धातुएं एवं मिश्र धातुएं

धातुएं एवं मिश्र धातुएं

Category :

 

धातुएं एवं मिश्र धातुएं

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

 

आधुनिक आवर्त सारिणी में तत्वों को उनके गुणों के आधार पर धातु, उपधातु एवं अधातु में वर्गीकृत किया जा सकता है। भौतिक गुणों की अपेक्षा रासायनिक गुणों के आधार पर सरलता एवं अधिक स्पष्ट तरीके से धातुओं एवं अधातुओं का वर्गीकरण किया जाता है, क्योंकि भौतिक गुणधमोर्ं के आधार पर वर्गीकरण करने पर कर्इ अपवाद एवं गुणों में अस्पष्टता देखने को मिलती है।

 

आवर्त सारणी में वर्गीकृत 118 तत्वों को उनके रासायनिक गुणधमोर्ं के आधार पर तीन प्रमुख वगोर्ं में बांटा गया है-

 

आवर्त सारणी के तत्व - धातुएं (metals) - कुल 93, उपधातुएं (Metalloids) - कुल 7, अधातुएं (non-metals) - कुल 18.

कुछ तत्वों के धातु, अधातु एवं उपधातु के रूप में वर्गीकरण पर वैज्ञानिकों के मत अलग अलग हैं। आवर्त सारणी के प्रत्येक वर्ग के धातुओं को प्राप्त करने के लिये भिन्न-भिन्न एवं विशिष्ट तकनीकों का उपयोग किया जाता है।

 

धातुएं - सामान्य ताप पर ठोस, चमकदार, आघातवर्द्धनीय (Melliable), विद्युत ऊष्मा की सुचालक तथा तन्य (Ductile) होती हैं। इलेक्ट्रॉनिक सिद्धांतानुसार - ‘‘वे तत्व जो इलेक्ट्रॉन प्रदान करते हैं या उत्सर्जन करते है ,धातु कहलाते हैं’’

 

धातुओं के अन्य तत्वों से कुछ विशिष्ट गुण प्रदर्शित - धातुओं के भौतिक गुण -

1.             कमरे के ताप पर ठोस अवस्था - मर्करी को छोड़कर शेष सभी धातुएं सामान्य ताप (25\[^{o}C\]) पर ठोस अवस्था में विद्यमान रहती हैं। गैलियम निम्न ताप पर ठोस अवस्था में पायी जाती है, परन्तु सामान्य ताप से कुछ ही उच्च ताप (29.76\[^{o}C\] हथेली में लेने पर ऊष्मा प्राप्त करने) पर यह द्रव अवस्था में बदल जाती हैं।

 

2.             कठोरता (Hardness) - धातुएं सामान्यत: कठोर होती हैं। प्रत्येक धातु की कठोरता भिन्न भिन्न होती है लेकिन कुछ धातुएं जैसे क्षारीय धातु- लीथियम, सोडियम, पोटेशियम इतनी मुलायम होती हैं कि इन्हें चाकू द्वारा काटा जा सकता है। मरकरी सामान्य ताप पर द्रव अवस्था में पार्इ जाने वाली धातु है।

 

3.             धात्विक चमक (Metallic luster) - सामान्यतया धातुओं की सतह चमकदार होती है। इनमें प्रकाश को परावर्तित करने का गुण होता है।

 

4.             तन्यता (Ductility) - धातु के पतले तार के रूप में खींचने (तार बनाने )की क्षमता को तन्यता कहते हैं। सोना सर्वाधिक तन्य धातु है। प्रत्येक धातु में तन्यता गुण अलग अलग होता है। जैसे 1 ग्राम गोल्ड से 2 किमी. बहुत ही महीन लम्बा तार एवं 100 ग्राम चांदी से 200 मीटर लम्बा खींचा जा सकता है।

 

5.             आघातवर्ध्याता (Malleability) - धातुओं को पीटकर (हथौडे मशीन की सहायता से ) उनकी पतली चादरों का निर्माण किया जा सकता हैं। अधिक लोचशील प्रकृति होने के कारण इन चादरों को लपेटा जा सकता है। गोल्ड सर्वाधिक आघातवध्र्य है।

 

6.             ध्वनिक या अनुनादपूर्ण (Sonorous) - लगभग सभी धातुर किसी ठोस सतह से टकराने पर अथवा उन पर चोट किए जाने पर ध्वनि उत्पन्न करती हैं। यही कारण है कि परम्परागत अलार्म घड़ियां तथा स्कूल की घंटियां धातु से निर्मित होती हैं।

 

7.             विद्युत चालकता - सामान्यत: धातुएं विद्युत की चालक होती हैं। विद्युत का सर्वोत्तम चालक सिल्वर और कॉपर होते हैं। (इनके बाद क्रमश: सोना, एल्युमीनियम तथा टंगस्टन चालकता का गुण प्रदर्शित करते है)

 

8.             ऊष्मा चालकता (Heat Conductivity) - धातुएं ऊष्मा की चालक होती हैं। सिल्वर और कॉपर ऊष्मा के सबसे  अच्छे चालक है, जिनमें सिल्वर की चालकता कॉपर से ज्यादा है। लेड तथा मर्करी इसके अपवाद हैं, जो ऊष्मा के कुचालक हैं।

 

9.             उच्च गलनांक एवं क्वथनांक - धातुओं के गलनांक एवं क्वथनांक के मान सामान्यत: उच्च होते हैं, जैसे- लोहा, कोबाल्ट, निकेल आदि। टंगस्टन का गलनांक सर्वोच्च होता है। परन्तु, अधिकांश क्षारीय धातुओं (Alkali metals) के गलनांक एवं क्वथनांक निम्न होते हैं। जैसे- रूबीडियम, फ्रन्शियम, सीजियम आदि।

