आधुनिक भारत में कला एवं संस्कृतिक गतिविधियां

आधुनिक भारत में कला एवं संस्कृतिक गतिविधियां

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आधुनिक भारत में कला एवं संस्कृतिक गतिविधियां

यूरोपीय औपनिवेशिक शक्तियों भारत में अपने साथ यूरोपीय वास्तु व स्थाजत्य कला भी लार्इ। नर्इ दिल्ली के स्थापत्य व वास्तु कला को अंग्रजी राज का चरमोत्कर्ष माना जा सकता है। अंग्रेजों ने इस शहर का निर्माण अन्यंत ही योजनबद्ध तरीके से करवाया था। स्वतंत्रता मिलने के बाद भारत में स्थापत्य कला की दो शैलियां उभर कर सामने आर्इ- पुनरूत्थानवादी व आधुनिकतावादी। पुनरूत्थानवादियों नें मुख्य रूप से अंग्रेजी शैली को ही अपनाया जिसकी वजह से वे स्वतंत्र भारत में अपनी कोर्इ छाप नहीं छोड़ सके। आधुनिकवादियों ने भी किसी नर्इ शैली का विकास करने के स्थान में अग्रेंजी व अमेरिकी मॉडलों को ही अपनाने पर जोर दिया।

भारतीय संस्कृति में यूरोपीय प्रभाव

  • भारत में सबसे पहले पुर्तगालियों का प्रवेश हुआ जिन्होंने गोवा में कर्इ चर्चा का निर्माण कराया जिनमें पुर्तगाली-गोथिक शैली की झलक दिखार्इ देती है।
  • भारतीय स्थापत्य कला पर सबसे ज्यादा प्रभाव ब्रिटेन का पड़ा। उन्होंने स्थापत्य कला का उपयोग शक्ति प्रदर्शन के लिए किया। अंग्रेजों द्वारा भारत में अपनार्इ गर्इ शैली को इंडो-सारासेनिक शैली कहते हैं।
  • इंडो-सारासेनिक शैली हिंदू, इस्लामिक, और पश्चिमी तत्वों का खूबसूरत मिश्रण थी। मुंबर्इ में अंग्रेजों द्वारा बनवाया गया विक्टोरिया टर्मिनल इसका सबसे सुंदर उदाहरण है।

आधुनिक वास्तुकला

  • भारत में 1503 र्इसवी में पहला चर्च फोर्ट कोच्चि में पुर्तगालियों द्वारा सेंट फ्रांसिस नाम से बना।
  • पुर्तगालियों ने 1604 र्इसवी में मुंबर्इ में कैस्टेला -डी -अगुआडा (बांद्रा फोर्ट) बनवाया। पुर्तगालियों ने गोवा में 1619 र्इसवी में सेंट कैथड्रल चर्च बनवाया।
  • इंडो - गौथिक शैली को विक्टोरियन शैली भी कहा जाता है।
  • 1791 र्इसवी में इंडो - गौथिक शैली में फ्रांसीसियों द्वारा बना ‘‘बासिलिका ऑफ द सेक्रेड हार्ट ऑफ जीसस’’ चर्च पुडुचेरी के स्थापत्य का महत्वपूर्ण उदाहरण है।
  • अंग्रेजों द्वारा 1833 र्इस्वी में बनवाये गए मुंबर्इ में टाउन हॉल तथा अन्य इमारतें नव शास्त्रीय शैली के उदाहरण है।
  • अंग्रेजों ने 1639 र्इसवी में मद्रासपट्टनम में व्यापारिक केंद्र खोला गया।
  • अंग्रेजों ने कोलकाता में सेंट फोर्ट विलियम नामक किला बनवाया।
  • मुम्बर्इ का गेटवे ऑफ इंडिया 1911 र्इसवी में जॉर्ज पंचम के स्वागत हेतु बनाना प्रारंभ किया गया।

आधुनिक काल की मूर्तिकला -

  • लखनऊ में इस आधुनिक काल मे मूर्तिकला से संबंधित महत्त्वपूर्ण आर्ट स्कूल खोला गया।
  • आजादी के बाद देवी प्रसाद राय चौधरी यूरोपीय शैली से विलग पहले ऐसे मूर्तिकार थे जिन्होंने भारतीय स्पर्श देने के साथ कांस्य माध्यम में काम किया।
  • बिहार में पटना सचिवालय के सामने जो शहीद स्मारक है, उसे देवी प्रसाद राय चौधरी ने ही बनाया है। जयपुर (राजस्थान), देश में मूर्तिकला का प्रमुख केन्द्र है।
  • तांबे एवं कांसे के धातु कार्य के लिये उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद जनपद प्रमुख है। इनके द्वारा 1938 में बनार्इ गर्इ ‘संथाली परिवार’ की मूर्ति को बहुत प्रशंसा मिली।

 

आधुनिक काल में चित्रकला

  • अंग्रेजो के पास सत्ता जाने से राजस्थानी, मुगल और पहाड़ी शैली की चित्रकला अपने पतन की ओर उन्मुख हो गर्इ।
  • पटना या कंपनी शैली - मुगल कला और यूरोपीय कला के सम्मिश्रण से पटना में बनाए गए चित्र को पटना या कंपनी शैली का कहा गया। इन चित्रों में छाया के माध्यम से वास्तविकता लाने का प्रयास किया गया है।
  • मधुबनी चित्रकला - यह बिहार के मिथिलांचल इलाके मधुबनी, दरभंगा और नेपाल के कुछ इलाकों में प्रचलित शैली है।
  • मधुबनी पेंटिंग्स की प्रसिद्ध महिला चित्रकार हैं- सीता देवी, गोदावरी दत्त, भारती दयाल, बुला देवी आदि।
  • कलमकारी चित्रकला -
  • दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश में प्रचलित हस्त निर्मित यह चित्रकला सूती कपड़े पर रंगीन ब्लॉक से छापकर बनार्इ जाती है।


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