भारत के उद्योग
विश्लेषणात्मक अवधारणा
प्राकृतिक संसाधानों को संसाधित कर के अधिक उपयोगी एवं मूल्यवान वस्तुओं में बदलना विनिर्माण कहलाता है। सर्वविदित तथ्य है कि किसी भी राष्ट्र की आर्थिक-प्रगति उसके अपने औद्योगिक विकास के बिना संभव नहीं है। प्रस्तुत पाठ ‘‘भारत के उद्योग’’ के अधययन से हम भारत में विकसित विभिन्न प्रकार के निर्माण उद्योग, उनके वर्गीकरण तथा उनके क्षेत्रीय वितरण को समझ सकेंगे। भारत में विनिर्माण उद्योगों के ऐतिहासिक विकास को जान सकेंगे। हमारे देश के आर्थिक विकास एवं प्रगति में इन औद्योगिक इकाइयों के योगदान को समझ सकेंगे।
लौह एवं इस्पात उद्योग
- यह उद्योग किसी भी देश का आधारभूत उद्योग है।
- लौह अयस्क एवं कोकिंग कोयला इसके आधारभूत खनिज है।
- इस उद्योग को वर्तमान मानव सभ्यता की धुरी भी कहा जाता है। भारत में इन उद्योगों के विकास को निम्न दो रूप में समझा जा सकता है।
स्वतंत्रता पूर्व स्थापित कारखाने
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स्थान/नाम
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वर्ष
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विवरण
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1.
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बंगाल लौह एवं इस्पात उद्योग (कुल्टी, बंगाल)
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1874
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यह देश का पहला लौह एवं इस्पात कारखाना था। इसे बराकर लौह कंपनी द्वारा बनाया गया था।
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2.
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टाटा आयरन एवं स्टील कंपनी साकची (झारखंड)
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1907
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इसकी स्थापना जमशेद जी टाटा द्वारा की गर्इ थी। भारत में आधुनिक लौह एवं इस्पात कारखाने का शुरूआत यहीं से हुर्इ
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3.
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विश्वैश्वरैया आयरन एवं स्टील कंपनी भद्रावती (कर्नाटक)
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1923
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यह देश का पहला सार्वजनिक क्षेत्र का कारखाना था। इसका पहले नाम मैसूर आयरन एवं स्टील कंपनी था।
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स्वतंत्रता पश्चात स्थापित कारखाने
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स्थान/नाम
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वर्ष
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विवरण
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1.
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हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड भिलार्इ (छत्तीसगढ़)
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1955
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द्वितीय पंचवर्षीय योजना में रूस के सहयोग से स्थापित हुआ।
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2.
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हिन्दुस्तान स्टील लिमिटड राउरकेला (उड़ीसा)
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1959
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द्वितीय पंचवर्षीय योजना में पश्चिमी जर्मनी के सहयोग से निर्मित
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3.
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हिन्दुस्तान स्टील लिमिटड दुर्गापुर (बंगाल)
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1962
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द्वितीय पंचवर्षीय योजना में पश्चिमी जर्मनी के सहयोग से निर्मित
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4.
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हिन्दुस्तान स्टील लिमिटड बोकारो (झारखंड)
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1968
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तृतीय पंचवर्षीय योजना में रूस के सहयोग से निर्मित
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5.
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विशाखापट्टन इस्पात संयंत्र (आंध्रप्रदेश)
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-
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छठवीं पंचवर्षीय योजना में रूस के सहयोग से निर्मित
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6.
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सेलम इस्पात संयंत्र
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चतुर्थ पंचवर्षीय योजना में निर्मित। यहां स्टेनलेस स्टील का निर्माण किया जाता है।
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7.