 

धातुओं के रासायनिक गुण -  

1.             इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति-सामान्यत:- धातुओं में इलेक्ट्रॉन त्याग कर धनायन (Cation) बनाने का गुण होता है।

2.             इलेक्ट्रॉन विन्यास - धातुओं के परमाणु के सबसे बाहरी कोश में सामान्यत: 1 से 3 इलेक्ट्रॉन चक्कर लगाते हैं एवं इनका अष्टक अपूर्ण होता है। इसलिए धातुएं अन्य तत्वों की अपेक्षा अधिक क्रियाशील होती हैं।

3.             निम्न विद्युत ऋणात्मकता - धातुओं की विद्युत ऋणता का मान कम होता है, अर्थात् धातुओं में अधातुओं के साथ सहसंयोजी बंध बनाने के दौरान साझा किए गए इलेक्ट्रॉन को अपनी ओर आकर्षित करने की दुर्बल प्रवृत्ति होती है।

4.             दहन/क्सीजन के साथ अभिक्रिया - वायु की

उपस्थिति में किसी पदार्थ के जलने की प्रक्रिया दहन कहलाती है। सोडियम एवं पोटेशियम अत्यधिक क्रियाशील (Highly Reactive) धातुएं हैं। ये धातुएं सामान्य ताप पर, वायु में उपस्थित ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके जलने लगती हैं। इस कारण इन धातुओं को मिट्टी के तेल (Kerosene) में सुरक्षित रखा जाता है।

§     धात्विक ऑक्साइड सामान्यत: क्षारीय प्रकृति के होते हैं। लेकिन एल्युमीनियम ऑक्साइड, जिंक ऑक्साइड जैसे कुछ धातुओं के ऑक्साइड अम्लीय तथा क्षारीय दोनों व्यवहार दर्शाते हैं।

मिश्रधातु (Alloy) - दो या दो से अधिक धातुओं अथवा एक धातु या एक अधातु के समांगी मिश्रण को मिश्र धातु कहते हैं। धातु के गुणों को उन्नत बनाने के लिये मूल धातु को गला कर उसमें दूसरे तत्वों को एक निश्चित अनुपात में मिला दिया जाता है। इसके पश्चात कमरे के ताप पर ठंडा किया जाता है। इस प्रक्रिया को मिश्रात्वन (Alloying) तथा प्राप्त होने वाला समांगी मिश्रण को मिश्र धातु कहलाता हैं।

मिश्र धातु की विशेषताएं - मिश्र धातुओं में शुद्ध धातुओं , की तुलना में अधिक उन्नत गुण विद्यमान रहते हैं। मिश्र धातुएं अधिक मजबूत, बहुत कम संक्षारित (Corrosion Resistant) और धातुओं की अपेक्षा सस्ती एवं टिकाऊ होती हैं।

 

क्रमांक

मिश्र धात

संघटन

उपयोग

1.

पीतल (Brass)

कॉपर (Cu-70%) + जिंक (Zn-30%)

तार, मशीनों के पुर्जे, बर्तन, मूर्तियां तार उपकरण बनाने में

2.

कांसा (Bronze)

कॉपर (Cu-88%)+ टिन (Sn -12%)

सिक्के, बर्तन, मूर्तियां जहाजों (Ships) के प्रोपेलर बनाने में

3.

गनधातु (GunMetals)

कॉपर (Cu-88 %)+ टिन (Sn-10%) + जिंक (Zn-2%)

तोप एवं गेयर, बंदूक, बेयरिंग आदि मशीनों के पुर्जे बनाने में

4.

जर्मन सिल्वर

कॉपर (Cu -50-60%)+ जिंक (Zn-35%) + निकेल (Ni-15%) 

मॉडल, बर्तन मूर्तियां विद्युत प्रतिरोध  आदि बनाने में

5.

कृत्रिम स्वर्ण

कॉपर (Cu-90%)+ एल्युमीनियम (Al -10%)

आभूषण मूर्तियां बनाने मे

6.

बेल मेटल

कॉपर (Cu-80 %)+ टिन (Sn-20%)

घंटियां बनाने में

7.

कांस्टैटन कॉपर

कॉपर (Cu-60%)+ निकेल (Ni-40%)

तार प्रतिरोध बॉक्स, थर्मोकपल आदि बनाने में

8.

मोनल मेटल

कॉपर (Cu-28%)+निकेल (Ni-70%) +आयरन (Fe -2-1%)

 

9.

डच मेटल

कॉपर (Cu-80%)+ जिंक (Zn-20%)

मशीनों के पुर्जे सस्ते आभूषण बनाने में

10.

डेल्टा धातु

कॉपर (Cu-55%)+ जिंक (Zn-40%) + आयरन (Fe-40%)

बेयरिंग कपाट जलयानों के पंखे बनाने में

11.

मुंटज धातु

कॉपर (Cu -60%)+ जिंक (Zn-40%)

नावों (Boats) के तख्ते जड़ने में।

12.

फास्फोरस ब्रांज

 

कॉपर (Cu-89%)+ फास्फोरस

(P -10%)  + टिन (Sn-10%)

बेयरिंग, गेयर, िस्प्रंग आदि बनाने में।

13.

इलेक्ट्रॉन धातु

मैग्नेशियम (Mg-95%)+ जिंक

(Zn-4-5%)

हवार्इ जहाज स्वचालित वाहनों का ढांचा

बनाने में।

 

Other Topics


You need to login to perform this action.
You will be redirected in 3 sec spinner