लोकसंगीत चित्रपट संगीत एवं भजन गीत भाग - 3

लोकसंगीत चित्रपट संगीत एवं भजन गीत भाग - 3

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लोकसंगीत  चित्रपट संगीत एवं भजन गीत भाग - 3

 

विश्लेणात्मक अवधारणा

शास्त्रीय संगीत में कुछ विशेष नियमों का पालन करना बहुत आवश्क होता है जबकि उपशास्त्रीय संगीत में भी नियम होते हैं किंतु यहां इन नियमों का पालन आंशिक रूप से होता है। भाव संगीत में शास्त्रीय संगीत जैसा कोई नियम या बंधन नहीं होता है। भाव संगीत का मुख्य उद्देश्य है मनोरंजन करना। अर्थात जो कानों को अच्छा लगे वो भाव संगीत हुआ, इसमें जरूरी नहीं की राग को नियम के अनुसार ही गयां जाए, ये भी जरूरी नहीं की आलाप, तान, सरगम प्रयोग किए जाएं।

 

लोक संगीत

  • काल और स्थान के अनुसार गाये जाने वाले संगीत को लोक संगीत कहा जाता है। इसे लोक अंचल की भाषा में गाया जाता है।
  • शास्त्रीय संगीत में तबले एवं सितार का प्रयोग होता है, वहीं लोक संगीत में ढोलक, ढपली, एकतारा, दोतार संतूर इत्यादि का प्रयोग होता है।
  • लावणी महाराष्ट्र का एक प्रमुख लोक संगीत है। यह संगीत उपकरण ढोलकी पर गाया जाता है।
  • पंडवानी राजस्थान का एक लोक संगीत है। यह छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और झारखंड में प्रसिद्ध है।
  • विट्ठल या विठोबा की स्तुति में अभंग नामक छंद गाये जाते हैं। इसका शुरुआती वर्णन 13वीं सदी में मिलता है। यह महाराष्ट्र में प्रसिद्ध है।
  • बिहू गीत असम का लोकगीत है जो बिहू त्यौहार के अवसर पर गया जाता है।
  • पोवाडा महाराष्ट्र का एक लोक संगीत है। यह वीर रस पर आधारित लोक संगीत है।
  • गरबा गुजरात का अन्य प्रसिद्ध लोकगीत और नृत्य है। इसे महिलाओं द्वारा अनेक त्यौहारों विशेष रूप से नवरात्रि के मौके पर किया जाता है।

 

भजन संगीत

  • एक भजन या कीर्तन एक हिंदु भक्ति गीत है, जो अक्सर प्राचीन मुल का है। कीर्तन वेद की परंपरा में गहरार्इ से निहित हैं।
  • भजनों में अक्सर दिव्य भाषा में सरल गीत होते हैं।
  • सिखों के धर्मग्रंथ में 31 राग और 17 ताल हैं, जो कीर्तन संगीत रचनाओं का आधार हैं।
  • दक्षिण भारत में भजन का पारंपरिक रूप संप्रदाय भजनों के रूप में जाना जाता है।

 

चित्रपटीय संगीत

  • भारतीय चित्रपटीय संगीत का प्रारंभ उस कालखण्ड से आरंभ हुआ जब चित्रपट के नायक एवं नायिका स्वयं ही अपने गीत गाते और अभिनय करते थे।
  • हिन्दी फिल्म संगीत में प्रथम फिल्म आलम आरा की 1931 ईसवी में रिकॉडिंग हुई।
  • पहली बोलती फिल्म “आलम आरा” एक संगीत प्रधान फिल्म थी। इस फिल्मे के संगीतकार थे डब्ल्यू.एम.खां थे, जिसमें उनका गाया गीत था “दे दे खुदा के नाम प्यारे”।
  • “आलम आरा” से ही गायिका-अभिनेत्री जुबैदा का उदय हुआ था
  • 1960 से 1970 के दशक में संगीतकार नौशाद, ओ.पी. नैयर, मदन मोहन, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, एस.डी. बर्मन, रविन्द्र जैन आदि ने अपनी अलग पहचान बनाई।
  • मोहम्मद रफी, मन्ना डे, किशोर कुमार, मुकेश, सुरेश वाडेकर, उदित नारायण, कुमार शानू, सोनू निगम, शान आदि ने अपनी सुरीली आवाज से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
  • आलम आरा के कुछ समय बाद बनी फिल्म “इन्द्रसभा” में कुल 71 गाने शामिल किये गये।
  • वर्ष 1933 में बनी फिल्म “पुरन भगत” में राय चन्द्र बोराल ने सबसे पहले ऑर्केस्ट्रा का प्रयोग किया था।
  • पाश्र्वसंगीत (बैकग्राउंड म्यूजिक) की शुरुवात “अमृत मंथन” (1934) से हुयी। यह फिल्म प्रभात फिल्म कम्पनी ने बनाई थी जिसके निर्देशक वी.शांतराम थे।
  • अनिल विश्वास को हिंदी फिल्म संगीत का भीष्म पितामह कहा जाता है।
  • भारत पाक विभाजन के समय कुछ प्रसिद्ध गायक-गायिकायें, संगीतकार पाकिस्तान चले गये। जिसमें प्रमुख थे - गुलाम हैदर, फिरोज निजामी, नूरजहां, खुर्शीद, सितारा कानपुरी, उमराव जिया बेगम, जीनत बेगम, नसीम अख्तर आदि।
  • मुकेश, मोहम्मद रफी और किशोर कुमार को सुर संगम कहा जाता है।

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