यांत्रिकी
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विश्लेषणात्मक अवधारणा
यांत्रिकी न्यूटन के गति के नियमों तथा गुरुत्वाकर्षण के नियम पर आधारित है। यांत्रिकी का संबंध कणों, दृढ पिंडों तथा कणों के व्यापक निकायों की गति अथवा संतुलन से है। इस अध्याय में हम गति के बारे में पढ़ेंगे। इसके लिए हमें वेग तथा त्वरण की धारणा को समझना होगा।
यांत्रिकी न्यूटन के गति के नियमों तथा गुरुत्वाकर्षण के नियम पर आधारित है।
यांत्रिकी का संबंध कणों, दृढ़ पिंडो तथा कणों के व्यापक निकायों की गति से है।
गति की परिभाषा एवं प्रकार
समय के साथ किसी स्थिर वस्तु के सापेक्ष किसी पिंड या निकाय की स्थिति में होने वाले परिवर्तन को गति कहा जाता है। गति किसी वस्तु के सापेक्ष ही संभव है परन्तु गतिमान वस्तु का प्रत्येक वस्तु के सापेक्ष होना आवश्यक नही है।
गति के प्रकार
1. सरल रेखा मे गति 2. अनियमित गति
3. आवर्ती गति 4. वक्रीय गति
5. ऊर्ध्वरेखीय गति 6. घूर्णन गति
7. प्रक्षेप्य गति 8. गुरुत्वाधीन गति
दूरी (Distance)- गतिमान वस्तु द्वारा किसी समय में तय किये गये पथ की लम्बाई को उस वस्तु द्वारा चली गई दूरी कहते है। दूरीअदिश राशि है।
विस्थापन (Displacement)- किसी वस्तु की अन्तिम स्थिति तथा प्रारम्भिक स्थिति के बीच की न्यूनतम दूरी को विस्थापन कहते हैं। यह सदिश राशि है। इसका मान धनात्मक, ऋणात्मक, और शून्य भी हो सकता है।
चाल (Speed)- किसी वस्तु द्वारा एकांक समयान्तराल में जितनी दूरी तय होती है उस वस्तु की चाल कहलाती है। यह अदिश राशि है | चाल \[=\frac{nwjh}{le;}\]\[=\frac{L}{T}=\left[ {{M}^{0}}{{L}^{1}}{{T}^{-1}} \right]\]SI मात्रक = मीटर/सेकेंड होती है।
वेग (Velocity)- इकाई समय में किसी वस्तु द्वारा तय किया गया विस्थापन उस वस्तु का वेग कहलाता है। यह सदिश राशि है।
\[osx=\frac{foLFkkiu}{le;karjky}\]\[=\frac{s}{t}\]\[=\frac{ehVj}{lsdsaM}\]=\[\left[ {{M}^{0}}{{L}^{1}}{{T}^{-1}} \right]\]
SI मात्रक = मीटर/सेकेंड
त्वरण (Acceleration)- किसी वस्तु के वेग परिवर्तन की दर को त्वरण कहते हैं। यह एक सदिश राशि है। SI मात्रक- मीटर/ से2 होती है।
त्वरण \[(\vec{a})\]\[=\frac{osx\,ifjorZu}{le;karjky}\]\[=\frac{\Delta v}{\Delta \,t}=\left[ {{M}^{0}}{{L}^{1}}{{T}^{-2}} \right]\]
गुरुत्वीयत्वरण (Acceleration due to Gravity)- यदि किसी वस्तु की गति ऊर्ध्वाधर दिशा में या गुरुत्वीय क्षेत्र में होती है, तो वस्तु पर गुरुत्वीय बल प्रभावी रूप से लगता है। उसके कारण जो गुरुत्वीय त्वरण उत्पन्न होता है उसे गुरुत्वीय त्वरण कहते हैं। इसे 'g' से प्रदर्शित करते हैं।
गति विषयक ग्राफ- समय वेग संबंधी ग्राफ
(i) (ii)
(iii) (iv)
(v) (vi)
(vii) (viii)
बल की परिभाषा एवं प्रकार
बल वह बाह्य कारक है जो किसी वस्तु की विराम या गति की दिशा मे परिवर्तन कर सकता है या परिवर्तन करने का प्रयास करता है बल कहलाता है। SI मात्रक- न्यूटन या कि.ग्रा. या मी./से.2 होता है। 1 न्यूटन = 10 डाइन, 1 कि.ग्रा. बल = 9.8 न्यूटन, 1 ग्राम बल = 980 डाइन होता है।
बल के प्रकार
1. सम्पर्क बल (Contact Force): वह बल जो किसी व्यक्ति, वस्तु, यंत्र, या निकाय द्वारा किसी व्यक्ति, वस्तु, यंत्र या निकाय पर प्रत्यक्ष सम्पर्क द्वारा आरोपित किया जाता है, उसे सम्पर्क बल कहते हैं। यह प्रत्यक्ष कारक बल होता है। उदाहरण- हवा द्वारा वृक्षों को हिलाना, गतिमान वस्तु द्वारा स्थिर वस्तु को गतिमान कर देना।
2. असम्पर्क बल (Uncontact force): बल उत्पन्न करने वाला कारक प्रत्यक्ष न होकर अप्रत्यक्ष होता है या केवल महसूस होता है असम्पर्क बल कहलाता है। उदाहरण- चुम्बकीय बल
असम्पर्क बल के प्रकारः (i) गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational force): दो पिंडों के द्रव्यमानों के गुणनफलों के अनुक्रमानुपाती व उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युक्रमानपाती होता है।
G = सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियंताक
G = \[6.67\times {{10}^{-11}}\] न्यूटन मी2/ कि.ग्रा.2
गुरुत्वीय त्वरणः इसका मान 9.8 मी/से2 होता है।
(ii) विद्युत चुम्बकीय बल- 1. चुम्बकीय बल- \[{{F}_{M}}=\frac{1}{4\pi u}\frac{{{i}_{1}}{{i}_{2}}}{{{r}^{2}}}\]जहां \[{{i}_{1}}\] व \[{{i}_{2}}\] दोनों ध्रुव की प्रबलता है। r = ध्रुवों के बीच की दूरी,
u = ध्रुवों के बीच माध्यम की पारगम्यता
2. स्थिर विद्युत बल- \[{{F}_{e}}=\frac{1}{4\pi {{\varepsilon }_{0}}}\frac{{{q}_{1}}{{q}_{2}}}{{{r}^{2}}}\] जहां \[{{q}_{1}}\] व \[{{q}_{2}}\] दोनों आवेग है तथा r उनके बीच की दूरी व \[{{\varepsilon }_{0}}\] माध्यम की विद्युतशीलता अभिकेंद्रीय बल एवं अपकेंद्रीय बलः अभिकेंद्रीय बल (Centripetal Force)- किसी वृत्तीय मार्ग पर एक समान चाल से गति करते हुए पिंड पर बल कार्य करता है जिसकी दिशा सदैव केंद्र की ओर रहती है, अभिकेंद्रीय बल कहलाता है। यह बल गतिमान वस्तु में एक त्वरण उत्पन्न करता है जिसका परिमाण \[\frac{{{v}^{2}}}{r}\] के बराबर होता है।
\[{{F}_{C}}=ma\]
\[{{F}_{C}}=\frac{M{{v}^{2}}}{r}\left( a=\frac{{{v}^{2}}}{r},v=r.w \right)\]
\[\] \[\omega \]= कोणीय वेग
विमा = \[\left[ ML{{T}^{-2}} \right]\] r = त्रिज्या
m = द्रव्यमान
v = वस्तु का वेग
उदाहरण- कार का सड़क पर मुड़ना, परमाणु में इलेक्ट्रान का नाभिक के चारों और घूमना, पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाना।
अपक्रेन्दीय बल (Centrifugal Force)- जब कोई वस्तु किसी वृत्ताकार मार्ग पर गति करती है तो वृत्तीय मार्ग के केंद्र के विपरीत दिशा में एक बल का अनुभव होता है। जिसे अपकेंद्रीय बल कहते हैं। उदाहरण- दूध से क्रीम को अलग करना, वाशिंग मशीन।
तनाव बल (Tension Force)- किसी स्थिर वस्तु से रस्सी को बांधकर लटकाना और नीचे की तरफ रस्सी में पत्थर बांध देना।
बलों का संतुलन- जब किसी वस्तु पर एक साथ एक से अधिक बल कार्य रहे हों और कोई प्रभाव न पड़े तो बल संतुलन में है। ऐसी स्थिति मे बलों का परिणामी बल शून्य होता है। जैसे- रस्साकशी के खेल में।
सरल मशीन- यह वह युक्ति है जो कार्य करने को आसान बनाती है। यह बल आघूर्ण के सिद्धांत पर कार्य करती है। सरल मशीन के उदाहरण- 1. उत्तोलक 2. चक्र तथा धुरी 3. आनत तल 4. स्क्रू जैक 5. पुली
(1) उत्तोलक- एक प्रकार की सरल मशीन है। चिमटा, सरौता, कैंची इसके उदाहरण हैं। उत्तोलक में तीन बिन्दु मुख्य होते हैं।
(a) आलम्ब (Fulcrum)
(b) आभास (Effort)
(c) भार (Load)
उत्तोलक का सिद्धांत (Theory of lever)
आभास एवं आभास भुजा का गुणनफल, भार एवं भार भुजा के गुणनफल के बराबर होता है।
उत्तोलक के प्रकार- (a) प्रथम श्रेणी के उत्तोलक - आलम्ब, आभास तथा भार के बीच में स्थित होता है। (b) द्वितीय श्रेणी के उत्तोलक - भार, आलम्ब तथा आभास के बीच होता है। (c) तृतीय श्रेणी के उत्तोलक - आभास, आलम्ब तथा भार के बीच होता है।
प्रथम श्रेणी उत्तोलक के उदाहरण- प्लास, कैंची, सिड़ासी, हैण्डपम्प, सीसा - झूला इत्यादि
द्वितीय श्रेणी उत्तोलक के उदाहरण- सरौता, पहिया, नींबू निचोड़ने की मशीन, कब्जे पर घूमने वाला दरवाजा
तृतीय श्रेणी के उत्तोलक- चिमटा, बेलचा, खेत जोतने का हल इत्यादि।
बल आघूर्ण
बल द्वारा एक पिंड को एक अक्ष के परितः घुमाने की प्रवृति को ही बल आघूर्ण कहते हैं।
बल आघूर्ण का माप- बल आघूर्ण (\[\tau \]) = बल (F) \[\times \] बल के लम्बत दूरी (d)
\[\]
यह एक सदिश राशि है। S| मात्रक = न्यूटन मीटर
आधारित मशीनें- पानी निकालने वाले हैण्ड पम्प का हत्था लम्बा लगाना, घरों मे गेंहू पीसने का (जाता का) हत्था कील से दूर लगाया जाता है ताकि जांता घूमाने के लिए कम बल लगाना पड़ता है।
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