Super Exam Chemistry Environmental Chemistry / पर्यावरणीय रसायन Question Bank पर्यावरणीय रसायन

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    जल स्रोतों में जल के भौतिक, रसायनिक लक्षणों में परिवर्तन होने के कारण हैं                 (UPSC 1996)

    A) जलीय वृहतपाद (Macrophytes)

    B) जलीय कवक (Aquatic fungi)

    C) बहि:स्रावी (Effluents)

    D) वाष्पन-वाष्पोत्सर्जन (Evaporation transpiration)

    Correct Answer: C

    Solution :

    उत्तर - बहि:स्रावी (Effluents)
    व्याख्या - बहि:स्रावी (effluents) वैसे अपशिष्ट पदार्थ हैं जो शहरों के नालों, फैक्ट्री एवं अन्य औद्योगिक इकाइयों द्वारा किसी जल स्त्रोत में प्रवाहित किये जाते हैं। ये मुख्यत: द्रव अवस्था में होते हैं। इन बहि:स्रावी में अधिकांशत: हानिकारक तत्व एवं रसायनों के मिश्रण होते हैं, अत: ये जल के भौतिक गुणों (जैसे-रंग, गंध) एवं रासायनिक गुणों (जैसे- अम्लीकरण, विषाक्तता आदि) को दुषप्रभावित करते हैं। जिसे जल स्रोत जहरीले हो जाते हैं।
    विशेष -जल क अतराष्ट्रीय मानक-
    फ्लोराइड- फ्लोराइड युक्त पानी फ्लोरोसिस रोग कारण बनता है। फ्लोराइड आयनों (\[{{F}^{-}}\]) की 2ppm से अधिक सान्द्रता दांतों में भूरे धब्बे उत्पन्न करती है। 
    लेड (Pb)- पीने के जल में लेड की अधिकतम सीमा 50 ppm है। यह किडनी, लिवर तथा प्रजनन तन्त्र को हानि पहुंचाता है। 
    सल्फेट (\[S{{O}_{4}}^{2-}\]) -पीने के पानी में सल्फेट की अधिकता पेट के रोग एवं डीहाइड्रेशन होने का कारण बनता है। 
    नाइट्रेट- पीने के पानी में नाइट्रेट की अधिकतम सीमा 150 चचउ है। नाइट्रेट की अधिकता से मेथेमोग्लोबिनेमिया (ब्लूबेबीसिन्ड्रोम) रोग हो सकता है।


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