Super Exam Indian Polity and Civics Procedure for Constitutional Amendment Question Bank संविधान संशोधन की प्रकिया

  • question_answer
    सही सूमेलित कीजिएः
    सूची-I (संविधान संशोधन) सूची-II (प्रावधान)
    A. 53वाँ संविधान संषोधन 1. मन्त्रिपरिषद् का आकार निश्चित किया गया। केन्द्र व राज्य दोनों में प्रधानमन्त्री व मख्यमन्त्री समेत 15 परन्तु छोटे राज्यों में मुख्यमंत्री सहित न्यूनतम 12 मंत्री होने चाहिए।
    B. 56वाँ संविधान संषोधन (1987) 2. गोवा को भारत संघ के 25वें राज्य का दर्जा दिया गया।
    C.  61वाँ संविधान 3. मिजोरम को भारत संघ के संशोधन (1989) 23वें राज्य का दर्जा दिया गया।
    D. 91वाँ संविधान 4. लोकसभा तथा विधानसभा संशोधन (2003) चुनावों में मतदाताओं की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष की गई है।

    A)  A-3, B-2, C-4, D-1

    B) A-2, B-1, C-4, D-3

    C) A-2, B-3, C-1, D-4

    D) A-4, B-3, C-2, D-1

    Correct Answer: A

    Solution :

