प्रकाश संश्लेषण एवं श्वसन

प्रकाश संश्लेषण एवं श्वसन

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प्रकाश संश्लेषण एवं श्वसन

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

 

सभी प्राणी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आहार के लिए पौधों पर निर्भर हैं। हरे पौधे अपना आहार संश्लेषित करते हैं तथा अन्य सभी जीव अपनी आवश्यकता के लिए उन पर निर्भर रहते हैं। हरे पौधे प्रकाश-संश्लेषण करते हैं यह एक ऐसी भौतिक-रासायनिक प्रक्रिया है, जिसमें कार्बनिक यौगिकों को संश्लेषित करने के लिए प्रकाश-ऊर्जा का उपयोग करते हैं। पौधों द्वारा प्रकाश-संश्लेषण में उपयोग की गर्इ सूर्य-ऊर्जा पृथ्वी पर जीवन का आधार है। प्रकाश-संश्लेषण के महत्वपूर्ण होने के दो कारण हैं: यह पृथ्वी पर समस्त खाद्य पदाथोर्ं का प्राथमिक स्रोत है तथा यह वायुमंडल में ऑक्सीजन निष्कासित करता हैं। श्वसन की क्रिया का होना प्राणियों की पहचान है अर्थात श्वसन के बिना जीवन असंभव है । सभी प्राणियों को अपनी क्रियाशीलता जैसे- कोशिका विभाजन, वृद्धि, विकास, बीज अंकुरण, सक्रिय परिवहन, पेशीय संकुचन, तंत्रिका आवेग संचरण, आदि को निरन्तर तथा आवश्यकता के अनुरूप संचालित करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है जिसे वे अपने अंदर संचयित कार्बनिक भोज्य पदाथोर्ं से प्राप्त करते हैं।

 

 

 

  • पौधे अपने भोजन को प्रकाश-संश्लेषण द्वारा स्वयं तैयार करते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान वायुमंडल में उपलब्ध कार्बन-डाइक्साइड पत्तियों के रंध्रों द्वारा ग्रहण की जाती है और कार्बोहाइड्रेट्स मुख्यत: ग्लूकोज (शर्करा) एवं स्टार्च बनाने में उपयोग की जाती है। प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया पौधों के हरे भागों, मुख्यत: पत्तियों में संपन्न होती है। पत्तियों के अंतर्गत पर्णमध्योतक (Mesophyll) कोशिकाओं में भारी मात्रा में क्लोरोप्लास्ट होता है जोकि \[C{{O}_{2}}\] , के यौगिकीकरण (Fixation) के लिए उत्तरदायी होता है। क्लोरोप्लास्ट के अंतर्गत, प्रकाश अभिक्रिया के लिए झिल्लिकाएं वह स्थल होती हैं, जबकि कीमोसिंथेटिक पथ स्ट्रोमा में स्थित होता है। प्रकाश-संश्लेषण में दो चरण होते हैं- प्रकाश अभिक्रिया (Light Reaction) तथा कार्बन यौगिकीकरण अभिक्रिया।
  • प्रकाश अभिक्रिया में प्रकाश ऊर्जा एंटेना में मौजूद वर्णकों द्वारा अवशोषित किए जाते हैं तथा अभिक्रिया केंद्र में मौजूद क्लोरोफिल- के अणुओं को भेज दिए जाते हैं। यहां पर दो प्रकाश प्रणाली (Photosystem -PS) PS-I तथा PS-II होते हैं। PS-I के अभिक्रिया केंद्र में क्लोरोफिल-a P 700 के अणु जो प्रकाश तरंगदैर्ध्य 700 nm को अवशोषित करते हैं, जबकि PS-II में एक P 680 अभिक्रिया केंद्र होता है जो लाल प्रकाश को 680 nm पर अवशोषित करता है।
  • प्रकाश अवशोषण के बाद इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होते हैं और PS-I तथा PS-II से स्थानांतरित होते हुए अंत में निकोटिएमाइड एडेनिन डायन्यूक्लियोटाइड़ फॉस्फेट (NADP) में पहुंचकर निकोटिएमाइड एडेनिन डायन्यूक्लियोटाइड़ फॉस्फेट हाइड्रोजन (NADPH) की रचना करते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान एक प्रोट्रॉन प्रवणता (Gradient) थॉइलेकोइड की झिल्लिका के आर-पार पैदा की जाती है। ATP एंजाइम के हिस्से \[^{o}F\]से प्रोट्रॉन की गति के कारण प्रवणता भंग हो जाती है तथा ATP के संश्लेषण हेतु पर्याप्त ऊर्जा मुक्त की जाती है। पानी के अणु का विघटन PS -II के साथ जुड़ा होता है, परिणामत: \[{{O}_{2}}\] और प्रोट्रॉन का निष्कासन होता है और च द्यद्य में इलेक्ट्रॉन का स्थानांतरण होता है।
  • कार्बन फिक्सेशन में, एंजाइम रुबिस्को द्वारा \[C{{O}_{2}}\] एक 5 कार्बन यौगिक RuBP से जोड़ा जाता है तथा 3 कार्बन फॉस्फोग्लिसरिक अम्ल (PGA) के 2 अणु में बदलता है। इसके बाद केल्विन चक्र द्वारा यह शर्करा में परिवर्तित होता है और त्नठच् पुनरुद्भवित (Regenerated) होता है। इस प्रक्रिया के दौरान प्रकाश अभिक्रिया द्वारा संश्लेषित ATP एवं NADPH इस्तेमाल होता है। इसके साथ ही \[{{C}_{3}}\] पौधों में रुबिस्को एक निरर्थक (Wasteful) ऑक्सीजिनेशन प्रतिक्रिया: प्रकाश श्वसन को उत्प्रेरित करता है।
  • कुछ उष्णकटिबंधीय पौधे विशेष प्रकार का प्रकाश-संश्लेषण , करते हैं जिसे \[{{C}_{4}}\] पौधे कहते हैं। इन पौधों के मिसोफिल

