A) रामचरण शुक्ला
B) भारतेंदु हरिशचन्द्र
C) यशपाल
D) तुलसीदास
Correct Answer: B
Solution :
उत्तर - भारतेंदु हरिशचन्द्र |
व्याख्या - अग्र पंक्तियां निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल। बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को शूल। भारतेंदु हरिशचन्द्र द्वारा कही गई हैं। इन पंक्तियों का तात्पर्य यह है कि - भाषा ही है जो संपूर्ण राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधकर रखती है। उनमें राष्ट्रीयता का भाव जागृत करती है। अत: राष्ट्र के लिए उसकी अपनी एक निर्धारित व सर्वमान्य भाषा होना अनिवार्य है। यही राष्ट्र की संपर्क भाषा होती है। भाषा का प्रभाव संस्कृति पर और संस्कृति से जुड़ा होता है। समाज और राष्ट्रभाषा के प्रभावित होने पर ये सभी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते। |
You need to login to perform this action.
You will be redirected in
3 sec