Super Exam Economics Sectors of Economy / अर्थव्यवस्था के क्षेत्र Question Bank उद्योग एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम

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    निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है? 

    A) स्वीट इक्विटी शेयरों से तात्पर्य ऐसे शेयरों से है जो कंपनी के कर्मचारियों या किसी अन्य को रियायती मूल्य पर आवंटित किये गये हों।

    B) SIS मार्क भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित विनिर्माणी क्षेत्रों की समस्त वस्तुओं पर लगाया जाता है।

    C) एगमार्क विनिर्माण क्षेत्र की कंपनियों को प्रदान किया जाता है।

    D) इको मार्क भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा उन उत्पादों पर लगाया जाता है, जो पारिस्थितिकी पर कम प्रभाव डालते हैं।

    Correct Answer: C

    Solution :

    उत्तर-एगमार्क विनिर्माण क्षेत्र की कंपनियों को प्रदान किया जाता है।
    व्याख्या-
    · स्वीट शेयर (Sweat Shares):- स्वीट इक्विटी शेयरों से तात्पर्य ऐसे शेयरों से है, जो कम्पनी के कर्मचारियों या किसी अन्य को रियायती मूल्य पर आवंटित किए गए हों या फिर कोई प्रौद्योगिकी अथवा बौद्धिक सम्पदा अधिकारी कम्पनी को उपलब्ध कराने या कोई अन्य मूल्य संवर्द्ध (Value Addition) करने की एवज मे निःशुल्क या रियायती मूल्य पर कम्पनी द्वारा उपलब्ध कराए गए हों।
    · शेयर बाजारों पर निगरानी रखने वाली संस्था ‘सेबी‘ (SEBI) ने विशेष श्रेणी के ‘स्वीट इक्विटी‘ (Sweat Equity) शेयरों के लिए तीन वर्ष का ‘लॉक इन पीरिएड‘ निर्धारित किया है। इसका तात्पर्य यह है कि आवंटन की तिथि से तीन वर्ष तक इन्हें किसी अन्य को बेचा नहीं जा सकेगा।
    · आईएसआई मार्क:- भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित मानक चिह्न विनिर्माणी क्षेत्रक की समस्त वस्तुओं पर लगाया जाता है। यह 1995 से प्रभाव है।
    · एगमार्क: कृषि क्षेत्र के उत्पादों की गुणवत्ता प्रमाणित करने के लिए भारत सरकार के विपणन एवं निरीक्षण: निर्देशालय द्वारा लगाया जाता है। यह 1986 से प्रभावी है। यह दालों अन्न, खाद्य तेलों, वेजीटेबुल, तेलों, फलों एवं सब्जियों तथा अर्द्ध प्रसंस्कृत उत्पादों आदि 205 उत्पादों पर लगाया जाता है।
    · स्वर्णभूषणों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने एक नई ‘हालमार्क‘ योजना 12 अप्रैल, 2000 से प्रारम्भ की है। बी.आई.एस. अधिनियम, 1986 के तहत जारी किया जाने वाला ‘हालमार्क‘ उसी सोने से बने आभूषणों के लिए प्रदान किया जाता है, जो आई.एस. 1417 के मानकों के अनुरूप होता है।
    · एम्बार्गो:- एम्बार्गो से तात्पर्य व्यापार प्रतिषेध से है जिसके अन्तर्गत कोई राष्ट्र या कुछ राष्ट्र मिलकर किसी विशेष राष्ट्र के साथ अपना सम्पूर्ण व्यापार अथवा वस्तु-विशेष का व्यापार बन्द कर देते हैं। एम्बार्गों को घाट बन्दी के रूप में भी प्रयोग किया जाता है जिसके अन्तर्गत कोई एक राष्ट्र अथवा एक से अधिक राष्ट्र मिलकर किसी राष्ट्र के जहाजों के बढ़ने पर रोक लगा देते हैं। ऐसी स्थिति में उन जहाजों को किसी बन्दरगाह पर रोक दिया जाता है।
