अकबर

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अकबर

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

अकबर का जन्म पूर्णिमा के दिन हुआ था इसलिए उनका नाम बदरुद्दीन मोहम्मद अकबर रखा गया था। बद्र का अर्थ होता है पूर्ण चंद्रमा और अकबर उनके नाना शेख अली अकबर जामी के नाम से लिया गया था। अकबर का पूरा नाम बदरुद्दीन मुहम्मद अकबर था। उसका जन्म 15 अक्टूबर 1542 को अमरकोट में हुआ था। भारत में उसका शासन 1556-1605 ई. तक रहा। वह एक महान मुगल शासक रहा है। अपने साम्राज्य की एकता को बनाए रखने के लिए अकबर ने कई नई नीतियां बनाई। अक्षर ज्ञान के अभाव में भी बहुत ज्ञानी था। अकबर बहुश्रुत था। हाफिज, रूमी आदि की काफी कविताएं उसे याद थीं। उस समय की प्रसिद्ध कविताओं में शायद ही कोई होगी, जो उसने सुनी नहीं थी। भारतीय इतिहास में अकबर का नाम काफी प्रसिद्ध है। उसने अपने शासनकाल में सभी धर्मों का सम्मान किया।

 

 

पूरा नाम

जलालउद्दीन मुहम्मद अकबर

जन्म

15 अक्टूबर 1542

जन्मभूमि

अमरकोट, सिन्ध (वर्तमान पाकिस्तान)

वंश

तैमूर और चंगेज खां का वंश

पिता

हुमायूं

माता

हमीदा बानो बेगम

पत्नी

मरियम उज जमानी (हरखाबाई)

संतान

जहांगीर

उपाधि

जलाल उद दीन

शासन काल

27 जनवरी 1556-27 अक्टूबर 1605 (49 वर्ष 9 माह)

राज्याभिषेक

14 फरवरी 1556 (कलानपुर के पास गुरदासपुर)

धार्मिक मान्यता

दीन ए इलाही

युद्ध

पानीपत, हल्दीघाटी

मृत्यु तिथि

27 अक्टूबर 1605 (उम्र 63 वर्ष)

मृत्यु स्थान

फतेहपुर सीकरी, आगरा

मकबरा

सिकन्दरा, आगरा

               

  • अकबर का जन्म अमरकोट के राणा वीरसाल के महल में 15 अक्टूबर 1542 में हुआ था।
  • अकबर अपने जन्म के प्रारंभिक तीन वर्ष अस्करी के संरक्षण में रहा। अकबर की प्रारंभिक स्थिति को सुदृढ करने में इसके संरक्षक बैरम खां का सबसे बड़ा हाथ था जो फारस के शिया सम्प्रदाय से संबंधित था।
  • अकबर का राज्याभिषेक बैरम खां की देखरेख में पंजाब के गुरूदासपुर जिले के कालानौर नामक स्थान पर 14 फरवरी 1556 को मिर्जा अबुल कासिम ने किया था।
  • शासक बनने के बाद 1556-1560 ई. तक बैरम खां के संरक्षण में रहा।
  • पानीपत का द्वितीय युद्ध (5 नवंबर 1556) - पानीपत का द्वितीय युद्ध अकबर की सेना तथा हेमू (अफगान शासक मुहम्मद आदिल शाह का सेनापति) की सेना से हुआ, जिसमें हेमू पराजित हुआ और मारा गया। ज्ञात हो कि हेमू मध्यकालीन भारत का एकमात्र हिन्दू शासक था, जिसने दिल्ली के सिंहासन पर अधिकार किया और विक्रमादित्य की उपाधि धारण की थी।
  • हल्दी घाटी का युद्ध ( 18 जून 1576) - हल्दी घाटी का युद्ध 18 जून 1576 गोगुन्दा के निकट हल्दी घाटी के मैदान में महाराणा प्रताप और मुगल सेना के मध्य हुआ, जिसमें महाराणा प्रताप पराजित हुए।
  • पर्दा शासन ( 1560-1564 ई.) - बैरम खां के पतन के पश्चात् अकबर हरम की स्त्रियों के प्रभाव में आ गया तथा उन्हें शासन में हस्तक्षेप करने का अधिकार प्रदान किया। इसी कारण इस काल (1560-1564 ई.) को पर्दा शासन या स्त्री शासन भी कहा जाता है। पर्दा शासन के अंतर्गत हरम दल के महत्वपूर्ण सदस्यों में हमीदा बानो बेगम, माहम अनगा, आधम खान, शिहाबुद्दीन अतका, मुल्लापीर मुहम्मद तथा मुनीम खां शामिल थे।

