मुग़ल साम्राज्य का विघटन (उत्तरकालीन मुगल बादशाह)

मुग़ल साम्राज्य का विघटन (उत्तरकालीन मुगल बादशाह)

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मुग़ल साम्राज्य का विघटन

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

से भारतीय इतिहास को चकाचैंध कर डाला। परन्तु औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य रूपी सूर्य धीरे-धीरे अस्ताचल की ओर बढ़ने लगा। 1707 ई. में औरंगजेब की मृत्यु के बाद भारतीय इतिहास में एक नए युग का पदार्पण हुआ, जिसे ‘उत्तर मुगल काल’ कहा जाता है। औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य का पतन भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है। विशाल मुगल साम्राज्य पहले की तुलना में केवल छायामात्र रह गया। मुगल साम्राज्य रूपी वृक्ष की शाखाएं एक-एक कर टूटने लगी और आगे चलकर मुगल साम्राज्य की ठूठ की तरह दिखाई देने लगा। उसकी आत्मा पहले ही निकल चुकी थी। अंतिम जनाजा 1862 ई. में बहादुरशाह जफर के साथ दफना दी गई। मुगल साम्राज्य के उत्कर्ष का विवरण जितना रोचक और रोमांचक है उसके पतन की कहानी उतनी ही दर्दनाक है। इस घटना ने मध्यकाल का अंत कर आधुनिक भारत की नींव रखी।

 

 

उत्तरकालीन मुगल बादशाह

बहादुर शाह प्रथम

1707 - 1712 ई.

जहांदार शाह

1712 - 1713 ई

फर्रुखशियार

1713 - 1719 ई.

रफी उद्द रजात

1719 ई.

रफी उद् दौला

1719 ई.

मुहम्मद शाह

1719 - 1748 ई.

अहमद शाह

1748 - 1754 ई.

आलमगीर द्वितीय

1754 - 1759 ई.

शाहआलम द्वितीय

1759 -1806 ई

अकबर द्वितीय

1806 - 1837 ई.

बहादुरशाह द्वितीय जफर

1837 - 1857 ई.

 

नोट- शासकों के नाम के साथ शासनावधि दी गई है।

 

बहादुरशाह प्रथम (19 जून 1707-27 फरवरी 1712)

पूरा नाम

कुतुब-उद-दीन खमुहम्समद मुअज्जम

जन्म

14 अक्टूबर 1643 बुरहानपुर, मुगल साम्राज्य

माता

रहमतुन्निस बेगम (नवाब बाई)

पिता

औरंगजेब

शासनकाल की अवधि

19 जून 1707-27 फरवरी 1712 तक

मृत्यु

27 फरवरी 1761 लाहौर

 

  • बहादुर शाह प्रथम, महान मुगल सम्राट भारत पर शासन करने वाला भारत का 8वां मुगल शासक था, जिसने भारत पर सिर्फ 5 साल शासन किया था।
  • बहादुर शाह के शासन के समय उसके दरबार में षड़यंत्र के कारण दो दल बन गए थे, जिसमें ईरानी दल ‘शिया मत’ को मानने वाले थे, जबकि तुरानी दल ‘सुन्नी मत’ के समर्थक थे।
  • बहादुर शाह प्रथम ने राजपूतों के साथ संधि की नीति अपनाई थी, इसके साथ ही उसने मराठाओं के साथ शांति स्थापित करने की कोशिश भी की थी, जो मुगल वंश के लिए सबसे बड़ा खतरा थे। इस तरह बहादुर शाह की नीतियां मुगल वंश के पतन का कारण बनी।

 

जहांदार शाह (1712-1713 ई.)

पूरा नाम

मोहम्मद खान जहांदार शाह बहादुर

जन्म

9 मई 1661, दक्कन, मुगल साम्राज्य

पिता

बहादुरशाह प्रथम

मृत्यु

1713 ई. दिल्ली, मुगल साम्राज्य

 

  • जहांदार शाह के पिता बहादुरशाह प्रथम की मौत के बाद उत्तराधिकारी के लिए सभी भाइयों में काफी संघर्ष हुआ, इस भीषण संघर्ष में उसके तीन भाइयों की मौत हो गई, जिसके बाद जहांदार शाह मुगल सिंहासन की राजगद्दी पर बैठा था।
  • जहांदार शाह ने बेहद कम समय तक ही शासन किया। ऐसा माना जाता है कि वह अपने प्रधानमंत्री जुल्फिकार खां, जिसने उसे मुगल सत्ता दिलवाने में उसकी मदद की थी, के हाथों की जुल्फिकार खां लेता था।

