मुगलकालीन वास्तुकला (स्थापत्य कला भाग 5)

मुगलकालीन वास्तुकला (स्थापत्य कला भाग 5)

Category :

मुगलकालीन वास्तुकला (स्थापत्य कला भाग 5)

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

मध्य काल में भारतीय स्थापत्य कला का विकास वस्तुत हिन्दू और मुस्लिम दोनों जातियों की सम्मिलित प्रतिभा के कारण हुआ। कुछ  विद्वानों ने मध्य कालीन स्थापत्य कला शैली को पठान, सौरसैनिक अथवा इस्लामिक शैली के नाम से पुकारा है, जो युक्तिसंगत नहीं है।

वस्तुत: इस शैली को इंडों - इस्लामिक शैली की संज्ञा से विभूषित करना ही उपयुक्त होगा क्योंकि इसमें हम भारतीय तथा इस्लामिक - दोनों शैलियों का सुंदर समन्वय पाते हैं।

पर्सी ब्राउन ने मुगल काल को भारतीय वास्तुकला का ‘ग्रीष्म काल’ माना हैं, जो प्रकाश एवम उर्वरा का प्रतीक माना जाता हैं। - स्मिथ ने मुगलकालीन वास्तुकला को कला की रानी कहा है। शाहजहां का काल स्थापत्य कला का स्वर्ण युग कहा जाता है।

 

  • मुगल कालीन स्थापत्य मध्य एशिया की इस्लामी और भारतीय कला का मिश्रित रूप है, जिसमें फारस,मध्य एशिया, तुर्की, गुजरात, बंगाल एवं जौनपुर आदि स्थानों की परंपराओं का अद्भुत मिश्रण मिलता है।
  • मुगलकालीन स्थापत्य की मुख्य विशेषता संगमरमर के पत्थरों पर हीरे-जवाहरात से की गयी जड़ावट, पित्रादुरा तकनीक एवं महलों तथा विलास भवनों में बहते पानी का उपयोग है।
  • मुगलकालीन स्थापत्य काल की शुरुआत बाबर के समय से होती है, उसने पानीपत के निकट काबुली-बाग में एक मस्जिद 1529 ईसवी में बनवायी।
  • बाबर ने ज्यामितीय विधि पर आधारित एक उद्यान आगरा में लगवाया, जिसे नूर अफगान नाम दिया गया।
  • हुमायूं ने 1533 ईसवी में दिल्ली में दीनपनाह विश्व का शरण स्थल नामक एक नगर का निर्माण करवाया, जो आज पुराने किले के नाम से विख्यात है।
  • इसके अतिरिक्त हुमायूं ने हिसार जिले में फतेहबाद नामक स्थान पर फारसी शैली में एक मस्जिद का निर्माण करवाया।
  • शेरशाह ने दिल्ली पर अधिकार करने के बाद शेरगढ़ या दिल्ली शेरशाही नामक नये नगर की नींव डाली।
  • 1542 ईसवी में शेरशाह ने दिल्ली के पुराने किले के अंदर किला-ए-कुहना नामक मस्जिद का निर्माण करवाया।
  • अकबर के शासन काल में बनी पहली इमारत दिल्ली में बना हुमायूं का मकबरा है।
  • हुमायूं के मकबरे का निर्माण अकबर की सौतेली मां हाजी बेगम ने फारसी वास्तुकार मीरक मिर्जा गयास की देख-रेख में करवाया था। दोहरी गुंबद वाला यह भारत का पहला मकबरा है।
  • चार-बाग पद्धति का प्रयोग पहली बार हुमायूं के मकबरे से हुआ वैसे भारत में पहला बाग युक्त मकबरा सिकंदर लोदी का मकबरा था।
  • अकबर कालीन इमारतों में मेहराबी और शहतीरी शैली का समान अनुपात में प्रयोग मिलता है।
  • अकबर के काल में फारसी शैली का हिन्दू एवं बौद्ध शैलियों के साथ सम्मिश्रण हुआ।
  • अकबर ने अनेक इमारतों का निर्माण करवाया जिसमें - तुर्की -सुल्ताना का महल, खास महल, मरियम-महल, बीरबल महल आदि प्रमुख हैं। आगरे के दुर्ग में निर्मित जहांगीरी महल की नकल ग्वालियर के मानसिंह महल से ली गयी है।
  • अकबर ने 1570-71 ईसवी में फतेहपुर सीकरी को अपनी राजध नी बनाया और वहां पर अनेक भवनों का निर्माण करवाया। जिन्हें दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है
  • धार्मिक
  • लौकिक
  • फतेहपुर सीकरी के भवनों की मुख्य विशेषता- चापाकार एवं धरणिक शैलियों का समन्वय है।
  • आगरा के पास सिकंदरा में स्थित अकबर का मकबरा जिसके निर्माण की योजना अकबर ने बनायी थी किन्तु निर्माण जहांगीर ने 1613 ईसवी में करवाया था।
  • जहांगीर ने कश्मीर में प्रसिद्ध शालीमार बाग की स्थापना की और उसी ने शेख सलीम चिश्ती के मकबरे में लाल बलुआ पत्थर के स्थान पर संगमरमर लगवाया था।
  • शाहजहां का काल मुगल वास्तुकला का स्वर्ण युग माना जाता है।
  • आगरे के किले में स्थित दीवाने-आम (1627 ईसवी) संगमरमर से बनी शाहजहां के काल की पहली इमारत थी। इसके अतिरिक्त दीने-खास 1637 ईसवी तथा मोती मस्जिद 1654 ईसवी संगमरमर से निर्मित अन्य प्रसिद्ध इमारतें थी।
  • शाहजहां ने अपनी नवीन राजधानी दिल्ली (शाहजहांनाबाद) में एक चतुर्भुज आकार का किला बनवाया। जो लाल-बलुआ पत्थर से निर्मित होने के कारण लाल-किले के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
  • ताजमहल का स्थापत्यकार-उस्ताद अहमद लाहौरी था, जिसे शाहजहां ने नादिर-उल-असरार की उपाधि प्रदान की थी और प्रधान मिस्री या निर्माता उस्ताद ईसा था।
  • औरंगजेब को ललित कलाओं में कोई रुचि नहीं थी फिर भी उसके काल में कुछ इमारतें बनी। औरंगजेब कालीन प्रमुख
  • इमारतों में दिल्ली के लाल किले में स्थित मोती मस्जिद (पूर्ण संगमरमर), लाहौर की बादशाही मस्जिद तथा रबिया बीबी का मकबरा प्रमुख है।
  • औरंगजेब ने अपनी प्रिय पत्नी रबिया दुर्रानी की याद में 1678 ईसवी में औरंगाबाद में एक मकबरा बनवाया ,जो बीबी का मकबरा नाम से प्रसिद्ध है। इसे दक्षिण का ताजमहल भी कहा जाता है।

