अधातुएँ एवं उपधातुएं

अधातुएँ एवं उपधातुएं

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अधातुएँ एवं उपधातुएं

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

 

जो पदार्थ रासायनिक अभिक्रियाओं के दौरान एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन को ग्रहण करके ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं, अधातु

(Non- metal) कहलाते हैं। अधातुओं के भौतिक गुण और रासायनिक गुण दोनों धातुओं से भिन्न होते हैं। अब तक ज्ञात 118 तत्वों में से 93 धातुएं (Metals). 18 अधातुएं (Non- Metal), 7 उपधातुएं (Metalloids or Semi-metals) हैं। भू-पर्पटी (Earth's Crust) मे 46.6 % ऑक्सीजन अधातु तत्व उपस्थित होता है। सजीवों का शरीर भी मुख्यत: अधात्विक तत्वों से ही निर्मित होता है। मानव शरीर मे लगभग 65: ऑक्सीजन, 18 % कार्बन, 10 % हाइड्रोजन, 3.2 % नाइट्रोजन अधातु तत्व उपस्थित रहते हैं।

 

अधातुओं के भौतिक गुण-

भौतिक अवस्था - अधातु तत्व ठोस, द्रव एवं गैस तीनों अवस्थाओं मे उपस्थित रहते हैं। उदाहरण: कार्बन (ठोस अवस्था), ब्रोमीन (द्रवअवस्था), हाइड्रोजन (गैस अवस्था) ठोस अधातुएं मुलायम (Soft), भंगुर (Brittle) एवं चमकरहित (Non-lustrous) होती हैं, इनको आसानी से तोड़कर, महीन पाउडर मे परिवर्तित किया जा सकता है। जैसे- कार्बन का अपर रूप कोयले, सल्फर आदि को आसानी से तोड़ा जा सकता है। अधातुओं मे हीरा एक अपवाद है, यह कार्बन का एक अपररूप है, जो सर्वाधिक कठोर अधातु है।

 

विद्युत एवं ऊष्मा की कुचालक- सभी अधातुएं विद्युत एवं ऊष्मा की कुचालक होती है। अपवाद-ग्रेफाइट कार्बन का एक अपरुप होता है, जो विद्युत एवं ऊष्मा का कुचालक होता है।

 

तन्यता विहीन, चमक विहीन तथा अनुनाद विहीन- आयोडीन के अलावा सभी अधातुएं चमक विहीन (Non- Lustrous), कार्बन को छोड़कर सभी अधातुएं तन्यता विहीन (Non- Ductile) तथा बिना किसी अपवाद के सभी अधातुएं अनुनाद विहीन (Non- Sonorous) होती हैं। अधातुओं पर किसी ठोस वस्तु से चोट करने पर या टकराने पर ये ध्वनि उत्पन्न नहीं करती हैं।

 

निम्न गलनांक एवं निम्न क्वथनांक - धातुओं की अपेक्षा अधातुओं के गलनांक एवं क्वथनांक के मान सामान्यत: कम होते हैं लेकिन कार्बन, ग्रेफाइट, हीरा तथा बोरॉन इसके अपवाद हैं, जिनके गलनांक एवं क्वथनांक के मान बहुत अधिक होते हैं।

 

अधातुओं के रासायनिक गुण-

इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति - अधातुओं एवं धातुओं के बीच अभिक्रिया होने पर अधातुएं इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके अथवा साझा (Share) करके उत्कृष्ट गैसों (Noble gases) के समान

इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त करने की प्रवृत्ति रखती है। अधातुओं के परमाणुओं की बाह्यतम कक्षा में 4 से 8 इलेक्ट्रॉन उपस्थित रहते हैं। अपवाद - हाइड्रोजन एवं हीलियम, इनकी बाह्यतम कक्षा में क्रमश: 1 एवं 2 इलेक्ट्रॉन उपस्थित रहते हैं। अधातुएं इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऋणायन (Anion) बना लेती हैं। उदाहरण -

\[\begin{align}

  & \underset{{\scriptscriptstyle 1\!/\!{ }_4}vk;ksMhu{\scriptscriptstyle 1\!/\!{ }_2}{\scriptscriptstyle 1\!/\!{ }_4}1 bysDV{}^\text{a}ku{\scriptscriptstyle 1\!/\!{ }_2}{\scriptscriptstyle 1\!/\!{ }_4}vk;ksMhu \_.kk;u{\scriptscriptstyle 1\!/\!{ }_2}}{\mathop{{{I}^{o}}}}\,+1{{e}^{-}}\to {{I}^{-}} \\

