जनसंख्या एवं नगरीकरण

जनसंख्या एवं नगरीकरण

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जनसंख्या एवं नगरीकरण

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

किसी देश के निवासी उसके वास्तविक धन ही हैं। यही लोग देश के संसाधनों का उपयोग करते हैं और उसकी नीतियाँ निर्धारित करते हैं। अतः एक देश की पहचान उसके लोगों से ही होती है। जनसंख्या का घनत्व लिंगानुपात, शिशु लिंगानुपात, साक्षरता दर आदि देश को प्रभावित करते हैं। भूमि की प्रत्येक इकाई में उस पर रह रहे लोगों के पोषण की सीमित क्षमता होती है। जनसंख्या घनत्व सामान्यतः प्रतिवर्ग किलोमीटर में रहने वाले व्यक्तियों के रूप में मापा जाता है। जनसंख्या के संसाधन के रूप में वर्णित किया जाता है क्योंकि किसी देश की जनसंख्या के कौशल, ज्ञान, क्षमता से संसाधनों को उपयोगी बनाया जाता है। जनसंख्या वितरण को कई कारक प्रभावित करते हैं जैसे- (1) जल की उपलब्धता (2) भू-आकृति (3) जलवायु (4) आर्थिक कारक (5) सामाजिक कारक आदि। जनसंख्या (मानव) संसाधन का सही तरीके से प्रयोग करना उस देश की सरकार की जिम्मेदारी होती है।

 

जनसंख्या एवं नगरीकरण

अर्थशास्त्र में जनसंख्या को श्रम संसाधन के रूप में देखा जाता है जितनी अधिक जनसंख्या होगी श्रम संसाधन की मात्रा भी अधिक होगी।

श्रम बल संसाधन अर्थव्यवस्था को आर्थिक विकास के  महत्वपूर्ण कारक के रूप में देखा जाता है। जनसंख्या किसी क्षेत्र विशेष से जुड़ी वह परिकल्पना है, जिसमें समाज के सभी आयामों का अध्ययन किया जाता है। एक निश्चित भू-भागय जैसे- गाँव, शहर, जिला, राज्य देश या महाद्वीप में निवास करने वाले लोगों की संख्या ही जनसंख्या कहलाती है

2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 121 करोड़ जनसंख्या है जिससे जनसंख्या के आधार पर भारत विश्व में दूसरे स्थान पर था, जबकि चीन पहले स्थान पर रहा।

भारत में विश्व की जनसंख्या का 17.5% भाग निवास करता है।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने 11 जुलाई का दिन विश्व जनसंख्या दिवस के रुप में मनाने का फैसला किया क्योंकि 11 जुलाई, 1987 को विश्व की जनसंख्या 5 अरब के आंकड़े को पार कर गई थी।

§     जनसंख्या सिद्धान्त

1. माल्थस का जनसंख्या सिद्धान्त

थॉमस रॉबर्ट माल्थस ब्रिटेन के अर्थशास्त्री थे, जिन्होंने वर्ष 1798 में अपनी पुस्तक प्रिंसिपल ऑफ पॉपुलेशन में जनसंख्या का सिद्धान्त प्रतिपादित किया।

माल्थस के सिद्धान्त के तहत किसी देश की खाद्यान्न वृद्धि दर एवं जनसंख्या वृद्धि दर के बीच संबंध स्थापित किया जाता है।

माल्थस के अनुसार किसी क्षेत्र में जनसंख्या की वृद्धि गुणोत्तर श्रेणी के अनुसार बढ़ती है जैसे- 1, 2, 4, 8, 16, 32, 64, 128

आदि के आधार पर बढ़ती है जबकि खाद्यान्न वृद्धि दर समानांतर श्रेणी (अंकगणितीय दर) के आधार पर बढ़ती है जैसे- 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7 के अनुसार इतनी अधिक हो जायेगी कि उसका भरण-पोषण लगभग असंभव हो जायेगा। माल्थस के अनुसार प्रति 25 वर्ष बाद जनसंख्या दोगुनी हो जाती है।

