राष्ट्रीय आय एवं अन्य मानक

राष्ट्रीय आय एवं अन्य मानक

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राष्ट्रीय आय एवं अन्य मानक

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

वस्तु और सेवाओं के समस्त मूल्य को प्रदर्शित करते हुए मुद्रा वर्तुल पथ पर गमन करती है। वस्तु और सेवाओं के समस्त मूल्यों का एक वर्ष के दौरान जो आंकलन करते हैं वह राष्ट्रीय आय कहलाता है। राष्ट्रीय आय को मापने के लिए मुख्यतः तीन विधियों का प्रयोग किया जाता है

1. आय विधि

2. व्यय विधि

3. उत्पादन विधि

सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में किसी घरेलू अर्थव्यवस्था के अंतर्गत एक वर्ष के दौरान अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के समस्त उत्पादन की माप की जाती है लेकिन इसका संपूर्ण उत्पादन देश की जनता को प्राप्त नहीं हो सकता है। भारत में सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय का आंकलन करने का श्रेय दादा भाई नौरोजी को जाता है, जिन्होंने 1868 में किया था। इनके बाद भी समय पर कई अर्थशास्त्रियों ने भारत की राष्ट्रीय आय का आंकलन किया। वर्तमान समय में राष्ट्रीय आय के आंकलन व अवमूल्यन का कार्य केन्द्रीय सांख्यिकीय कार्यक्रम मंत्रालय के केन्द्रीय सांख्यिकीय संगठन (CSO) के द्वारा किया जाता है।

 

राष्ट्रीय आय एवं अन्य मानक

राष्ट्रीय आय-किसी भी देश के उत्पादित उपयोग तथा उपभोक्ता को मिलने वाले आर्थिक लाभ के विषय में अध्ययन राष्ट्रीय आय एवं उत्पादन के अंतर्गत किया जाता है। अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन तथा उनमें होने वाली वृद्धि को राष्ट्रीय आय में रखा जाता है। राष्ट्रीय आय के तहत किसी भी देश की आर्थिक स्थिति का आंकलन किया जाता है।

नोट- भारत की राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय का अवलोकन सर्वप्रथम शिक्षा शास्त्री पारसी बुद्धिजीवी “दादा भाई नौरोजी‘‘ ने किया था। दादा भाई नौरोजी के अनुसार वर्ष 1868 में प्रति व्यक्ति आय 20 बताई गई थी।

राष्ट्रीय आय से अभिप्राय- एक राष्ट्र की एक वर्ष में आर्थिक क्रियाकलापों के फलस्वरूप उत्पादित अंतिम वस्तु एवं सेवा के मौद्रिक मूल्य के योग से है। इसके अंतर्गत सभी अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य को समायोजित किया जाता है। जो घरेलू सीमा अथवा उसके बाहर रहकर उत्पादित की गई है। इसके अंतर्गत विदेशों से अर्जित साधन आय को भी शामिल किया जाता है।

राष्ट्रीय आय लेखांकन- उत्पादन उपभोग वितरण के बारे में जो नियोजित रूप से लेखा-जोखा रखता है, उसे देश की राष्ट्रीय आय का लेखांकन कहा जाता है। राष्ट्रीय आय लेखांकन के अंतर्गत एक वित्तीय वर्ष में किसी देश की अर्थव्यवस्था के कुल आय को मापा जाता है। राष्ट्रीय आय लेखांकन का जन्मदाता अमेरिकी अर्थशास्त्री ‘‘साइमन कुजनेट्स‘‘ को माना जाता है।

साइमन कुजनेट्स को आर्थिक और अंतर्दृष्ट गहरा सामाजिक संरचना में शोध करने के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार 1971 में प्रदान किया गया।

साइमन कुजनेट्स का जन्म बेलारूस में हुआ था लेकिन उन्होंने बाद में अमेरिकी नागरिकता अपना ली थी।

·                     संयुक्त राष्ट्र संघ ने विभिन्न देशों की आर्थिक क्रियाकलापों के अध्ययन के लिए 1960 ईसवी से एक प्रमाणित राष्ट्रीय आय लेखा प्रणाली को विकसित किया था। 

राष्ट्रीय आय लेखांकन में अन्तरः

 

(I)

किसी एक निश्चित वर्ष में उत्पादित अंतिम वस्तु एवं सेवाओं के कुल मौद्रिक मूल्य को राष्ट्रीय आय कहते हैं।

(I)

एक वित्तीय वर्ष में वस्तुओं के उत्पादन उपभोग एवं वितरण से संबंधित सांख्यिकी लेखा-जोखा है।

(II)

राष्ट्रीय आय, अर्थव्यवस्था की निरन्तर विकास का सूचित करता हैं

(II)

राष्ट्रीय आय लेखांकन के अंतर्गत अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की कार्यशक्ति को सूचित किया जाता है।

(III)

