पुष्पीय पादपों में प्रजनन

पुष्पीय पादपों में प्रजनन

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पुष्पीय पादपों में प्रजनन

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

 

पुष्प का अस्तित्व मात्र हमारे उपयोग तक सीमित नहीं है। सभी पुष्पीय पादप लैंगिक प्रजनन प्रदर्शित करते हैं। पुष्पक्रमों, पुष्पों तथा पुष्पी अंगों की संरचना की विविधता पर एक दृष्टि डालें तो. वे अनुकूलन की एक व्यापक परिधि को दर्शाते हैं ताकि लैंगिक जनन का अंतिम उत्पाद, फल और बीज की रचना सुनिश्चित हो सके। इस प्रकृति ने पादपों की आकारिकी, संरचना तथा पुष्पी पादपों (आवृतबीजियों) में लैंगिक जनन के प्रक्रम को बड़ी ही रोचकता के साथ संजोया है।

 

§     पुष्पीय पादपों में प्रजनन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा पौधे अपने ही समान नए संतति पौधे उत्पन्न करते है। पुष्प एंजियोस्पर्म पौधों में लैंगिक जनन के आधार हैं। पुष्पों में, पुमंग (aandroecium) के पुंकेसर (Stamens) नर जनन अंग का प्रतिनिधित्व करते हैं जबकि जायांग (Gynoecium) के स्त्रीकेसर (Pistil) मादा जनन अंगों का प्रतिनधित्व करते हैं।

§     एक प्रारूपी परागकोश (Anther) द्विपालिक (Bilobed), द्विकोष्ठी (Dithecous) तथा चतुष्क बीजाणुधानी (Tetrasporangiate) होता है। परागकण लघुबीजाणुधानी (Microsporangiaa) के अंदर विकसित होते हैं। चार भित्ति परते-अंतस्त्वचा (Epidermis), एन्डोथीसियम, मध्यपरत और टेपीटम लघुबीजाणुधानी को आवृत (Surrounded) किए होती हैं। बीजाणुजन (Sporangeous) ऊतक की कोशिकाएं लघुबीजाणुधानी के केन्द्र में अवस्थित मिओसिस से गुजरते हुए चतुष्क लघुबीजाणुओं (Microspores) की रचना करती हैं। प्रत्येक लघुबीजाणु परागकण के रूप में विकसित होता है।

§     परागकण नर युग्मकजनन पीढ़ी (Male Gametophytic Generation) का प्रतिनिधित्व करते हैं। परागकणों में दो सतही भित्ति (Two Layered Wall) होती है जो बाहर बाह्यचोल (Outer Exine) तथा अंदर की ओर अंतश्चोल (Inner intine) कहलाती है। बाह्यचोल स्पोरोलेनिन का बना होता है और जनन छिद्र (Germ Spores) युक्त होता है। परागकण में अवनमन के समय दो कोशिकाएं कायिक कोशिका (Vegetative Cell) तथा जनन कोशिका (Generative Cell) या तीन कोशिकाएं (एक कायिक कोशिका तथा दो नर युग्मक) हो सकती हैं।

§     स्त्रीकेसर में तीन अंग होते हैं - वर्तिकान (Stigma), वर्तिका  (Style) तथा अंडाशय (Ovary) अंडाशय में बीजांड (Ovules) उपस्थित होते हैं। बीजांड में एक डंठल (Stalk) होता है, जिसे कीपिका (Funicle) कहते हैं तथा दो संरक्षात्मक अध्यावरण (Protective integument) तथा एक द्वार जिसे बीजांडद्वार (micropyle) होता है। बीजांडकाय (Nucellus) में स्थित केंद्रीय ऊतक है, जहां प्रसूतक (aArchesporium) विभाजित होता है। प्रसूतक कोशिका, गुरूबीजाणु (Megaspore) मातृ कोशिका मिओसिस से विभाजित होते हुए एक गुरूबीजाणु (Megaspore) भ्रूण कोश (Embroyo Sac) मादा गैमिटोफाइट की रचना करते हैं।

§     एक परिपक्व भ्रूणकोश में 7-कोशिकीय एवं 8-केन्द्रकीय होते हैं। बीजांडद्वारी (micropylar) शीर्ष पर अंड उपकरण (Egg Apparatus) में दो सहायक कोशिकाएं (Two Synergids) तथा एक अंड कोशिका समाहित होती है। निभाग छोर (Chalazal) पर तीन प्रतिव्यासांत (three Antipodals) होते हैं। केंद्र में दो ध्रुवीय केंद्रको के साथ एक वृहद् केंद्रीय कोशिका होती है।