 &  \\

\end{align}\]

उच्च विद्युत ऋणात्मकता - अधातुओं में सहसंयोजी बंध (Covalent Bond) निर्माण के समय साझा किए गए इलेक्ट्रॉनों को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता अधिक होती है, अर्थात् अधातुओं की विद्युतऋणात्मकता का मान उच्च (High Electronegativity) होता है।

अॉक्सीजन से अभिक्रिया - अधातुएं ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके अधातु ऑक्साइड बनाती हैं। ये ऑक्साइड अम्लीय (Acidic) अथवा उदासीन (Neutral) प्रकृति के होते हैं। उदाहरण-

\[\underset{{\scriptscriptstyle 1\!/\!{ }_4}mnklhu izd\grave{\ }fr{\scriptscriptstyle 1\!/\!{ }_2}{\scriptscriptstyle 1\!/\!{ }_4}vEyh; izd\grave{\ }fr{\scriptscriptstyle 1\!/\!{ }_2}}{\mathop{2{{H}_{2(g)}}+{{O}_{2(g)}}\to 2{{H}_{2}}{{O}_{(I)}}]{{C}_{(s)}}+{{O}_{2(g)}}\to C{{O}_{2(g)}}}}\,\]

जल से अभिक्रिया - अधातुएं सामान्यत: जल से अभिक्रिया नहीं करती हैं, लेकिन अधातु ऑक्साइड जल से अभिक्रिया करके अम्ल बनाती हैं।

 

\[\underset{{\scriptscriptstyle 1\!/\!{ }_4}dkcZfud vEy{\scriptscriptstyle 1\!/\!{ }_2}}{\mathop{C{{O}_{2}}\,\,\,\,+\,\,\,\,{{H}_{2}}O\,\,\,\,\,\,\to \,\,\,{{H}_{2}}C{{O}_{3}}}}\,\]

 

अम्लों से अभिक्रिया - सामान्यत: अधातुओं की तनु अम्लों के साथ अभिक्रिया नहीं होती हैं क्योंकि अम्लों में इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करने की प्रवृत्ति होती है, जबकि अधातुएं विद्युत ऋणात्मक होने के कारण स्वयं इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति रखती हैं लेकिन कार्बन, फॉस्फोरस, सल्फर आदि अधातुएं सांद्र अम्लों के साथ अभिक्रिया करती हैं।

 

आवर्त सारणी में अधातुओं का स्थान- अधातु तत्वों को आवर्त सारणी में दाएं भाग के ऊपर की ओर (upper right side) रखा गया है। सभी अधातु तत्व p-ब्लॉक के अन्तर्गत आते हैं जबकि हाइड्रोजन तत्व को s-ब्लॉक में स्थान दिया गया है।

आवर्त सारणी में अधात्विक तत्व-

 

वर्ग-1

हाइड्रोजन (\[_{1}{{H}^{1}}\])

वर्ग-14

कार्बन (\[_{6}{{C}^{12}}\])

वर्ग-15

नाइट्रोजन (\[_{7}{{N}^{14}}\]), फॉस्फोरस (\[_{15}{{P}^{30.974}}\])

वर्ग-16

अॉक्सीजन (\[_{8}{{O}^{16}}\]), सल्फर (\[_{16}{{S}^{32.06}}\]) तथा सेलेनियम (\[_{34}S{{e}^{78.971}}\])

वर्ग-17 (हैलोजन वर्ग)

फ्लोरीन (\[_{9}{{F}^{19}}\]), क्लोरीन (\[_{17}C{{l}^{35.45}}\]),

ब्रोमीन (\[_{35}B{{r}^{79.90}}\]), आयोडीन (\[_{53}{{I}^{126.90}}\]),

(हैलोजन समूह) एस्टेटाइन (\[_{85}A{{t}^{210}}\]) को रॉयल सोसायटी अॉफ केमिस्ट्री संस्था द्वारा ऐसे अधातु माना गया जबकि टेनेसीन (\[_{117}T{{s}^{294}}\]) को उच्च रेडियोसक्रिय धातु माना गया। (टेनेसीन के वर्गीकरण के विषय में