राष्ट्रीय आय में अर्थव्यवस्था का संक्षिप्त एवं सुव्यवस्थित चित्रण प्रस्तुत किया जाता है।

(III)

राष्ट्रीय आय लेखांकन में अर्थव्यवस्था की वृहद का सुचना, प्रस्तुत कि जाती है।

 

§     महत्वपूर्ण तथ्य-

·                     भारतीय राष्ट्रीय आय की गणना केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन के द्वारा की जाती है।

·                     भारत में राष्ट्रीय आय समिति का गठन सर्वप्रथम 1949 में किया गया था जिसे अध्यक्ष पी. सी. महालनोबिस थे जबकि, आई. वी. राव एवं गाडगिल इसके सदस्य थे।

·                     वर्तमान समय में राष्ट्रीय आय के अनुमान लगाने का आधार वर्ष 2011-12 है इस वर्ष को 30 जनवरी, 2015 से लागू किया।

·                     आधुनिक राष्ट्रीय लेखा प्रणाली के जनक ग्रेगरी किंग को माना जाता है।  

§      किसी देश के आर्थिक विकास का सही सूचक स्थिर कीमत पर राष्ट्रीय आय का आकलन है।

§     राष्ट्रीय आय

राष्ट्रीय आय निश्चित वर्ष में उस देश द्वारा उत्पादित सभी वस्तुओं तथा सेवाओं का कुल मौद्रिक मूल्य है। राष्ट्रीय आय की वृद्धि से किसी भी देश की प्रगति को जानने में सहायता प्राप्त होती है।

एक देश को एक निश्चित वर्ष के विभिन्न आर्थिक गतिविधियों जिसके अंतर्गत मजदूरीए ब्याज, किराया मुनाफा, सभी संसाधनों के लिए किये गये भुगतान को शामिल किया जाता है, कुल जितने का लेन-देन मुनाफा

आदि होता है वह राष्ट्रीय कहलाता है।

राष्ट्रीय आय को गिनने की विधि को राष्ट्रीय आय लेखा कहा जाता है।

राष्ट्रीय आय = C+1G-(X-M)

राष्ट्रीय आय = उपभोग व्यय़़ + निवेश व्यय + सरकारी व्यय - मशीनों की घिसावट व्यय + निर्यात एवं आयात के मूल्यों का अंतर    

 

§     राष्ट्रीय आय से संबंधित मुख्य तथ्य

1. राष्ट्रीय आय को मुद्रा के रूप में मापा जाता है।

2. भारत में सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय का अवलोकन दादा भाइ नौरोजी ने 1868 में किया था।

3. अमेरिकी अर्थशास्त्री एस. फिशर ने वर्ष 1911 में राष्ट्रीय आय का अवलोकन किया एवं प्रति व्यक्ति आय 49 बताया था।

4. भारत में राष्ट्रीय आय का आकलन केन्द्रीय सांख्यिकीय संगठन के द्वारा किया जाता है। C.S.O केंद्रीय सांख्यिकीय संगठनद्ध स्थापना 2 मई, 1951 को की गई, जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। प्रतिवर्ष राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस 29 जून को पी. सी. महालनोबिस के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

5. राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग को सन् 2005 में पूर्णकालिक आयोग के रूप में बदल दिया गया जिसके पहले अध्यक्ष सुरेश तेन्दुलकर को बनाया गया। 

राष्ट्रीय आय में सम्मलित तथ्य

1. राष्ट्रीय आय में वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य को शामिल किया जाता है न कि मध्यवर्ती वस्तुओं के मूल्य को।

2. पुरानी वस्तुओं के मूल्य को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता है।

3. राष्ट्रीय आय से घरेलू सेवाओंय जैसे- कपड़ा धोना, खाना बनाना आदि को शामिल नहीं किया जाता है।

4. भारतीय निवासियों द्वारा विदेशों में उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य को राष्ट्रीय आय के अंतर्गत शामिल किया जाता है।

5. पेंशन भत्ता जैसे हस्तांतरण भुगतान को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता है।

 

                स्‍वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व भारत में राष्‍ट्रीय आय संबंधी आकलन-

 

 

व्यक्ति/संख्या

वर्ष

प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय (रुपए में)

1.

दादा भाई नौरोजी

1868

RS. 20

2.

मेजर एल्विन बेरिंग

1882

RS. 27

3.

एस. फिशर

1911

RS. 49

4.

