भारतीय स्थापत्य में यूरोपीय प्रभाव (स्थापत्य कला भाग 7)

भारतीय स्थापत्य में यूरोपीय प्रभाव (स्थापत्य कला भाग 7)

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भारतीय स्थापत्य में यूरोपीय प्रभाव (स्थापत्य कला भाग 7)

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

अंग्रेजों के आगमन से पूर्व, वास्तुकला पारंपरिक रूप से सामाजिक –ष्टिकोण से पत्थरों से निर्मित उत्कृष्ट स्थापत्य रचनाएं थीं । अंग्रेजों का आगमन हुआ और उन्होंने पहली प्राथमिक आधुनिक निर्माण और योजना भारत में प्रस्तुत की। लेकिन उनका उद्देश्य था अपने संगठन और जनता और भारत जैसे विशाल साम्राज्य को नियंत्रित करने के लिए जो भी आवश्यक हो करना। अंग्रेजों का इरादा भारतीयों को वास्तुकला और विज्ञान में शिक्षित करना नहीं था। इस शताब्दी के पूर्वार्द्ध में भारत में जो सबसे महत्वपूर्ण वास्तुकला संबंधी विकास हुआ वह था शाही दिल्ली का निर्माण जहां एक ओर समसामयिक यूरोप के लोग वास्तुकला में अत्यंत प्रगतिवादी सोच रखने लगे थे, वहीं दूसरी ओर सर एडवर्ड लुटियंसयन का निर्माण पुनर्जागरण का उदाहरण है, जो उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में यूरोप में प्रचलित सोच का नतीजा है।

 

