A) इलाहाबाद अधिवेशन, 1923 र्इ.
B) गया अधिवेशन, 1922 र्इ.
C) बेलगांव अधिवेशन, 1924 र्इ.
D) कराची अधिवेशन, 1930 र्इ.
Correct Answer: C
Solution :
उत्तर -बेलगांव अधिवेशन, 1924 र्इ. |
व्याख्या - कांग्रेस का बेलगाम अधिवेशन एक महत्वपूर्ण घटना थी, क्योंकि कांग्रेस का यही एकमात्र ऐसा अधिवेशन था जिसकी अध्यक्षता गांधी जी ने की थी। खिलाफत आंदोलन के बाद, हिंदू-मुस्लिम एकता खत्म हो रही थी और कांग्रेस दो हिस्सों में बंट गयी थी। इन परिस्थितियों में गांधीजी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन की अध्यक्षता की और किसानों को स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य धारा से जोड़ा। इसने आंदोलन को नर्इ ऊर्जा प्रदान की जो कि असहयोग आंदोलन के अचानक समाप्त किये जाने के कारण सुषुप्तावस्था में चला गया था। |
टिप्पणी - गांधीजी ने विशेष रूप से दक्षिण भारत में किसानों के बीच राष्ट्रवाद की भावनाओं को उत्तेजित किया। कर्नाटक के कुछ हिस्सों में स्वतंत्रता संग्राम की लौ को एन. एस. हार्डिकार, श्रीनिवास राव कौजल्गी जैसे कर्नाटक के कर्इ कांग्रेस कर्मियों ने जीवित रखा था। एन. एस. हार्डिकार द्वारा प्रशिक्षित हिंदुस्तान सेवा दल के स्वयंसेवकों ने इस अधिवेशन के दौरान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए सैनिटेशन और सिक्युरिटी की व्यवस्था की सारी जिम्मेदारी उठार्इ। उनके सेवा भाव को देखते हुए गांधी जी ने कहा था कि हार्डिकर और उनके संगठन के बगैर कांग्रेस का अधिवेशन सफल नहीं हो पाता। |
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