Super Exam Physics Thermal Properties of Matter / द्रव्य के तापीय गुण Question Bank द्रव्य के तापीय गुण एवं ऊष्मागतिकी

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    संवहन द्वारा ऊष्मा का स्थानांतरण हो सकता है            (MPPSC 2017)

    A) ठोस एवं द्रव में

    B) ठोस एवं निर्वात में

    C) गैस एवं द्रव में

    D) निर्वात एवं गैस में

    Correct Answer: C

    Solution :

    उत्तर - गैस एवं द्रव में
    व्याख्या - ऊष्मा का एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर प्रवाहित होना ही, ऊष्मा का संचरण या स्थानांतरण कहलाता है, यह तीन प्रकार का होता है –
    (i) चालन (ii) संवहन एवं (iii) विकिरण।
    संवहन द्वारा ऊष्मा का संचरण केवल द्रवों और गैसों में होता है। जब द्रव तथा गैस को ऊपर से गर्म किया जाता है तो इनमे ऊपर से नीचे की ओर ऊष्मा संचरण होता है। जबकि ठोसों में केवल चालन संभव है। अतः संवहन की प्रक्रिया में पदार्थ के कण स्वयं स्थानांतरित होते है। पारा द्रव है फिर भी इसमें चालन होता है संवहन नहीं। उदाहरण- ह्रदय द्वारा रक्त का संवहन शरीर के तापमान को नियंत्रित रखता है। आग पर रखी पतीली का जल संवहन द्वारा गर्म होना।
    विशेष
    जल तुल्यांक- किसी वस्तु का जल तुल्यांक जल की वह मात्रा है जिसके ताप को \[1{}^\circ C\] बढ़ाने के लिए उतनी ही. ऊष्मा की आवश्यकता होती है, जितनी की वस्तु के ताप को \[1{}^\circ C\] बढ़ाने के लिए आवश्यक है।
    ऊष्मा का स्थानान्तरण- ऊष्मा सदैव उच्च ताप से निम्न ताप की ओर प्रवाहित होती है।
    ऊष्मा का एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर प्रवाहित होना ही, 'ऊष्मा का संचरण या स्थानान्तरण' कहलाता है। ऊष्मा स्थानान्तरण की तीन विधियां होती है
    (i) चालन, (ii) संवहन एवं (ii) विकिरण
    चालन (Conduction) - ऊष्मीय संचरण की इस विधि में किसी वस्तु के उच्च ताप वाले कण अपने समीपवर्ती निम्न ताप वालो कणों को ऊष्मा देते हैं तथा कोई भी कण अपने स्थान से नही हटता है। इस प्रकार ऊष्मा का वस्तु के उच्च ताप वाले भाग से निम्न ताप वाले भाग की ओर संचरण होता. है। चालन के लिए माध्यम का होना आवश्यक है।
    उदाहरण- यदि धातु की छड़ के एक सिरे को हाथ में पकड़कर दूसरे सिरे को गर्म किया जाए तो ऊष्मा छड़ के सिरे से चालन द्वारा हाथ में पकडे ठंडे सिरे की ओर जाने लगती है, जिससे हाथ में पकडे हुए छड़ का सिरा भी गर्म हो जाता है। ठोसों में तथा पारे में ऊष्मीय संचरण, चालन द्वारा ही होता है। चालन एक धीमी प्रकिया है। इसमें द्रव्य का प्रवाह नहीं होता है। जिस माध्यम से ऊष्मा प्रवाहित होती है उसका ताप बढ़ जाता है। चालन पदार्थ की सभी अवस्थाओं में संभव है। जब द्रव तथा गैस को ऊपर से गर्म किया जाता है तो इनमें ऊपर ऊपर से नीचे की ओर ऊष्मा संचरण होता है। ठोसों में केवलं चालन संभव है।
    धात्विक ठोसों में मुक्त इलेक्ट्रॉन ऊष्मीय ऊर्जा ले जाते है अत: ऊष्मा के अच्छे चालक होते है।
    संवहन (Convection)- इसमें ऊष्मा का प्रवाह उच्च ताप वाले स्थानों से निम्न ताप वाले स्थानों की ओर माध्यम के कणों की सहायता से इस प्रकार होता है कि माध्यम के कण स्वयं अपनी स्थितियां छोड़कर एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाते रहते हैं।
    सामान्य संवहन नीचे से ऊपर की ओर जबकि प्रणोदित संवहन किसी भी दिशा में होता है।
    हृदय द्वारा रक्त का संवहन शरीर के तापमान को नियंत्रित रखता है। गुरुत्व मुक्त क्षेत्र में सामान्य संवहन असंभव है। पारा द्रव है फिर भी इसमें चालन होता है संवहन नहीं।
    विकिरण (Radiation)- विकिरण ऊष्मा संचरणं की वह विधि है जिसमे किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें ऊष्मा विद्युत चुम्बकीय तरंगो के रूप में उत्सर्जित होती है। और प्रकाश की भांति सीधी रेखा में चलती है। इसी से सूर्य से पृथ्वी तक ऊष्मा (ऊर्जा) को विकिरण ऊर्जा के रूप में पहुंचाता है। ये विद्युत चुम्बकीय तरंगे प्रकाश की चाल चलती है। प्रकाश की चाल \[3\times {{10}^{8}}\] मीटर/सेकेंड होती है। चालन तथा संवहन द्वारा ऊष्मा संचरण का मार्ग टेढ़ा-मेढ़ा हो सकता है। जबकि विकिरण द्वारा ऊष्मा संचरण का मार्ग सीधी रेखा में होता है।


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