कार्बनिक रसायन, हाइड्रोकार्बन एवं ईंधन

कार्बनिक रसायन, हाइड्रोकार्बन एवं ईंधन

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कार्बनिक रसायन, हाइड्रोकार्बन एवं ईंधन

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

 

कार्बनिक रसायन के अन्तर्गत कार्बनिक अणुओं एवं यौगिकों के संश्लेषण, संरचना, गुणधर्म पारस्परिक क्रियाओं तथा अनुप्रयोगों का अध्ययन किया जाता है। प्रारम्भ में कार्बनिक रसायन का अध्ययन क्षेत्र सजीवों द्वारा उत्पन्न जैविक पदाथोर्ं तक सीमित था परन्तु, मानव द्वारा अनेक कार्बनिक पदाथोर्ं के संश्लेषण के पश्चात इसका अध्ययन क्षेत्र व्यापक हुआ है। इसके अन्तर्गत हाइड्रोकार्बन्स, पैट्रो रसायनों, विस्फोटकों, बहुलकों, रेशों, औषधियों, आदि का अध्ययन समाहित है। हमारे भोजन के प्रमुख घटक जैसे- कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा आदि भी कार्बनिक यौगिक हैं।

 

आधुनिक परिभाषा के अनुसार, रसायन विज्ञान वह शाखा, जिसके अन्तर्गत कार्बनिक यौगिकों का अध्ययन करते हैं, उसे कार्बनिक रसायन कहते है। ‘‘कार्बनिक यौगिक जो C और H के संश्लेषण से बनते हैं उन्हें हाइड्रोकार्बन कहते हैं। इस आधार पर कार्बनिक रसायन की परिभाषा होगी- ‘‘रसायन विज्ञान की वह शाखा, जिसमें हाइड्रोकार्बन और उनके व्युत्पन्न यौगिकों का अध्ययन करते हैं। उसे कार्बनिक रसायन कहते है।’’ पहले यह समझा जाता था कार्बनिक यौगिक केवल ये यौगिक केवल प्रकृति द्वारा सजीवों से ही निर्मित हो सकते हैं एवं कार्बन के यौगिकों के संश्लेषण के लिये एक ‘जीवन शक्ति’ आवश्यक है। फ्रेडरिक वोहलर ने अमोनियम सायनेट से यूारेया बनाकर धारणा को असत्य साबित किया। कार्बन, कार्बोनेट तथा बाइकार्बोनेट लवणों के अतिरिक्त सभी कार्बन यौगिकों का अध्ययन मुख्य रूप से कार्बनिक रसायन में होता है।

\[{{(N{{H}_{4}})}_{2}}S{{O}_{4}}{\scriptscriptstyle 1\!/\!{ }_4}veksfu;elYQsV{\scriptscriptstyle 1\!/\!{ }_2}+2KCNO\,\,(iksVsf';e lk;usV)\to \]\[2N{{H}_{4}}CNO\left( veksfu;e lk;usV \right)+{{K}_{2}}S{{O}_{4}}\to {{(N{{H}_{4}})}_{2}}CNO\to \]

\[N{{H}_{2}}CON{{H}_{2}}(;qfj;k)\]

1844 र्इ. में कोल्बे ने ऐसिटिक अम्ल का संश्लेषण कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन की सहायता से किया। 1856 र्इ. में बर्थेलोट ने मीथेन का संश्लेषण किया।

कार्बन-कार्बन परमाणु के बीच सहसंयोजी बंध के प्रकार के आधार पर कार्बनिक यौगिक दो प्रकार के होते हैं- संतृप्त यौगिक, असंतृप्त यौगिक।

 

संतृप्त यौगिक  ऐसे कार्बनिक यौगिक जिनमें कार्बन-कार्बन परमाणु एकल बंध (Single Bond) से जुड़े रहते हैं। उन्हें संतृप्त यौगिक (Saturated Compund) कहते हैं, उदाहरण- मेथेन, एथेन, प्रोपेन, ब्यूटेन। 

 

असंतृप्त यौगिक

जब कार्बन परमाणुओं के बीच द्वि या त्रि-बंध (Double or Triple Bond) होते हैं। वे असंतृप्त यौगिक (Unstaturated Compund) कहलाते हैं, उदाहरण- एथीन, एथाइन। सामान्यत: ये यौगिक संतृप्त यौगिक की तुलना में अधिक अभिक्रियाशील होते हैं।

 

मूलक (Radical)

ये सामान्यत: एल्किल मूलक या ऐरिल मूलक होते हैं। संबंधित मूलक हाइड्रोकार्बन से एक हाइड्रोजन परमाणु का प्रतिस्थापन करने के बाद शेष बचे हुए भाग को मूलक कहते हैं। संतृप्त हाइड्रोकार्बन ऐल्केन से एक हाइड्रोजन प्रतिस्थापन के बाद शेष बचा भाग ऐल्किल मूलक (Alkyl radiclas) और ऐरोमेटिक हाइड्रोकार्बन (जैसे- बेंजीन \[{{C}_{6}}{{H}_{5}}\]) से एक हाइड्रोजन प्रतिस्थापन के बाद शेष बचे हुए भाग को एरिल मूलक (Alkyl radical जैसे - \[{{C}_{6}}{{H}_{5}}\]फेनिल) कहते हैं।

