ऊर्जा संसाधन

ऊर्जा संसाधन

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ऊर्जा संसाधन

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

किसी भी राष्ट्र, राज्य या संस्कृति के विकास में ऊर्जा संसाधनों का महत्वपूर्ण स्थान होता हैं। प्रस्तुत पाठ: ऊर्जा संसाधन’’ के अध्ययन से हम भारत पर पाए जाने वाले विशिष्ट ऊर्जा संसाधनों के भौगोलिक वितरण, आर्थिक विकास में ऊर्जा संसाधनों के महत्व, परम्परागत और गैर-परम्परागत ऊर्जा के संसाधनों के बीच अंतर को समझ सकेंगे। भारत के मानचित्र में उन भिन्न-भिन्न क्षेत्रों को इंगित कर सकेंगे जहां ऊर्जा संसाधन उपलब्ध हैं। ऊर्जा संसाधनों के संरक्षण हेतु सुझाव दे सकेंगे।

     

 परंपरागत ऊर्जा स्रोत

  • ऊर्जा के ऐसे स्रोत जिनका उपयोग ऊर्जा उत्पादन हेतु प्राचीन काल से किया जा रहा है परंपरागत ऊर्जा स्रोत कहलाते हैं।
  • जैस- कोयला, खनिज, पेट्रोल, चारकोल, सूखा गोबर, प्राकृतिक गैस आदि।

 

गैरपरंपरागत ऊर्जा स्रोत

  • ऐसे स्रोत जिनका प्रयोग पिछले कुछ ही दशकों से परंपरागत ऊर्जा स्रोतों के दबाव कम करने के लिए किया जा रहा है, गैर परंपरागत स्रोत कहलाते हैं।
  • जैसे-सौर ऊर्जा पवन ऊर्जा, परमाणु ऊर्जा, समुद्र तापीय ऊर्जा भूतापीय, ज्वारीय ऊर्जा, बायोमास, आदि।

 

नवीनीकरणीय ऊर्जा स्रोत

  • ऊर्जा के ऐसे स्रोत जिनका उपयोग पुन: या सतत् रूप से किया जा सकता है। नवीनीकरणीय ऊर्जा स्रोत कहलाते हैं।
  • इन स्रोत से प्राप्त ऊर्जा को नवीनीकरणीय ऊर्जा कहते है। जैसेसौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, जलीय ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा आदि।

 

अनवीनीकरणीय ऊर्जा स्रोत

  • ऊर्जा के ऐसे स्रोत जिनकी उपलब्धता सीमित है एवं जिनका उपयोग पुन: नहीं किया जा सकता, अनवीनीकरणीय ऊर्जा स्रोत कहलाते हैं।
  • इन स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा को अनवीनीकरण ऊर्जा कहते है। जैसे परमाणु ऊर्जा, कोयला, पेट्रोल, प्राकृतिक गैस आदि।

 

ताप विद्युत

  • कोयला, डीजल एवं प्राकृतिक गैस द्वारा ऊर्जा उत्पन्न करने की प्रणाली तापीय ऊर्जा कहलाती है।
  • यह प्राकृतिक ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है। जिन स्थानों पर इस माध्यम से ऊर्जा उत्पन्न की जाती है उन्हें ताप विद्युत केन्द्र कहते हैं।
  • भारत में तापीय ऊर्जा को बढ़ावा देने, बेहतर प्रबंधन, नियंत्रण आदि के उद्देश्य से वर्ष 1975 में विश्व बैंक के सहयोग से NTPC (राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम) की स्थापना की गर्इ।

 

परमाणु ऊर्जा

  • परमाणु खनिज जैसे यूरेनियम, थोरियम, प्लूटोनियम आदि के उपयोग से ऊर्जा उत्पन्न करने की प्रणाली परमाणु ऊर्जा कहलाती है।
  • जिन स्थानों में इस प्रणाली से ऊर्जा उत्पादन होता है उन्हें परमाणु ऊर्जा केन्द्र कहते हैं।
  • भारत का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा केन्द्र कुडनकुलम (तमिलनाडु) है।
  • पूर्णत: स्वेदशी तकनीकी से निर्मित परमाणु ऊर्जा केन्द्र कैगा (कर्नाटक) है।