 

अकबर की धार्मिक नीति

  • अकबर की धार्मिक नीति सुलह-ए-कुल अर्थात सार्वत्रिक भाईचारा के सिद्धांत पर आधारित थी। अकबर की धार्मिक नीति को भक्ति एवं सूफी संतों ने भी अत्यधिक प्रभावित किया। अकबर सूफी संत शेख सलीम चिश्ती के प्रति अत्यंत श्रद्धा रखता था तथा अपने पुत्र सलीम (जहांगीर) का नाम भी उनके नाम पर ही रखा।
  • 1562 ई. में अकबर ने युद्ध बंदियों को बलपूर्वक इस्लाम स्वीकार करने पर प्रतिबन्ध लगा दिया।
  • 1562 ई. में अम्बर की राजपूत राजकुमारी जोधाबाई से विवाह के पश्चात् अकबर हिन्दू धर्म के संपर्क में आया तथा स्वयं मथुरा की यात्रा की तथा तीर्थ यात्रा कर समाप्त कर दिए।
  • 1563 ई. में ही पंजाब में गौ-हत्या पर प्रतिबन्ध लगा दिया।
  • 1564 ई. में अकबर ने हिंदुओ पर लगने वाले जजिया कर को समाप्त का दिया। यद्यपि राजपूतों से संघर्ष के बाद इसे पुनः लागू किया तथा 1579 ई. में इसे पूर्णतः समाप्त कर दिया।

 

इबादत खाना (पूजा गृह) 

  • 1575 ई. में अकबर ने फतेहपुर सीकरी में इबादत खाना (पूजा गृह) की स्थापना करवाई। उलेमाओं के आपसी द्वेष के कारण अकबर अत्यधिक असंतुष्ट हुआ तथा 1578 ई. में इबादत खाने के द्वार सभी धर्मों के लिए खोल दिए।
  • इबादत खाने में भाग लेने वाले प्रमुख आचार्य निम्न है
  • हिन्दू - पुरुषोत्तम और देवी
  • ईसाई - रुडोल्फ अकावीवा और एन्टोनी मानसेरॉट
  • पारसी - दस्तूर मेहरजी राणा
  • जैन - हरिविजय सूरी (जगत गुरु की उपाधि), विजयसेन
  • सूरी, भानुचन्द उपाध्याय व जिनचन्द्र सूरी (युग प्रधान
  • की उपाधि)
  • पारसी धर्मगुरु दस्तूर मेहरजी राणा की सलाह से ही अकबर ने राजमहल में अग्नि प्रज्वल्लित करने का आदेश दिया जो . अबुल फजल की देख रेख में लगातार जलती रहती थी।
  • मजहर की घोषणा - 1579 ई. में अकबर ने सभी धार्मिक मामलों को अपने हाथ में लेने के लिए मजहरनामा (घोषणा पत्र) जारी करवाया, जिसका प्रारूप शेख मुबारक ने तैयार किया। इस मजहर की घोषणा के अनुसार किसी भी धार्मिक मामलों पर मतभेद की स्थिति में अकबर सबसे बड़ा धार्मिक अधिकारी हो गया। इस घोषणा पत्र में अकबर को अमीर-उल-मोमिनीन कहा गया।
  • दीन-ए-इलाही धर्म की स्थापना- 1582 ई. में अकबर ने दीन-ए-इलाही धर्म की स्थापना की थी। जिसका उद्देश्य नए धर्म की स्थापना नहीं अपितु सभी धर्मों में सामंजस्य स्थापित करना था। इस नवीन धर्म का प्रधान पुरोहित अबुल-फजल था। हिन्दूओं में केवल बीरबल ने ही इसे स्वीकार किया था।