2. जनसंख्या का अनुकूलतम सिद्धान्त

इस सिद्धान्त का प्रतिपादक ब्रिटिश अर्थशास्त्री एडविन केनन को माना जाता है।

इस सिद्धान्त के अनुसार जनसंख्या वृद्धि दर हमेशा हानिकारक नहीं होती क्योंकि जनसंख्या किसी भी देश का मानवीय संसाधन है।

इस सिद्धान्त के अनुसार किसी भी देश के प्राकृतिक एवं भौतिक संसाधन के अनुसार मानवीय संसाधनों का भी आदर्श स्तर होना चाहिए, जिसे अनुकूलतम जनसंख्या कहते हैं।

3. जननांकिकीय संक्रमण का सिद्धान्त

इस सिद्धान्त के प्रतिपादक डब्ल्यू.एम. थॉम्पसन ने 1929 में किया, लेकिन उसको व्यवस्थित एवं वैज्ञानिक रूप से 1945 में फ्रेंक डब्ल्यू नोएस्टीन ने दिया।

नोटः नोएस्टीन को जननांकिकीय का जनक कहा जाता है।

·         इस सिद्धान्त में उच्च प्रजनन दर से न्यून प्रजनन दर और उच्च मृत्यु दर से निम्न मृत्युदर के जनसांख्यिकी प्रतिमान को दर्शाया जाता है। जननांकिकीयविद् इसे जनसंख्या चक्र तथा भूगोल वेत्ता इसे जननांकिकीय संक्रमण की संज्ञा देते हैं।

जननांकिकीय संक्रमण सिद्धान्त की विशेषता इसकी स्पष्ट संक्रमण अवस्थायें हैं। इन अवस्थाओं को पाँच भागों में बाँटा जाता है

·         प्रथम अवस्था- उच्च एवं अस्थिर जन्म और मृत्युदर और धीमी जनसंख्या वृद्धि दर।  

·         द्वितीय अवस्था- उच्च जन्म दर एवं गिरती मृत्यु दर और तीव्र जनसंख्या वृद्धि दर।

·         तृतीय अवस्था- कम होती जन्मदर और न्यून मृत्युदर एवं कम होती जनसंख्या दर।

·         चतुर्थ अवस्था- निम्न जन्म और मृत्यु दर, धीमी जनसंख्या वृद्धि।

·         पंचम अवस्था- जन्म और मृत्यु दर लगभग बराबर जिसका किसी समय परिणाम जनसंख्या वृद्धि में शून्य होगा।

जनसंख्या से सम्बंधित महत्वपूर्ण परिभाषायें

1. जनसंख्या घनत्व- किसी देश या क्षेत्र विशेष में प्रति वर्ग किलोमीटर में निवास करने वाले व्यक्तियों की संख्या को जनसंख्या घनत्व कहा जाता है।

 

 

2. दशकीय वृद्धि दर- दस वर्षों में हुई जनसंख्या में प्रतिशत वृद्धि दर दशकीय वृद्धि दर कहलाती है।

 

 

3. लिंगानुपात- प्रति एक हजार पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की संख्या

 

 

4. शिशु लिंगानुपात-

0 से 6 वर्ष आयु समूह में प्रति 1000 पुरुष शिशुओं की तुलना में उसी आयु समूह में- महिला शिशु समूह की संख्या को शिशु लिंगानुपात कहा जाता है।

 

§     भारत में जनगणना-

भारत में सर्वप्रथम 1872 में वायसराय लॉर्ड मेयो के समय में जनगणना हुई थी, लेकिन पहली बार विधिवत जनगणना 1881 में लॉर्ड रिपन के शासनकाल से प्रारंभ हुई।

1881 की जनगणना के समय जनगणना आयुक्त डब्ल्यू. सी. प्लोडन थे।

1881 के बाद हर 10 वर्षों बाद जनगणना की शुरुआत हुई। स्वतंत्र भारत की प्रथम जनगणना 1991 में हुई थी। भारत में जनगणना कराने का उत्तरदायित्व गृह मंत्रालय के अंतर्गत महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त कार्यालय को होता है।