वैज्ञानिकों में मतभेद है।)

वर्ग-18 या

शून्य वर्ग

(उत्कृष्ट गैसे

या अक्रिय गैसे)

 

हीलियम (\[_{2}H{{e}^{4}}\]), नियॉन (\[_{10}N{{e}^{20.18}}\]),

आर्गन (\[_{18}A{{r}^{39.94}}\]), क्रिप्टॉन (\[_{36}K{{r}^{83.80}}\]), जीनॉन (\[_{54}X{{e}^{131.29}}\]), (उत्कृष्ट गैसें) रेडॉन (\[_{86}R{{n}^{222}}\]) तथा अॉगेनेसॉन (\[_{118}O{{g}^{294}}\]) को रेडियोसक्रिय धातु के अंतर्गत रखा गया है।

 

p-ब्लॉक के तत्व - p-ब्लॉक के अन्तर्गत उन तत्वों को शामिल किया गया है, जिनके संयोजी इलेक्ट्रॉन p-कक्षक में प्रवेश करते हैं। इसमें आवर्त सारणी के वर्ग-13 से वर्ग-18 तक के सभी तत्वों (हीलियम को छोड़कर) को शामिल किया गया है। इस ब्लॉक में धातु, अधातु एवं उपधातु सभी प्रकार के तत्व उपस्थित रहते हैं। इस वर्ग की धातुएं, अधातुओं के साथ अभिक्रिया करके आयनिक यौगिकों का निर्माण करती हैं। p-ब्लॉक के अधिकतर तत्व अधातु हैं, जो ऊष्मा एवं विद्युत के सुचालक नहीं होते हैं। इनका क्वथनांक (Boiling Point) निम्न होता है तथा ये सरलता से इलेक्ट्रॉन्स का त्याग नहीं करते हैं। इस वर्ग में सम्मिलित ब्रोमीन (अधातु) सामान्य ताप पर द्रव अवस्था में पाया जाता है।

 

p-ब्लॉक के अन्तर्गत वर्ग

वर्ग-13 - बोरॉन समूह (बोरॉन एल्युमीनियम, गैलियम) वर्ग-14 - कार्बन समूह (कार्बन, सिलिकॉन, टिन) वर्ग-15 - नाइट्रोजन समूह (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, एंटिमनी) वर्ग-16 - चाल्कोजेन समूह (अॉक्सीजन, सल्फर, सेलेनियम) वर्ग-17 - हैलोजन समूह (फ्लोरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन) वर्ग-18 - उत्कृष्ट गैस (अक्रिय गैस) समूह (हीलियम, नियॉन, आर्गन, क्रिप्टोन, जिनॉन रेडॉन)

 

उपधातुएं - आवर्त सारणी के ऐसे तत्व, जिनमें धातुओं एवं अधातुओं दोनों के गुण उपस्थित रहते हैं, उपधातुएं (Metalloids or Semimetals) कहलाती है। उपधातुएं सामान्यत: धातुओं के समान दिखार्इ देती हैं लेकिन इनकी प्रकृति अधातुओं के समान होती है। उपधातु सामान्यत: धातु एवं अधातु के बीच के गुण दर्शाती हैं। आवर्त सारणी में निम्नलिखित सात तत्वों को उपधातु माना गया है- बोरॉन (\[_{5}{{B}^{10.81}}\]), सिलिकॉन (\[_{14}S{{i}^{28}}\]), जर्मेनियम (\[_{32}G{{e}^{72.64}}\]), आर्सेनिक (\[_{33}A{{s}^{74.92}}\]), एन्टीमनी (\[_{51}S{{b}^{121.76}}\]), टेल्यूरियम (\[_{52}T{{e}^{127.60}}\]), पोलोनियम (\[_{84}P{{O}^{209}}\]) परन्तु, एस्टेटीन को उपधातु अथवा अधातु वर्ग में रखने पर मतभेद है।

·                     आवर्त सारणी के आवर्त- 2, 3, 4, 5 एवं 6 में तथा वर्ग-13, 14, 15 एवं 16 में उपधातुओं को रखा गया है। इन तत्वों को एक सीढ़ीनुमा गहरी रेखा के द्वारा धातुओं से अलग, आवर्त सारणी में उपधातुओं को धातुओं एवं अधातुओं के मध्य रखा गया है।

 

 

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