 

फर्रुखशियार (11 जनवरी 171328 फरवरी 1719)

  • जहांदार शाह के पिता बहादुरशाह प्रथम की मौत के बाद उत्तराधिकारी के लिए सभी भाइयों में काफी संघर्ष हुआ, इस भीषण संघर्ष में उसके तीन भाइयों की मौत हो गई, जिसके बाद जहांदार शाह मुगल सिंहासन की राजगद्दी पर बैठा था।
  • जहांदार शाह ने बेहद कम समय तक ही शासन किया। ऐसा माना जाता है कि वह अपने प्रधानमंत्री जुल्फिकार खां, जिसने उसे मुगल सत्ता दिलवाने में उसकी मदद की थी, के हाथों की जुल्फिकार खां लेता था।

 

फर्रुखशियार (11 जनवरी 171328 फरवरी 1719)

पूरा नाम

अब्बुल मुजफ्फरुद्दीन मुहम्मद शाह फर्रुखशियार

जन्म

20 अगस्त 1685, औरंगाबाद, महाराष्ट्र

मृत्यु तिथि

अप्रैल 1719

स्थान

दिल्ली

माता

साहिबा निस्वान

पिता

अजीमुश्शान

 

  • 1713 ई. में मुगल वंष का शासक बनने के बाद ही फर्रुखशियार ने जुल्फिकार खां की हत्या करवा दी। इसके साथ ही उसके ही शासनकाल में सिक्ख नेता बन्दा सिंह को उसके 740 समर्थकों के साथ बन्दी बना लिया था और बाद में इस्लाम धर्म स्वीकार नहीं करने पर उसकी निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई थी।
  • 1717 ई. में फर्रुखशियार ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल के लिए मुफ्त व्यापार करने का अधिकार दिया, जिसके बाद से ही अंग्रेज भारत में मजबूती से पैर जमाने लगे थे, जबकि दूसरी तरफ मुगल वंश पतन के मुहाने पर खड़ा था।

 

मुहम्मद शाह (27 सितम्बर 171926 अप्रैल 1748)

पूरा नाम

रोशन अख्तर नसीरुद्दीन मुहम्मद शाह

माता

कुदसिया बेगम

पिता

खुजिस्ता अख्तर जहान शाह

पत्नियां

बादशाह बेगम मल्लिका-उज-जमानी, उधमबाई

 

  • मोहम्मद शाह को मोहम्मद शाह रंगीला के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इन्हें स्त्रियों के साथ रहने, नाच-गाने का भी काफी शौक था।
  • मोहम्मद शाह के शासनकाल में साल 1739 ई. में नादिरशाह ने भारत पर आक्रमण कर दिल्ली में लूटपाट मचाई थी।
  • मोहम्मद शाह के शासनकाल के समय कई विदेशी शक्तियों ने भारत में अपने पैर पसार लिए थे, जिससे मुगल वंश का पतन होना तय हो गया था।

 

अहमद शाह बहादुर (26 अप्रैल 1748-2 जून 1754)

 

  • अहमद शाह बहादुर ने मुगल सल्तनत पर करीब 6 साल तक अपना शासन किया था।
  • उसके शासनकाल में राज्य का कामकाज महिलाओं और हिजड़ों के एक गिरोह के हाथों में था।
  • अहमद शाह बहादुर एक अयोग्य एवं अय्याश शासक था, जिसमें प्रशासनिक क्षमता न के बराबर थी। उसकी मूर्खतापूर्ण फैसलों से न सिर्फ मुगल अर्थव्यवस्था बेहद कमजोर हो गई, बल्कि भारत पर अफगान हमलों का खतरा भी बढ़ गया।

 

आलमगीर द्वितीय (2 जून 1754-29 नवम्बर 1759)     

पूरा नाम

अजीज उद-दीन आलमगीर द्वितीय

जन्म

6 जून 1699, मुल्तान

पिता का नाम

जहांदार शाह

मृत्यु

29 नवम्बर 1759

 