यूरोपीय स्थापत्य

  • पुर्तगाली प्रभाव - स्थापत्य कला पर इनका प्रभाव गोवा, दमन और. दीव, दादरा और नागर हवेली इत्यादि में परिलक्षित होता है। पुर्तगाली उपनिवेशवादियों ने अनेक चर्च, कैथेड्रल, बैसिलिका आदि निर्मित करवाए जिन पर पुनर्जागरण, बारोक तथा रोकोको स्थापत्य कला का प्रभाव था।
  • फ्रांसीसी - फ्रांसीसी स्थापत्य शैली पुडुचेरी जैसे पूर्व फ्रांसीसी उपनिवेशों में वर्तमान में भी स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है। फ्रांसीसी ग्रिड पैटर्न, स्पष्ट खंड, लम्बवत गलियाँ, विशाल अहाते पुडुचेरी के ‘वाइट टाउन’ या “विले ब्लांच’ की प्रमुख विशेषताएँ हैं।
  • फ्रांसीसी शैली की स्थापत्य कला पुडुचेरी की डूमा स्ट्रीट में ‘जॉन ऑफ आर्क की प्रतिमा’, कराईकल में नियो-गॉथिक शैली में निर्मित ‘ऑफवर लेडी ऑफ एंजेल्स’ गिरिजाघर, चंद्रनगर के ‘सैक्रेड हार्ट’ गिरिजाघर आदि में प्रकट होती है।
  • ब्रिटिश प्रभाव - भारतीय स्थापत्यकला पर सर्वाधिक स्थायी प्रभाव ब्रिटिश स्थापत्य का पड़ा। उनकी विरासत कोलकाता, चेन्नई, दिल्ली इत्यादि नगरों में निर्मित इमारतों तथा अवसंरचनाओं में वर्तमान समय में भी स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है।
  • इंडो - गौथिक शैली गोथिक कला से अभिप्राय तिकोने मेहराबों वाली यूरोपीय शैली से है, जिससे इमारत के विशाल होने का आभास होता है।
  • यह शैली ब्रिटिशों के शासनकाल के दौरान यूरोप से भारत आई। इसे विक्टोरियन शैली भी कहा जाता है। इंडो-गोथिक शैली हिन्दुस्तानी, फारसी और गोथिक शैलियों का शानदार मिश्रण है।
  • इंडो-इस्लामिक वास्तुकला की तुलना में इंडो-गोथिक शैली की दीवारें बहुत पतली होती हैं। इस शैली में मेहराबें नुकीली होती थी।
  • 1833 ईसवी में बना मुंबई का टाउन हॉल तथा 1860 के दशक में मुंबई में बनी कई इमारतें नवशास्त्रीय शैली के उदाहरण हैं जिनमें बड़े-बड़े स्तंभों के पीछे रेखागणितीय संरचनाओं का निर्माण किया गया।
  • नव गौथिक शैली का सबसे अच्छा उदाहरण मुंबई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनल है, जो कभी ग्रेट इंडियन पेनिनसुलर रेलवे कंपनी का स्टेशन और मुख्यालय था। इसे 2004 में विश्व विरासत सूची में शामिल कर लिया गया।
  • आधुनिक भारत में क्षेत्रीय स्थापत्य शैलियाँ दिल्ली में कश्मीरी गेट क्षेत्र में मेटकॉफ हाउस वर्ष 1835 तथा सेंट जेम्स चर्च वर्ष 1836 दिल्ली के सबसे पुराने ब्रिटिश स्थापत्य के नमूने हैं।
  • इसके अलावा टाउन हॉल वर्ष 1866, घंटाघर वर्ष 1868, सेंट स्टीफन कॉलेज वर्ष 1881, हिंदू कॉलेज वर्ष 1866, रामजस कॉलेज वर्ष 1917 आदि उस दौर के महत्त्वपूर्ण स्थापत्य हैं।
  • वर्ष 1911 में नई दिल्ली की देश की नई राजधानी की घोषित किये जाने से पहले ब्रिटिश अधिकारी सिविल लाइंस इलाके में रहते थे।
  • नई राजधानी या नई दिल्ली के स्थापत्य का काम एडविन लैंडसिर लुटियन और हरबर्ट बेकर को सौंपा गया।
  • वाइसरीगल लॉज वायसराय का पहला निवास बना, इसे बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय 1922 ईसवी बना दिया गया।
  • लुटियन के जिम्मे नई दिल्ली शहर एवं गवर्नमेंट हाउस और हरबर्ट बेकर के जिम्मे सचिवालय के दो हिस्से (नॉर्थ और साउथ ब्लॉक) और काउंसिल हाउस को तैयार करने का भार आया।
  • चंडीगढ़ शहर वास्तुकला की दृष्टि से नियोजित शहर है। चंडीगढ़ का मुख्य वास्तुकार फ्रांसीसी वास्तुकार ली कार्बुजियर है। मैथ्यु नोविकी एवं अल्बर्ट मेयर के बहुत से अद्भुत वास्तु के नमूने देखे जा सकते हैं।
  • विक्टोरिया मेमोरियल कोलकाता का निर्माण 1906 से 1921 के बीच अंग्रेजों ने कराया। यह रानी विक्टोरिया की मृत्यु के बाद उनकी स्मृति में बनाया गया।
  • सेंट पॉल कैथेड्रल कोलकाता में स्थित गिरिजाघर है।
  • गेट वे ऑफ इंडिया मुंबई में स्थित है। इसका निर्माण 1911 में कराया गया। इसका निर्माण किंग जॉर्ज पंचम और क्वीन मैरी के भारत आगमन पर उनके स्वागत में कराया गया।
  • भारतीयों द्वारा बनवाए गए ब्रिटीशकालीन स्थल ब्रिटिश काल में भारतीयों ने भी अपनी स्थापत्य कला के उदाहरण पेश किए
  • उमैद भवन पैलेस ख्रजोधपुर, बिरला मंदिर, दिल्ली, ताज होटल, मुंबई

 

स्वतन्त्रता के बाद

  • आधुनिक काल के हिन्दू मंदिर बिरला परिवार द्वारा बनवाए गए मंदिर आधुनिक स्थापत्य कला का सुंदर नमूना हैं। भारत में लगभग 20 बिरला मंदिर हैं।
  • सोमनाथ मंदिर महमूद गजनवी द्वारा नष्ट कर दिया गया था, जिसे स्वतन्त्रता के बाद 1951 में संसद द्वारा कानून बनाकर पुन: तैयार किया गया। इसमें प्राचीन और आधुनिक कला का बेजोड़ नमूना है।
  • इस्कॉन भगवान कृष्ण के मंदिरों को समर्पित है। देश- दुनिया में इन मंदिरों कि बड़ी श्रृंखला है।

 

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