 

क्रियात्मक या लाक्षणिक समूह

कार्बनिक यौगिक के अणु में उपस्थित कोर्इ परमाणु या परमाणुओं का वह समूह जो रासायनिक क्रिया में अपनी विशिष्ट पहचान दर्शाता है और यौगिक के भौतिक रासायनिक व्यवहार को निर्धारित करता है। उसे क्रियात्मक समूह या लाक्षणिक समूह (Fundamental group) कहते है। कार्बनिक यौगिकों को उनकी संरचना अथवा क्रियात्मक समूहों के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।

सजातीय श्रेणी (Homologous Series)- कार्बनिक यौगिकों की वह श्रेणी जिसके सभी सदस्यों में एक ही क्रियाशील मूलक उपस्थित रहता है, जिसके सदस्यों के रासायनिक गुणों एवं संरचना में परस्पर समानता उपस्थित होती है और जिसके किसी भी दो क्रमागत सदस्यों के मध्य में हमेशा \[-C{{H}_{2}}-\] का अंतर रहता है उसे ‘सजातीय श्रेणी’ कहते हैं तथा इसके सदस्य परस्पर समजात (Homologous) कहलाते हैं। कार्बनिक रसायन में पार्इ जाने वाली यह घटना सजातीयता (Homology) कहलाती है।

 

समावयवता- कार्बनिक रसायन में ऐसे कर्इ यौगिक होते हैं जिनका अणुसूत्र एक ही होता है, परन्तु उनके संरचना ‘सूत्रों, भौतिक गुणों और रासायनिक गुणों में अन्तर होता है। ऐसे यौगिक एक दूसरे के समावयवी (Isomer) कहलाते हैं। इस परिघटना को समावयवता (Isomerism) कहते हैं लेकिन अकार्बनिक यौगिकों में यह गुण ‘बहुत कम होता है।

 

हाइड्रोकार्बन

ये सरलतम कार्बनिक यौगिक हैं। इनमें केवल कार्बन और हाइड्रोजन होते हैं। प्रकृति में हाइड्रोकार्बन पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और कोल से प्राप्त होते हैं। अन्य सभी कार्बनिक यौगिकों को इन हाइड्रोकार्बनों के हाइड्रोजन परमाणुओं को उपयुक्त क्रियात्मक समूहों द्वारा विस्थापन से निर्मित किया जा सकता है। हाइड्रोकार्बन्स को पर्याप्त ऑक्सीजन की उपस्थिति में जलाने पर कार्बन डाइऑक्साइड, जल एवं ऊष्मा उत्पन्न करते हैं, इसलिए हाइड्रोकार्बन्स को अच्छा र्इंधन माना जाता है।

हाइड्रोकार्बन का वर्गीकरण

इनकी संरचना एवं सक्रियता के आधार पर मुख्यत: चार वगोर्ं में विभाजित किया जा सकता है- (i) ऐल्केन और साइक्लोपैराफिन (ii) ऐल्कीन (iii) ऐल्काइन (iv) ऐरीन।

हाइड्रोकार्बन शैल रसायन (Petrochemicals) अनेक महत्वपूर्ण व्यावसायिक उत्पादों के निर्माण के लिए मुख्य प्रारंभिक पदार्थ हैं। घरेलू र्इंधन तथा स्वचालित वाहनों के प्रमुख ऊर्जा स्रोत द्रवित पेट्रोलियम गैस (Liquified petroleum gas) तथा संपीडित प्राकृतिक गैस सी.एन. जी (Compressed natural gas) है।

 

र्इंधन

र्इंधन वे पदार्थ हैं, जिन्हें जलाए जाने पर वे वायु (ऑक्सीजन) के सम्पर्क में आकर ऊष्मा उत्पन्न करते हैं। इस प्रकार के पदार्थ में एक अथवा एक से अधिक दहनशील तत्वों (Combustible Element) की उपस्थिति होती है, जैसे- कार्बन, हाइड्रोजन, सल्फर आदि।

 

दहन

किसी र्इंधन तथा ऑक्सीजन के मध्य उच्च ताप पर पूर्ण होने वाली रासायनिक अभिक्रिया, जिसमें र्इंधन के जलने पर ऊष्मा (Heat) उत्पन्न होती है, दहन (Combustion) कहलाती है। दहन की प्रक्रिया के दौरान र्इंधन की रासायनिक ऊर्जा (Chemical Energy) ऊष्मीय ऊर्जा (Thermal Energy) में रूपांतरित होती है।

 


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