प्रचार करना था।

§  मोहम्मद कासिम ननौतवी तथा रशीद अहमद गंगोही ने स्थापना की।

§  यह अलीगढ़ आंदोलन का विरोधी था। देवबंद आंदोलन

के नेताओं में शिमली नुमानी, फारसी और अरबी के प्रसिद्ध विद्वान लेखक थे।

§  शिबली नुमानी ने लखनऊ में नदवतल उलेमा तथा दार-उल-उलूम की स्थापना की।

§  देवबंद के नेता भारत में अंग्रेजी शासन के विरोधी थे। यह आंदोलन पाश्चात्य और अंग्रेजी शिक्षा का भी विरोध करता था।

 

सिख सुधार आंदोलन

§  हिंदू और मुसलमानों की तरह सिखों में भी सुधार आंदोलन हुए। सिखों के प्रबुद्ध लोगों पर पश्चिम के विकासशील और तर्कसंगत विचारों का प्रभाव पड़ा।

§  19वीं सदी में सिखों की संस्था सरीन सभा की स्थापना हुर्इ।

§  पंजाब का कूका आंदोलन सामाजिक एवं धार्मिक सुधारों से संबंधित था।

§  जवाहर मल और रामसिंह ने कूका आंदोलन का नेतृत्व किया।

§  अमृतसर में सिंह सभा आंदोलन चलाया गया।

§  अकाली अन्दिलन द्वारा 1921 र्इ. में गुरुद्वारों के महंतों के विरुद्ध अहिंसात्मक आंदोलन का सूत्रपात हुआ। इस आंदोलन के परिणामस्वरुप 1922 र्इ. में सिख गुरुद्वारा अधिनियम पारित किया गया, जो आज तक कार्यरत है।

 

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