शिक्षा में प्राच्यवादी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये - (IAS 2011) |
1. प्राच्यवादी विचारों के आधार पर ही कलकत्ता में एक मदरसे तथा बनारस में हिन्दू कॉलेज की स्थापना की गर्इ थी। |
2. विलियम जोन्स और हैनरी टॉमस कोलझक प्राच्यवादी थे। |
3. वारेन हेस्टिंग्स प्राच्यवादियों के घोर विरोधी थे। |
4. प्राच्यवादी मानते थे कि अग्रेजों को पश्चिमी ज्ञान की बजाय भारतीय ज्ञान को ही प्रोत्साहन देना चाहिये। उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? |
A) केवल 1, 2 और 3
B) केवल 2, 3 और 4
C) केवल 1, 2 और 4
D) 1, 2, 3 और 4
Correct Answer: C
Solution :
उत्तर - केवल 1, 2 और 4 व्याख्या - प्राच्यवादी मानते थे कि अंग्रेजों को पश्चिमी ज्ञान की तुलना में भारतीय ज्ञान को ही प्रोत्साहित करना चाहिये। वे मानते थे हिन्दुओं और मुसलमानों को वही पढ़ाया जाना चाहिये, जिससे वे पहले से परिचित हैं और जिसे वे आदर एवं महत्त्व देते हैं। विलियम जोन्स 1783 में भारत आए। ये कंपनी द्वारा स्थापित सुप्रीम कोर्ट के जूनियर जज के पद पर कार्यरत थे। ये एक भाषाविद् तथा विचारों से प्राच्यवादी थे। हैनरी टॉमस कोलझक और नैथेनियल हॉलहेड भी प्राच्यवादी थे। वारेन हेस्टिंग्स प्राच्यवादियों के प्रबल समर्थक थे। प्राच्यवादियों के विचारों को ध्यान में रखकर ही वर्ष 1781 में अरबी, फारसी, इस्लामिक कानून के अध्ययन को बढ़ावा देने के लिये कलकत्ता में एक मदरसा खोला गया। इसी क्रम में 1791 में बनारस में हिन्दू कॉलेज की स्थापना की गर्इ, ताकि वहां प्राचीन संस्कृत ग्रंथों की शिक्षा दी जा सके और देश का शासन चलाने में मदद मिले।विशेष - प्राच्यवाद के विरोधी मानते थे कि पूर्वी समाजों का ज्ञान त्रुटियों से भरा हुआ और अवैज्ञानिक है। उनके अनुसार पूर्वी साहित्य गंभीर नही है। प्राच्यवादियों का विरोध करने वालों में जेम्स मिल और थॉमस बैबिंगटन मैकॉले प्रमुख थे। जेम्स मिल का मानना था कि अंग्रेजों को देशी जनता को खुश करने और उसका दिल जीतने के लिये जनता की इच्छा के हिसाब से या उसकी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षा नहीं देनी चाहिये। उनकी राय में शिक्षा के जरिये उपयोगी और व्यावहारिक चीजों का ज्ञान दिया जाना चाहिये। इसलिये भारतीयों को पढ़ाया जाना चाहिये कि पश्चिम ने किस तरह की वैज्ञानिक और तकनीकी सफलताएं हासिल कर ली हैं।You need to login to perform this action.
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