वाडिया तथा जोशी

1913

RS. 44

 

नोटः विलियम डिग्वी ने ब्रिटिश शासन के दौरान कई अकालों के बारे में अवलोकन करते हुए जिसमें 1870 के दशक का अकाल प्रमुख था। इन अकालों के लिए ब्रिटिश शासन की नीतियों को जिम्मेदार बताया

 

·                     राष्ट्रीय आय की गणना

राष्ट्रीय आय की गणना साधन लागत (Factor Cost fe) तथा बाजार लागत (Market cost Me) के रूप में की जाती है। (लागत किसी उत्पाद को निर्मित करने में व्यय है जो कारकों की मूल्य को जोड़कर निकाली जाती है। किसी उत्पाद के मूल्य में अप्रत्यक्ष कर जोड़ दिए जाते हैं और उत्पादन का लाभ निकाला जाता है।)

1. साधन लागत (Factor Cost fe) -

साधन लागत निवेशित लागत है जिसे उत्पादक उत्पाद के उत्पादन प्रक्रिया के दौरान उसके कारकों के लिए भुगतान करता है।

उत्पादक वस्तु का मूल्य कारकों के लागत का आकलन के बाद निर्धारित किया जाता है।

प्रमुख कारक- कच्चा माल, किराया, ऋण का ब्याज, मजदूरी, उत्पादन कर्ता का लाभ तकनीकी खर्चा इत्यादि।

2. बाजार लागत (Market Cost Me) - किसी उपभोक्ता द्वारा उपभोग की वस्तु तथा सेवा खरीदते समय किसी विक्रेता को अदा करता है। बाजार लागत साधन लागत पर शुद्ध अप्रत्यक्ष कर को जोड़ने के बाद निर्धारित की जाती है।

नोट -

1. सरकार के द्वारा उत्पादन कार्य के लिए दिए गए अनुदान को साधन लागत में नहीं जोड़ा जाता है, जबकि साधन लागत में सरकार को भुगतान किए गए कर को शामिल किया जाता है।

2. भारत में राष्ट्रीय आय की गणना साधन लागत के आधार पर की जाती है इसलिए बाद में शुद्ध अप्रत्यक्ष करों को जोड़ा जाता है।

3. वर्ष 2015 से केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना को बाजार मूल्य पर किया जा रहा है।

चालू एवं स्थिर कीमतों के आधार पर राष्ट्रीय आय

राष्ट्रीय आय की गणना में मूल्य को लिया जाता है। मूल्य मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं

1. स्थिर मूल्य

2. चालू मूल्य

1. स्थिर मूल्य-किसी उत्पाद का विगत आर्थिक वर्ष के स्तर पर बिक्री मूल्य को स्थिर मूल्य कहते हैं। किसी उत्पाद के मूल्य के लिए निर्धारित किए गए आधार वर्ष से वर्तमान समय तक जो मूल्य वृद्धि हुई है उसे किसी उत्पाद का स्थिर मूल्य पर कहा जाता है।

नोट- आधार वर्ष 2011-12 है जिसे 30 जनवरी 2015 से लागू किया गया।

2. चालू मूल्य- जब राष्ट्रीय आय को बाजार में प्रचलित किसी उत्पाद पर जो अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) पर मापा जाता है उसे चालू मूल्य पर राष्ट्रीय आय कहते हैं। किसी उत्पाद का चालू मूल्य उसके स्थिर मूल्य में आधार वर्ष से अब तक की मुद्रास्फीति को जोड़कर प्राप्त किया जाता है।

 

राष्ट्रीय आय को मापने की विधियाँ

अमेरिकी अर्थशास्त्री साइमन कुजनेट्स ने 60 वर्षों तक अमेरिका जापान व यूरोप के लगभग 147 देशों के आर्थिक सांख्यिकीय संकेतों को एकत्रित करके उनका विश्लेषण किया जिसके तहत उन्होने राष्ट्रीय आय के मापन की कुल तीन विधियां बताई हैं

 

                    राष्ट्रीय आय को मापने की विधियाँ

उत्पादन गणना विधि

आय गणना विधि

उपभोग बचत विधि

 

उत्पादन गणना विधि- इसके अंतर्गत एक वित्तीय वर्ष में । उत्पादित अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं का शुद्ध मूल्य ज्ञात किया जाता है तथा उसे अन्तिम उत्पाद योग मूल्य कहा जाता है जो सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को दर्शाता है। राष्ट्रीय आय प्राप्त करने के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के मूल्य में विदेशों से अर्जित शुद्ध आय को जोड़ दिया जाता है एवं मूल्य ह्रास को घटा दिया जाता है।

·         सकल घरेलू उत्पाद बाजार कीमत पर

(GDP at M.P.)- एक वित्तीय वर्ष में अर्थ व्यवस्था में

उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं का बाजार मूल्य

·         सकल घरेलू उत्पाद साधन लागत पर (GDP at fe)- सकल घरेलू उत्पाद बाजार कीमत पर (GDP(mp)) अप्रत्‍यक्ष्‍ा कर (IT)+ सब्सिडी

·         शुद्ध घरेलू उत्पादन साधन लागत पर (NDP at Fc)= सकल घरेलू उत्पाद साधन लागत पर - मूल्य ह्रास

·         शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद साधन लागत पर (NDP at Fc)= शुद्ध घरेलू उत्पाद साधन लागत पर विदेशों से प्राप्त शुद्ध आय

 

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