§     परागण (Pollination) एक प्रक्रम है, जिसमें परागकण परागकोश (aAnther) से वर्तिकाग्र तक स्थानांतरित होते हैं। परागण एजेंट या तो अजीवीय (aAbiotic) (हवा एवं पानी) होते हैं या फिर जीवीय (Biotic) (प्राणि वर्ग) होते हैं।

§     पराग-स्त्रीकेसर मिलन के अंतर्गत वे सभी घटनाएं शामिल होती है जो वर्तिकान पर परागकण के गिरने से शुरु होकर भ्रूणकोश में परागनली के जब पराग सुयोग्य (Compitable) होते हैं प्रवेश या पराग के संदमन जब पराग अयोग्य (Non  compatible) होता है तक की क्रिया होती है। इसके आगे योग्य परागण, वर्तिकान पर परागकण का अंकुरित होना, और परिणाम स्वरूप परागनलिका का वर्तिका (Style) के माध्यम से वृद्धि करना, बीजांड में प्रवेश और अंत में एक सहायक कोशिका में दो नर युग्मकों का विसर्जन (Discharge) होता है।

§     नर युग्मक (Male Gamete) का मादा युग्मक से संलयन की वह प्रक्रिया जिसमें युग्मनज (Zygote) का निर्माण होता है, निषेचन (Fertilization) कहलाता है, प्रथम नर युग्मक (Gamete) का अण्ड कोशिका (Egg Cell) से तथा दूसरे नर युग्मक का मध्य कोशिका (Central cell) या दोनों ध्रवीय केन्द्रकों (Polar Nucleci) से संलयन की प्रक्रिया को एक साथ दोहरा निषेचन या द्विनिषेचन (Double Fertilization) कहलाता हैं। द्वितीय नर युग्मक का ध्रवीय केन्द्रकों से संलयन के क्रम में सही अर्थ में तीन अगुणित केन्द्रकों (एक केन्द्रक नर युग्मक का तथा दो. केन्द्रक ध्रवीय प्रकृति वाले) का संयुग्मन होता है इसलिए इसे त्रिसयुग्मन या ट्रिपल फ्यूजन (Ttriple Fusion) कहते हैं।

§     एंजियोस्पर्म दोहरा निषेचन (Doublr Fertilization) प्रदर्शित करते हैं क्योंकि प्रत्येक भ्रणकोश में दो संगलन या संलयन (fusion) मुख्यत: युग्मक संलयन (Syngamy) तथा त्रिसंलयन (Triple Fusion) होते हैं। इन संलयनों का परिणाम द्विगुणित युग्मनज (Diploid Zygote) तथा त्रिगुणित प्राथमिक भ्रणपोष केंद्रक (प्राथमिक भ्रणपोष कोशिका- Primary endosperm cell) का परिणाम होता है। यह युग्मनज, भ्रण तथा प्राथमिक भ्रणपोष कोशिका, भ्रणपोष ऊतक गठित करते हैं। भ्रूणपोष का निर्माण सदैव भ्रूण (Embryo) के विकास को आगे बढ़ाता है।

§     विकासशील भ्रण कर्इ विभिन्न चरणों से गुजरता है, जैसे कि प्राक्भ्रूण (Proembryo), गोलाकार तथा हृदयाकार आकृति चरण और इसके बाद परिपक्वता परिपक्व द्विबीजपत्री भ्रण (Dicotyledonous Embryo) के अंदर दो बीजपत्र (Two Cotyledons) तथा एक भ्रूणीय अक्ष (aan Embryo Axis) सहित प्रांकुरचोल (Epicotyl) तथा एक बीजपत्राधार (hypocotyl) होता है। एक बीजपत्री के भ्रुण में एक अकेला बीजपत्र होता है। निषेचन के बाद, अंडाशय फल के रूप में तथा बीजांड बीज के रूप में विकसित होता है।

§    असंगजनन - प्रजनन की वह विधि जिसमें बिना निषेचन के ही भ्रूण का निर्माण होता हो तो उसे असंगजनन (Apomixis) कहते हैं। इसके अंतर्गत निम्नलिखित प्रक्रियायें आती हैं - अपस्थानिक भ्रूणता, अनिषेकजनन, एपोगैमी, एपोस्पोरी, डिप्लोस्पोरी। बागवानी एवं कृषि विज्ञान में एपोमिक्सीस के बहुत सारे लाभ हैं।

§     बहुभ्रूणता - एक ही बीज में एक युग्मनज (Zygote) से अनेक भ्रूण या अनेक जाइगोट के बनने की क्रिया को बहुभ्रूणता (Polyembryony) कहते हैं। बहुभ्रूणता जिमनोस्पर्म का सामान्य लक्षण है। एंजियोस्पर्म में यह तम्बाकू, नीबू में पाया जाता है।  

 

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