 

गुजरात स्थापत्य

  • गुजरात की वास्तुकला शैली, प्रांतीय शैलियों में सबसे अधिक विकसित थी। अहमदशाह ने अहमदाबाद की नींव रखी।
  • 1325 ईसवी में निर्मित खम्भात की जामा मस्जिद के पूजा गृह की तुलना दिल्ली की कुतुब मस्जिद एवं अजमेर के ‘ढाई दिन के झोपड़े’ से की जाती है.
  • 1300 ईसवी में भड़ौच की जामा मस्जिद हिन्दू मंदिरों के अवशेष से बनाई गई थी।
  • 1361 ईसवी में निर्मित टंका मस्जिद का निर्माण टोलका में करवाया गया था। मुहम्मद शाह ने जामा मस्जिद के पूर्व में स्थित अहाते में अहमदशाह का मकबरा निर्माण करवाया था।
  • गुजराती स्थापत्य कला का सर्वश्रेष्ठ काल महमूदशाह बेगड़ा के समय से आरंभ होता है। उसने चम्पानेर, जुनागढ़ तथा खेदा नामक तीन नगरों की स्थापना की थी। उसके द्वारा निर्मित इमारतों में चम्पानेर की जामी मस्जिद, नगीना मस्जिद, मोहर इमारतें आदि प्रमुख हैं।

 


You need to login to perform this action.
You will be redirected in 3 sec spinner