·         जनसंख्या वृद्धि दर के आधार पर जनसंख्या को मुख्यतः 4 भागों में विभाजित किया जाता है

1891 से 1921- जनसंख्या में मंद वृद्धि अवस्था रही।

1921 से 1951- जनसंख्या की अल्पवृद्धि अवस्था रही।

1951 से 1981- जनसंख्या में तीव्र वृद्धि अवस्था रही।

1981 से वर्तमान- जनसंख्या वृद्धि दर में कमी के साथ तीव्र वृद्धि अवस्था।

नोटः वर्ष 1921 को जनसंख्या का महान विभाजक वर्ष कहा जाता है क्योंकि पहली बार 1921 की जंनगणना में जनसंख्या वृद्धि दर ऋणात्मक रहीं। 

·         1961 से 1971 के दौरान भारत की जनसंख्या वृद्धि दर अब तक की सर्वाधिक 24.8% दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर रही।

2011 के आधार पर जनगणना-

·         2011 की जनगणना भारत की 15वीं राष्ट्रीय जनगणना थी जबकि स्वतंत्र भारत की 7वीं जनगणना थी।  

·         जनगणना 2011 का नारा ‘हमारी जनगणना, हमारा भविष्य‘ था।

महत्वपूर्ण आंकड़े: जनगणना 2011 के आधार पर-

·         भारत की कुल जनसंख्या – 1,21,05,69,573 थी।

जिसमें पुरुषों की जनंसख्या- 62,31,21,843 तथा महिलाओं की कुल जनसंख्या- 58,74,47,730 थी।

 

भारत में सर्वाधिक तथा न्यूनतम जनसंख्या वाले राज्य -

 

1.

उत्तर प्रदेश (19,98,12,341) कुल जनसंख्या का 16.5%

1.

सिक्किम (कुल जनसंख्या का 0.05%)

2.

महाराष्ट्र (11, 23,74,333) कुल जनसंख्या का 9.28%

2.

मिजोरम (10,97,206) कुल जनसंख्या का 0.09%

3.

बिहार (1,04,09,952) (कुल जनसंख्या का 8.6%)

3.

अरुणाचल प्रदेश ;कुल (13,83,727)कुल जनसंख्या का 0.11%

 

भारत के सर्वाधिक एवं न्यूनतम जनसंख्या वाले 3 केन्द्र शासित प्रदेश-

    

    सर्वाधिक

न्यूनतम

1.

दिल्ली (1,67,87,941)

लक्षद्वीप (64,473)

2.

पुडुचेरी (12,47,953)

दमन व द्वीप (2,43,247)

3.

चंडीगढ़ (10,55,450)

दादरा व नगर हवेली

 

भारत में सर्वाधिक एवं न्यूनतम जनसंख्या घनत्व वाले 3 राज्य-

 

 

     सर्वाधिक

 

     न्यूनतम

1.

बिहार (1,106)

1.

अरुणाचल प्रदेश (17)

2.

पश्चिम बंगाल (1,028)

2.

मिजोरम (52)

3.

केरल (360)

3.

सिक्किम (86)

 

भारत में सर्वाधिक एवं न्यूनतम जनसंख्या घनत्व वाले 3 केन्द्र शासित प्रदेश -

 

सर्वाधिक

 

     न्यूतनम

1.

दिल्ली (11,320)

1.

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (46)

2.

चंडीगढ़ (9,258)

2.

दादरा नगर हवेली (700)

3.

पुडुचेरी (2,547)

3.

लक्षद्वीप (2,149)

 

नोटः 2011 की जनगणना के आधार पर भारत का जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. है। जिसका दशकीय प्रतिशत वृद्धि दर 17.72 रही।

 

लिंगानुपात

भारत में सर्वाधिक एवं न्यूनतम लिंगानुपात वाले 3 राज्य-

 

सर्वाधिक

 

    न्यूनतम

1.

केरल (1,084)

1.

हरियाणा (879)

2.