 

जल ऊर्जा

  • जल एक चक्रिय संसाधन है जिसका उपयोग ऊर्जा उत्पादन के लिए किया जाता है। प्रवाहित जल को बीच में रोककर टारबाइन प्रौद्योगिकी के प्रयोग से जल विद्युत का उत्पादन किया जाता है।
  • जिस स्थान में इस प्रणाली से ऊर्जा उत्पन्न की जाती है उन्हें जल विद्युत केन्द्र कहते हैं।
  • भारत के प्रथम जल विद्युत केन्द्र की स्थापना 1897 में सिद्रापोंग दार्जिलिंग, बंगाल में की गर्इ थी। इसके पश्चात दूसरे जल विद्युत केन्द्र. की स्थापना 1902 में कावेरी नदी मे शिव-समुद्रम् नामक स्थान पर की गर्इ।
  • भारत में जल ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए 1975 में राष्ट्रीय जल विद्युत ऊर्जा निगम (NHPC) की स्थापना की गर्इ है।

 

सौर ऊर्जा

  • इस प्रणाली के अंतर्गत सौर विकिरण को सोलर फोटो वोल्टिक सेल के माध्यम से सौर विकिरण को सीधे विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।
  • भारत में लगभग 300 दिन प्रत्यक्ष रूप से पर्याप्त मात्रा में सौर विकिरण प्राप्त होता है। अत: यहां सौर ऊर्जा के विकास की स्वर्णिम् संभावनाएं विद्यमान है।
  • देश के प्रतिवर्ग किलोमीटर में 20MW सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है।
  • भारत में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सौर ऊर्जा मिशन 2022 की शुरूआत की गर्इ है। इसका उद्देश्य प्रतिवर्ष 100GW ऊर्जा उत्पादन करना है।
  • राजस्थान के जोधपुर जिले के मथानिया गांव में सौर ताप ऊर्जा केन्द्र की स्थापना की गर्इ है।
  • हरियाणा के गुरूग्राम जिले के ग्वालपहाड़ी नामक जगह पर फ्रांस के सहयोग से सौर ऊर्जा अनुसंधान केन्द्र स्थापित किया गया।
  • गुजरात में स्थित चरकापार्क अमेरिका के पश्चात दूसरा सबसे बड़ा फोटो वोल्टिक स्टेशन है।
  • भारत, कर्क रेखा पर स्थित देशों के समूह सौर ऊर्जा संगठन (सोलर एलाइंस) का सदस्य है। फ्रांस के सहयोग से स्थापित इस संस्था का मुख्यालय गुरूग्राम है।

 

पवन ऊर्जा

  • हवा में गतिज ऊर्जा होती है। जिसका उपयोग पवन चक्कियों (टराबइन) की सहायता से बिजली बनाने एवं सिंचार्इ करने में किया जाता है।
  • गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल पवन ऊर्जा के आदर्श क्षेत्र है।
  • पवन ऊर्जा के विकास के लिए चेन्नर्इ में पवन ऊर्जा प्रौद्योगिकी केन्द्र की स्थापना की गर्इ है।
  • मुप्पनड्ल (तमिलनाडु) के पवन ऊर्जा फार्म में विश्व के सर्वाधिक पवन टरबाइन लगाए गये हैं। राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान चेन्नर्इ में स्थित है।
  • भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा पवन ऊर्जा उत्पादक देश हैं। (प्रथम, द्वीतीय, तृतीय स्थान पर क्रमश: चीन, अमेरीका और जर्मनी हैं।)
  • भारत में पवन ऊर्जा का सर्वाधिक उत्पादन क्रमश: तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात व राजस्थान करते है।

 