  • बहादुर अहमदशाह को गद्दी से निष्काषित करने के बाद आलमगीर द्वितीय मुगल सिंहासन की राजगद्दी पर बैठा था।
  • आलमगीर द्वितीय अपने वजीर गाजीउद्दीन इमादुलमुल्क के निर्देशों पर काम करता था, हालांकि 1759 ई. में उसकी वजीर गाजीउद्दीन ने ही उसकी हत्या करवा दी थी।
  • आलमगीर द्वितीय के शासनकाल में ही 1756 ई. में अहमदशाह अब्दाली ने चैथी बार भारत में आक्रमण किया था और दिल्ली में काफी लूटपाट की थी, सिंध पर कब्जा कर लिया था।
  • इसके साथ ही 1758 ई. में मराठों ने दिल्ली पर चढ़ाई की वहीं आलमगीर द्वितीय इन सभी घटनाओं को मूकदर्शक बनकर देखता रहा।
  • इससे पहले 1757 ई. में हुए प्लासी के युद्ध में ईस्ट इंडिया कंपनी की जीत के बाद से भारत में अंग्रेजों की स्थिति मजबूत होती चली गई और मुगल पतन के मुहाने पर पहुंच गए।

 

शाहआलम द्वितीय (24 दिसम्बर 1759-19 नवम्बर 1806)

पूरा नाम

अली गौहर शाह-ए-आलम द्वितीय

जन्म

25 जून 1728, शाहजहांनाबाद

पिता

आलमगीर द्वितीय

माता

जीनत महल

मृत्यु

19 नवम्बर 1806

               

  • शाह आलम द्वितीय 1759 ई. में आलमगीर द्वितीय के उत्तराधिकारी के रुप में मुगल सिंहास न की गद्दी पर बैठा था।
  • बादशाह शाहआलम द्वितीय ने अपने शासनकाल में ईस्ट इंडिया कंपनी से इलाहाबाद की संधि कर ली थी और इस संधि के मुताबिक वह ईस्ट इंडिया कंपनी से मिली पेंशन पर अपना जीवन-यापन करता था।
  • शाह आलम द्वितीय के शासनकाल के दौरान ही अहमद-शाह-अब्दाली ने आक्रमण किया था।
  • शाह आलम द्वितीय का शासनकाल भारतीय इतिहास का सबसे संकटग्रस्टकाल रहा है। इस समय ईस्ट इंडिया कंपनी भारत के बंगाल, बिहार, उड़ीसा समेत कई राज्यों पर अपना प्रभुत्व जमा चुकी थी और मुगलों की शक्ति पूरी तरह कमजोर पड़ चुकी थी।

 

अकबर शाह द्वितीय (19 नवम्बर 1806-28 सितम्बर 1837)                                          

पूरा नाम

मुहम्मद अकबर शाह द्वितीय

जन्म

22 अप्रैल 1760

मृत्यु तिथि

28 सितम्बर 1837

माता

कुदसिया बेगम

पिता

शाहआलम द्वितीय

 

  • अकबर शाह द्वितीय मुगल वंश का 18वां सम्राट था, जिसने करीब 31 वर्ष मुगल सत्ता पर राज किया था।
  • हालाकि, उसके शासनकाल में मुगलकाल का सबसे कठिन दौर चल रहा था, उस समय मुगल पूरी तरह कमजोर पड़ गए थे एवं उन्हें ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सहारे अपना जीवनयापन करना पड़ रहा था।
  • अकबर शाह द्वितीय भी ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की मदद से अपना जीवन निर्वाह कर रहा था और, वह महज नाम मात्र
  • का शासक था।

 

बहादुर शाह जफर (28 सितम्बर 1837-14 सितम्बर. 1857)  

पूरा नाम

अबु जफर सिराजुद्दीन महम्मद बहादुर शाह जफर

अन्य नाम

बहादुरशाह द्वितीय

जन्म

24 अक्टूबर 1775

मृत्युतिथि

7 नवंबर 1862, रंगून, बर्मा

माता

लालबाई

पिता

अकबर शाह द्वितीय

 

  • बहादुर शाह जफर मुगल वंश के अंतिम शासक थे। इन्होंने आजादी के पहले स्वतंत्रता संग्राम तक अपना शासन किया।
  • बहादुर शाह जफर ने अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने के लिए उनके खिलाफ विद्रोह किया।
  • 1857 ई. में अंग्रेजों को हार के बाद उन्हें म्यांमार में भेज दिया
  • जहां 1862 ई. में उनकी मृत्यु हो गई, और इसी के साथ सदियों तक भारत पर राज कर चुके मुगलों का अंत हो गया।

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