तमिलनाडु (996)

2.

जम्मू-कश्मीर (889)

3.

आंध्र प्रदेश (993)

3.

सिक्किम (890)

 

भारत में सर्वाधिक एवं न्यूनतम 3 केन्द्र शासित प्रदेश -

 

 

सर्वाधिक

 

न्यूनतम

1.

पुडुचेरी (1,037)

1.

दमन व द्वीव (618)

2.

लक्षदीप (946)

2.

दादरा नगर हवेली (774)

3.

अंडमान निकोबार द्वीप समूह (876)

3.

चण्डीगढ़ (818)

 

नोटः 2011 की जनगणना के आधार पर भारत का लिंगानुपात (943) है।

शिशु लिंगानुपात (0-6) वर्ष सर्वाधिक एवं न्यूनतम जनसंख्या वाले 3 राज्य-

 

सर्वाधिक

     न्यूनतम

1.

अरुणाचल प्रदेश (972)

हरियाणा (834)

2.

मेघालय (970)

पंजाब (846)

3.

मिजोरम (970)

जम्मू-कश्मीर (862)

 

केन्द्र शासित प्रदेश -

 

     सर्वाधिक

     न्यूनतम

1.

अंडमान निकोबार द्वीपसमूह (968)

दिल्ली (871)

2.

पुडुचेरी (967)

चण्डीगढ़ (880)

3.

दादरा नगर हवेली (926)

दमन और द्वीव (904)

 

·         अनुसूचित जाति-

भारत में सर्वाधिक अनुसूचित जाति वाले 3 राज्य वं केन्द्र शासित प्रदेश

 

राज्य

केन्द्र शासित प्रदेश

1.

उत्तर प्रदेश

दिल्ली

2.

पश्चिम बंगाल

चण्डीगढ़

3.

बिहार

पुडुचेरी

 

नोटः सर्वाधिक अनुसूचित जाति वाला राज्य उत्तर प्रदेश तथा न्यूनतम जनसंख्या वाला राज्य मिजोरम है।

·         अनुसूचित जाति की सर्वाधिक एवं न्यूनतम जनसंख्या प्रतिशत वाले राज्य क्रमशः पंजाब एवं मिजोरम है।

§     अनुसूचित जनजाति-

भारत में सर्वाधिक अनुसूचित जनजाति वाले 3 राज्य व केन्द्र शासित प्रदेश-

 

 

राज्य

 केन्द्र शासित प्रदेश

1.

मध्य प्रदेश

दादर नगर हवेली

2.

महाराष्ट्र

लक्षद्वीप

3.

उड़ीसा

अंडमान निकोबार द्वीप

 

साक्षरता दर भारत के प्रथम 3 सर्वाधिक व न्यूनतम साक्षरता दर वाले राज्य-

 

    सर्वाधिक

   न्यूनतम

1.

केरल (94%)

बिहार (61.8%)

2.

मिजोरम (91.3%)

अरुणाचल प्रदेश (65.4%)

3.

गोवा (88.7%)

राजस्थान (66.1%)

 

केन्द्र शासित राज्य-

 

 

सर्वाधिक

    न्यूनतम

1.

लक्षद्वीप (91.8%)

दादरा और नगर हवेली (76.2%)

2.

दमन और द्वीव (87.1%)

पुडुचेरी (85.6%)

3.

अंडमान और निकोबार द्वीप (86.6%)

चण्डीगढ़ (86.05%)

 

सर्वाधिक पुरुष साक्षरता दर- राज्य एवं केन्द्र शासित प्रदेश का स्थान-

 

राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश

साक्षरता     दर

1.

केरल

96.1%

2.

लक्षद्वीप

95.6%

3.

मिजोरम

93.3%

 

न्यूनतम पुरुष साक्षरता दर-राज्य एवं केन्द्र शासित प्रदेश  -

 

राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश

    साक्षरता दर

1.

बिहार

71.2%

2.

अरुणाचल प्रदेश

72.6%

3.

आंध्र प्रदेश

74.9%

 

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