ज्वारीय ऊर्जा

  • अत्यधिक ज्वारीय विस्तार वाले तटीय क्षेत्रों में ज्वारीय बल का उपयोग विद्युत उत्पादन हेतु किया जाता है।
  • संकरी खाड़ी के आर-पार बांध द्वार बनाए जाते हैं। उच्च ज्वार में इस संकरे खाड़ीनुमा प्रवेश द्वार से पानी भीतर भर जाता है और द्वार बन्द होने पर बांध में ही रह जाता है। बाढ़ द्वार के बाहर ज्वार उतरने पर, बांध के पानी को इसी रास्ते पाइप द्वारा समुद्र की तरफ बहाया जाता है जो इसे ऊर्जा उत्पादक टरबाइन की ओर ले जाता है।
  • भारत के पश्चिमी तट पर कच्छ की खाड़ी एंव खंबात की खाड़ी तथा पूर्वी तट पर सुंदरवन डेल्टा क्षेत्र ज्वारीय ऊर्जा की –ष्टि से सर्वाधिक उपयुक्त है।
  • राष्ट्रीय हाइड्रो पावर कॉर्पोरेशन ने कच्छ की खाड़ी में 900 मेगावाट का ज्वारीय विद्युत ऊर्जा संयत्र स्थापित किया है।

 

समुद्र तापीय ऊर्जा

  • समुद्र में जल की गहरार्इ के अनुसार तापमान में भिन्नता पार्इ जाती है। OTEC (Ocean Thermal Energy Converger) पद्धति के द्वारा समुद्र जल के विभिन्न स्तरों में ताप का जो अंतर होता है उसका उपयोग विद्युत उत्पादन हेतु किया जाता है। इस पद्धति से विद्युत उत्पादन हेतु तमिलनाडु एवं अंडमान निकोबार द्वीप समूह में अनुसंधान एवं विकास कार्य किया जा रहा है।

 

भूतापीय ऊर्जा

  • पृथ्वी के आंतरिक भागों से ताप का प्रयोग कर उत्पन्न की जाने वाली विद्युत को भू-तापीय ऊर्जा कहते हैं। भू-तापीय ऊर्जा इसलिए अस्तित्व में होती हैं क्योंकि बढ़ती गहरार्इ के साथ पृथ्वी प्रगामी ढंग से तप्त होती जाती हैं।
  • भारत में सैंकड़ों गर्म पानी के स्रोत है जिनका विद्युत उत्पादन में प्रयोग किया जा सकता है भू-तापीय ऊर्जा के दोहन के लिए भारत में 2 प्रायोगिक परियोजनाएं शुरू की गर्इ हैं- एक, हिमाचल प्रदेश में मणिकरण के निकट पार्वती घाटी में स्थित है तथा दूसरी, लद्धाख में पूगा घाटी में स्थित हैं।

 

जैव ऊर्जा/बायो मास

  • जैविक उत्पादों जैसे धान की भूसी, गन्ने की खार्इ शहरी कचरे, अवशिष्ट, पदार्थ आदि के माध्यम से उत्पन्न ऊर्जा को जैव ऊर्जा कहते हैं।
  • पंजाब के जलखेरी नामक स्थान पर एवं मयप्रदेश के मयप्रदेश के धार में धान की भूसी से विद्युत उत्पाद हेतु संयत्र लगाए गए हैं।
  • दिल्ली के औखला एवं मध्यप्रदेश के भोपाल में शहरी कचरे से विद्युत बनाने के संयत्र लगाए गए हैं।
  • मध्यप्रदेश के ग्वालियर एवं मुरैना क्षेत्रों में गन्ने की खोर्इ से विद्युत बनाने के संयंत्र लगाए गए हैं।
  • बायो मास से बिजली उत्पन्न करने वाला देश का पहला गांव मध्यप्रदेश के बैतूल का कसर्इ गांव हैं।
  • जेट्रोफा (रतनजोत) की सहायता से बायोडीजल का निर्माण किया जाता हैं देश का पहला बायोडीजल संयंत्र आंध्र प्रदेश के ‘काकीनाडा में लगाया गया हैं।

 

बायो गैस

  • जैविक पदार्थो के अपघटन से गैस उत्पन्न होती है जिसकी तापीय सक्षमता मिट्टी के तेल, उपलों व चारकोल की अपेक्षा अधिक होती हैं।
  • पशुओं का गोबर प्रयोग करने वाले संयंत्र ग्रामीण भारत में ‘गोबर गैस प्लांट के नाम से जाने जाते हैं। ये किसानों को 2 प्रकार से लाभान्वित करते हैं- एक, ऊर्जा के रूप में और दूसरा, उन्नत प्रकार के उर्वरक के रूप में।


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