में संपन्न होने वाले \[C{{O}_{2}}\]यौगिकीकरण के उत्पाद एक 4 कार्बन यौगिक हैं। पूलाच्छद कोशिका (bundle Sheath Cells) में केल्विन चक्र चलाया जाता है, जिससे कार्बोहाइड्रेटस का • संश्लेषण होता है।

  • प्राणियों की तरह पादपों में श्वसन या गैसीय आदान प्रदान हेतु कोर्इ विशिष्ट तंत्र नहीं होता है। रंध्र व वातरंध्र द्वारा विसरण से गैसों का आदान प्रदान होता है। पौधों में लगभग सभी सजीव कोशिकाएं वायु के सपंर्क में होती हैं। जटिल कार्बनिक अणुओं के ऑक्सीकरण द्वारा C-C बंधों के टूटने के उपरांत जब कोशिका से ऊर्जा की अत्यधिक मात्रा निकलती है तो उसे कोशिकीय श्वसन कहते हैं। श्वसन के लिए ग्लूकोज सर्वाधिक उपयोगी क्रियाधार है। वसा एवं प्रोटीन के टूटने के बाद भी ऊर्जा निकलती है। कोशिकीय श्वसन की प्रारंभिक प्रक्रिया कोशिका द्रव्य में संपन्न होती है। प्रत्येक ग्लूकोज का अणु एंजाइम उत्प्रेरित श्रृंखलाओं की अभिक्रियाओं द्वारा पायरुविक अम्ल के 2 अणुओं में टूट जाता है, इस प्रक्रिया को ग्लाइकोलिसिस कहते हैं। पायरुवेट का भविष्य \[{{O}_{2}}\] की उपलब्धता तथा जीव पर निर्भर करता है।
  • अनॉक्सी परिस्थितियों में किण्वन द्वारा लैक्टिक अन एल्कोहल बनते हैं। किण्वन बहुत सारे प्रोकैरियोटिक एक कोशिकीय यूकैरियोट व अंकुरित बीजों में अनॉक्सी परिस्थितियों में संपन्न होता है। यूकैरियोट जीवों में \[{{O}_{2}}\] की उपस्थिति में ऑक्सी श्वसन होता है। पायरुविक अम्ल का माइटोकोंड्रिया में परिवहन के बाद एसीटाइल COA में रूपांतरण होता है साथ ही \[C{{O}_{2}}\]निकलती है।
  • तत्पश्चात एसीटाइल COA TCA पथ अथवा क्रेब्स चक्र में प्रवेश करता है जो माइटोकोंड्रिया के मेट्रिक्स में होता है। केब्स चक्र में NADPH + \[{{H}^{+}}\] तथा NADPH बनते हैं। इन अणुओं व NADPH +\[{{H}^{+}}\] ‘जो ग्लाइकोलिसिस के दौरान बनता है’ इनकी ऊर्जा का उपयोग ।ज्च् के संश्लेषण में होता है। यह माइटोकोंड्रिया के अंत: झिल्ली (inner membrane ) पर स्थित वाहकों के तंत्र के द्वारा संपन्न होती है, जिसे इलेक्ट्रॉन परिवहन तंत्र (ETS) कहते हैं। जब इलेक्ट्रॉन इस तंत्र से होकर गति करता है, तो निकलने वाली पर्याप्त ऊर्जा ।ज्च् का संश्लेषण होता है, इसे क्सीकारी फॉस्फोरिलीकरण ( Oxidative phosphorylation) कहते हैं। इस प्रक्रिया में अंतत: अंतिम इलेक्ट्रॉन ग्राही å, होता है, जो पानी में अपचयित (Reduced) हो जाता है। श्वसनी पथ में उपचयी अथवा अपचयी दोनों भाग लेते हैं, इसलिए इसे ऐंफीबेलिक पथ कहते हैं। श्वसन गुणांक सांस के दौरान में आने वाले श्वसनी क्रियाधार पर निर्भर करता है।

 

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