 

दीन-ए-इलाही के प्रमुख सिद्धांत

  • सम्राट को अपना आध्यात्मिक गुरु मानना व उसके आदेशानुसार आचरण मानना
  • दानशीलता
  • सांसारिक इच्छा का परित्याग
  • शाकाहारी भोजन लेना
  • विशुद्ध नैतिक जीवन व्यतीत करना
  • मधुर भाषी होना
  • ईश्वर से प्रेम
  • एकात्मकता के प्रति समर्पण
  • अकबर के नवरत्न - अकबर का दरबार नवरत्नों की वजह से प्रसिद्ध था। जो 9 लोगों का समूह था। जिनमें तानसेन, राजा बीरबल, टोडरमल, मुल्ला दो प्याजा, अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना, अबुल फजल, मानसिंह, फैजी और हाकिम हुमाम शामिल थे।
  • सामाजिक सुधार
  • दास प्रथा की समाप्ति
  • बहुविवाह पर प्रतिबन्ध तथा विधवा विवाह को प्रोत्साहन
  • बाल-विवाह को रोकने के लिए 16 वर्ष से कम आयु के बालक तथा 14 वर्ष थी वर्ष से कम की कन्याओं का विवाह वर्जित कर दिया।

 

मुगल सम्राट अकबर के महत्वपूर्ण             

कार्य

वर्ष (ई.)

युद्ध के कैदियों को गुलाम बनाने, उनकी पत्नियों और बच्चों को बेचने, आदि की पुरानी प्रथा को प्रतिबंधित किया।

1562

अपने पालक मां महम अनगा की अगुवाई में हरम पार्टी के नियंत्रण से मुक्त

1562

तीर्थयात्रा कर को रद्द कर दिया        

1563

जजिया कर समाप्त कर दिया

1564

फतेहपुर सीकरी की स्थापना की और इसे अपनी राजधानी के रूप में विकसित किया

1571

इबादत खाना की स्थापना (आराधना घर)

1575

इबादत खाने में सभी धर्मों के लोगों के प्रवेश की अनुमति

1578

मजहर की घोषणा

1579

दीन-ए-इलाही की स्थापना

1582

इलाही संवत की शुरुआत

1583

राजधानी लाहौर स्थानांतरित

1585

 

अकबर के काल में साहित्यिक कार्यं

  • अकबर ने अनुवाद विभाग की शुरुआत की थी। इसलिए महाभारत, रामायण, अथर्व वेद, भगवत गीता और पंचतंत्र का अनुवाद संस्कृत से फारसी भाषा में संभव हो पाया था।
  • मुल्ला अब्दुल कादिर बदायुनी ने रामायण और सिंहासन बत्तीसी को फारसी भाषा में अनुवाद किया था।
  • फैजी ने पंचतंत्र को फारसी भाषा में अनुवाद किया था।
  • अथर्व वेद का अनुवाद इब्राहीम सिर्हिद ने किया था।
  • राजतरंगिणी का अनुवाद मौलाना शाह मोहम्मद शाहाबादी ने किया था।
  • अबुल फजल ने आईन-ए-अकबरी और अकबरनामा - की रचना की थी।
  • मृत्यु - 1605 ई. को अतिसार रोग से ग्रसित होने के कारण अकबर की मृत्यु हो गयी। अकबर के शव को आगरा के निकट सिकंदराबाद में दफनाया गया। अकबर की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र सलीम (जहांगीर) के नाम से गद्दी पर बैठा।

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