    व्याख्या-
    सूची-I (संविधान संशोधन) सूची-II (प्रावधान)
    A. 53वाँ संविधान संशोधन 1. मिजोरम को भारत संघ के संशोधन (1989) 23वें राज्य का दर्जा दिया गया।
    B. 56वाँ संविधान संशोधन (1987) 2. गोवा को भारत संघ के 25वें राज्य का दर्जा दिया गया।
    C.  61वाँ संविधान 3. लोकसभा तथा विधानसभा संशोधन (2003) चुनावों में मतदाताओं की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष की गई है।
    D. 91वाँ संविधान 4. मन्त्रिपरिषद् का आकार निश्चित किया गया। केन्द्र व राज्य दोनों में  प्रधानमन्त्री व मख्यमन्त्री समेत 15 परन्तु छोटे राज्यों में मुख्यमंत्री सहित न्यूनतम 12 मंत्री होने चाहिए।
    अन्य महत्वपूर्ण संविधान संशोधनों की सूची -
     53वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (1986) मिजोरम को भारत संघ के 23वें राज्य का दर्जा दिया गया ।
    55वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (1986) अरुणाचल प्रदेश को भारत संघ के 24वें राज्य का दर्जा दिया गया।
    56वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (1987) गोवा को भारत संघ के 25वें राज्य का दर्जा दिया गया।
    58वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (1987) भारतीय संविधान का हिन्दी में प्राधिकृत पाठ का प्रावधान किया गया।
    61वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (1989) लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों म मतदाताओं की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष की गई
    65वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (1990) अनुसूचित जाति और जनजाति के राष्ट्रीय आयोग में विशेष अधिकारी के स्थान पर बहुसदस्यीय व्यवस्था का उपबंध किया गया।
    69वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (1991) केन्द्रशासित प्रदेश दिल्ली का नाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र किया गया। दिल्ली में 70 सदस्यों वाली विधानसभा बनाई गई।
    70वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (1992) दिल्ली विधानसभा तथा पॉण्डिचेरी(पुदुचेरी) विधानसभा को राष्ट्रपति के निर्वाचन में भाग लेने का अधिकार प्रदान किया गया
    71वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (1992) कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया।
    73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (1992) पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा दिया गया, संविधान में ग्यारहवीं सूची जोड़ी गई।
    74वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (1992) नगरपालिका व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा दिया गया, संविधान में बारहवीं सूची जोड़ी गई।
    84वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (2001) 1991 की जनगणना के आधार पर राज्यों में लोकसभा एवं विधानसभा सीटों की संख्या में परिवर्तन किए बगैर निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्गठन।
    85वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (2002) सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जाति और जनजाति के उम्मीदवारों के लिए पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था।
    86वाँ संविधान संशोधन संविधान में अनुच्छेद 21, 45 अधिनियम, (2002) तथा 51को जोड़ा गया। राज्य द्वारा 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया गया।
    87वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (2003) परिसीमन में जनसंख्या का आधार 1991 की जनगणना के स्थान पर 2001 कर दिया गया।
    88वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (2003) सेवाओं पर कर का प्रावधान किया गया। सेवाओं पर कर केन्द्र द्वारा लगाया जाएगा, लेकिन इसकी प्राप्तियाँ केन्द्र और राज्यों द्वारा संगृहित और विनियोजित संसद द्वारा सुझाए गए मापदण्ड पर की जाएगी।
    89वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (2003) राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग का दो भागों राष्ट्रीय अनसचित जाति आयोग (अनच्छेद 338) तथा अनुसूचित जाति आयोग (अनुच्छेद 338) तथा अनुसूचित जाति आयोग (अनुच्छेद 338 क) में विभाजन।
    91वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (2003) मन्त्रिपरिषद् का आकार निश्चित किया गया। केन्द्र व राज्य दोनों में प्रधानमन्त्री व मख्यमन्त्री समेत 15% परन्तु छोटे राज्यों में मुख्यमंत्री सहित न्यूनतम 12 मंत्री होने चाहिए।
    92वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (2003) ’डोगरी’, ’मैथिली’, ’बोड़ो’ और’सन्थाली’ भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया। 93वाँ संविधान संशोधन निजी . एवं बिना सरकारी अनुदान अधिनियम, (2003) प्राप्त शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश पर सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए 27% आरक्षण।
    94वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (2006) अनसचित जनजातियों के कल्याण के लिए एक मन्त्री का प्रावधान, मध्य प्रदेश एवं ओडिशा के साथ-साथ छत्तीसगढ़ एवं झारखण्ड में भी।
    95वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (2010) अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए आरक्षण की अवधि लोकसभा/राज्य की विधानसभा के लिए 60 वर्ष से बढ़ाकर 70 वर्ष (10 वर्ष के लिए)।
    96वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (2011) ’उडिया’ भाषा को ’ओडिया’ में परिवर्तित किया गया। 
    97वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (2012) अनुच्छेद 19 (1)(ब) में ’सहकारी समितियाँ’ शब्द को जोड़ा गया।
    98वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (2013) हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र को विकसित करने हेतु कर्नाटक के राज्यपाल को सशक्त करने के लिए।
    99वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (2014) सर्वोच्च न्यायालय और उच्च-न्यायालयों में जजों की नियुक्ति एवं स्थानान्तरण के लिए ’राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग’ (वर्तमान के कोलिजियम सिस्टम के स्थान पर) की स्थापना हेतु (16 अक्टूबर, 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने ’राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग’ को असंवैधानिक बताते हये खारिज कर दिया अब वर्तमान में कोलिजियम सिस्टम ही मान्य है)।
    100वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (2015)  भारत-बांग्लादेश के मध्य भूमि सीमा समझौते से सम्बन्धित।
    101वाँ संविधान संशोधन संविधान में एक नया अनुच्छेद-246अधिनियम, (2016) जोड़ा गया, जो प्रावधान करता है कि संसद और राज्य की विधानसभाओं दोनों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित विषय पर कानून बनाने का अधिकार है। संविधान में एक नया अनुच्छेद-279जोड़ा गया जो राष्ट्रपति द्वारा एक जीएसटी परिषद के गठन का प्रावधान करता है।
    102वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (2018) राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया गया, जो 1993 में संसद के एक अधिनियम द्वारा स्थापित किया गया था।
    103वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, (2019) नागरिकों के किसी भी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की उन्नति के लिए कोई विशेष प्रावधान करने के लिए राज्य को सशक्त बनाना। राज्य को निजी शिक्षण संस्थानों सहित सैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए इस तरह के वर्गों के लिए 10 प्रतिशत सीटों तक के आरक्षण का प्रावधान करने की अनुमति दी गई है, चाहे वह सहायता प्राप्त हो या राज्य द्वारा सहायता प्राप्त न हो, अल्प संख्यक शैक्षणिक संस्थानों को इससे छूट प्रदान की गई है। 10 प्रतिशत का यह आरक्षण वर्तमान आरक्षण व्यवस्था के अतिरिक्त होगा।


You need to login to perform this action.
You will be redirected in 3 sec spinner