    · मध्य पत्तन व्यापार:- पुनर्निर्यात के लिए आयात करना मध्य पत्तन व्यापार कहलाता है। ऐसे बन्दरगाह जो सुविधाजनक वितरण केन्द्र हैं अर्थात् जहाँ से विभिन्न देशों को माल की आपूर्ति की जा सकती है। इस प्रकार से आयातित आधिक्य का आस-पड़ोस के देशों को निर्यात कर देते हैं। लंदन या सिंगापुर जैसे बन्दरगाहों के माध्यम से बड़ी मात्रा में मध्य पत्तन व्यापार किया जाता है।
    · निचले स्तर से नियोजन:- इसका आशय ऐसे नियोजन से है जिसमें समाज के निर्धन व पिछड़े वर्गों को योजना से सर्वाधिक लाभ प्राप्त हो, भारत में इस प्रकार के नियोजन को पर्याप्त रूप से अपनाया गया है।
    · ब्लूचिप कंपनियाँ:- वे कंपनियाँ जो अपने क्षेत्र में काफी समय से काम कर रही हैं तथा अपने क्षेत्र की शीर्ष तीन कम्पनियों में शामिल हों, ब्लूचिप कम्पनियाँ कहलाती हैं। माना जाता है कि अगर इन कम्पनियों में लांग टर्म निवेश किया जाए, तो पैसा डूबने की सम्भावना कम रहती है।
    · गोल्डेन हैण्डशेक:- यदि किसी कर्मचारी द्वारा अपनी नौकरी को सेवाकाल पूरा होने से पहले ही छोड़ दिया जाता है, तो उन्हें कंपनी द्वारा एक अधिक उदार भुगतान प्राप्त होता है।
    · क्रेता बाजार:- जब किसी वस्तु की माँग कम तथा पूर्ति अधिक होती है, जो विक्रेता की तुलना में क्रेता बेहतर स्थिति में होता है, ऐसे बाजार को क्रेता बाजार कहते हैं।
    · ब्रिज लोन:- कम्पनियाँ प्रायः अपनी पूंजी का विस्तार करने के लिए नये शेयर तथा डिबेंचर्स जारी करती रहती हैं, कम्पनी को शेयर जारी करके पूँजी जुटाने में तीन माह से भी अधिक समय लगता है। इस समयावधि में अपना काम जारी रखने के लिए कम्पनियाँ बैंकों से अन्तरिम अवधि के लिए ऋण प्राप्त कर लेती हैं। इस प्रकार के ऋणों को ब्रिज लोन कहते हैं।
    · स्टैग:- स्टैग उन व्यक्तियों को कहते हैं, जो नई कंपनियों के इश्युओं में भारी मात्रा में शेयरों के आवेदन-पत्र प्रेषित करते हैं। इनको यह आशा रहती है कि जब कुछ व्यक्तियों को शेयर नहीं मिलेंगे तो वे इन शेयरों को बढ़े मूल्य पर खरीदने को तैयार हो जायेंगे। यह व्यक्ति केवल आवेदन पत्र की राशि प्रेषित करते हैं तथा शेयर आवंटित होते ही बेच देते हैं।
    · शेयर सर्टिफिकेट:- यह एक ऐसा प्रमाण-पत्र है जो कम्पनी के मोहर के अधीन शेयरधारक के नाम जारी किया जाता है तथा इसमें उन शेयरों के नम्बर लिये रहते हैं, जिनके लिए यह जारी किया जाता है। उसमें शेयर भुगतान की गयी धनराशि का विवरण होता है।
    · बियर डिबेंचर:- ऐसा डिबेंचर जिसका हस्तांतरण केवल सुपुर्दगी के द्वारा हो जाता है, उनको डिबेंचर कहा जाता है। कंपनी के रजिस्टर में इनका कोई लेखा-जोखा नहीं होता है। डिबेंचर के साथ लगे कूपन को प्रस्तुत करने पर ब्याज तथा डिबेंचर को प्रस्तुत करने पर मूल धंन का भुगतान प्रस्तुतकर्ता को प्राप्त हो जाता है।


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