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विजयनगर स्टील संयंत्र हॉस्पेट (कर्नाटक)
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-
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इसका निर्माण भी चतुर्थ पंचवर्षीय योजना में किया गया।
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सूती वस्त्र उद्योग
- यह भारत का सबसे बड़ा उद्योग है तथा रेलवे के पश्चात दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता भी।
- आधुनिक ढंग से भारत में सूती वस्त्र की पहली मिल 1818 में कोलकाता के फोर्टग्लासटर में लगार्इ गर्इ लेकिन यह असफल रही।
- देश में पहली सफल सूती वस्त्र मिल की स्थापना 1854 में कावसजी डावर द्वारा मुबंर्इ में की गर्इ। भारत में इस उद्योग का सर्वाधिक केन्द्रण गुजरात एवं महाराष्ट्र में है।
- सूती वस्त्र मिलों की अधिकता के कारण ही अहमदाबाद को ‘भारत का मेन्चेस्टर एवं भारत का बोस्टन’ कहा जाता है।
- मुंबर्इ को सूती वस्त्र उद्योग की राजधानी व काटनोपॉलिस ऑफ इंडिया कहते हैं।
- उत्तर भारत में इस उद्योग के कुछ कारखाने मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश राज्यों में है। कानपुर को सूती वस्त्र मिलों की अधिकता के कारण ‘उत्तर भारत का मेन्चेस्टर कहा जाता है।
- दक्षिण में इस उद्योग का केन्द्रण तमिलनाडु, केरल व कर्नाटक राज्यों में है। कोयंबटूर को ‘दक्षिण भारत का मेन्चेस्टर’ कहा जाता है।
एल्युमिनियम उद्योग
- ये बाक्साइट खनिज आधारित उद्योग है जिसमें बड़ी मात्रा में सस्ती बिजली की आवश्यकता पड़ती है।
- भारत में एल्युमिनियम उद्योग का प्रथम कारखाना 1937 में बंगाल के जेजे नगर (आसनसोल) में एल्युमिनियम कार्पोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा स्थापित किया गया।
- वर्ष 1938 में 4 कारखाने क्रमश: बिहार (मुरी), अल्वाय (केरल), बेलूर (बंगाल) एवं हीराकुंड (उड़ीसा) में स्थापित किये गये।
जूट उद्योग
- यह एक कृषि आधारित उद्योग है। जूट को स्वर्णिम रेशे (ळवसकमद थ्पइमत) के नाम से भी जाना जाता है।
- भारत जूट से बने सामानों के निर्माण में प्रथम स्थान रखता है।
- भारत में जूट उद्योग का प्रथम कारखाना कोलकाता के समीप रिसरा नामक स्थान पर 1859 में जार्ज ऑकलैंड द्वारा स्थापित किया गाय।
- वर्ष 1971 में जूट के आयात-निर्यात एवं आंतरिक देखभाल के लिए भारतीय जूट निगम की स्थापना की गर्इ।
- बंगाल, भारत का सबसे बड़ा जूट उत्पादक राज्य है एवं दूसरा राज्य बिहार है।
- भारत विश्व का दूसरा सबसे बडा जूट निर्यातक देश है।
सीमेंट उद्योग
- यह उद्योग देश के सर्वाधिक उन्नत उद्योगों में से एक है।
- इस उद्योग कि स्थापना में चूना पत्थर के केन्द्रण का सबसे महत्वपूर्ण योगदान हैं।
- भारत में आधुनिक ढंग से सीमेंट बनाने का पहला कारखाना वर्ष 1904 में मद्रास में लगाया गया, लेकिन यह असफल रहा।
- वर्ष 1912-13 में इंडियन सीमेंट कंपनी द्वारा पोरबंदर में पहले सफल कारखाने की स्थापना की गर्इ।
- राजस्थान भारत का सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक राज्य है।
कागज उद्योग
- आधुनिक शिक्षित सभ्यता के लिए इस उद्योग का विशेष महत्व है।
- आधुनिक ढंग से कागज बनाने का प्रथम प्रयास 1716 में मद्रास के ट्रेकोंवार नामक स्थान पर डॉ. विलियम कोर द्वारा किया गया, लेकिन यह असफल रहा।
- कागज बनाने का पहला सफल कारखाना 1879 में लखनऊ में स्थापित हुआ।
- बंगाल भारत का सबसे बड़ा कागज उत्पादक राज्य है।
रासायनिक उर्वरक उद्योग
- भारत में इस उद्योग के अंतर्गत दो प्रकार के उर्वरक उत्पादित किये जाते हैं -
प्रथम - नाइट्रोजन आधारित उर्वरक
दूसरा - फास्फोरस आधारित उर्वरक।
- सुपर फास्फेट उर्वरक का पहला कारखाना 1906 में तमिलनाडु के ‘रानीपेठ’ नामक स्थान पर स्थापित किया गया।
- अमोनिया उर्वरक का पहला कारखाना कर्नाटक के बैलेगुला नामक स्थान पर मंसूर केमिकल फर्टीलाइजर के नाम पर लगाया गया।
- भारत अमोनिया उर्वरक के लिए पूरी तरह आत्मनिर्भर है तथा पोटाश के लिए पूरी तरह आयात पर निर्भर है।
- भारत में नाइट्रोजनी उर्वरक की खपत सबसे अधिक है।
इंजीनियरिंग उद्योग
- इन उद्योगों को तीन वगोर्ं में बांटा जा सकता है
- मशीनरी उद्योग
- विद्युत उपकरण उद्योग
- मोटर गाड़ी उद्योग
देश में भारी इंजीनियरिंग उद्योग की शुरूआत 1958 में रांची में (हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड) की स्थापना के साथ हुर्इ। इसकी स्थापना रूस एवं चेकोस्लोवाकिया के सहयोग से की गर्इ थी।
- मशीनी उपकरण बनाने हेतु देश में अनेक छोटे बड़े कारखाने खोले गये जिसमें HMT (हिन्दुस्तान मशीन टूल्स) का प्रमुख स्थान है। इसकी स्थापना 1953 स्वीट्जरलैंड के सहयोग से की गर्इ थी।
- BHEL (भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड) देश में ऊर्जा उपकरणों का निर्माण करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी है।
- विश्व में दुपहिया वाहन बनाने में भारत का दूसरा स्थान है, जबकि सबसे अधिक ट्रेक्टर भारत में ही बनाए जाते हैं।
जलयान निर्माण उद्योग
- भारत में आधुनिक रूप से उन्नत जलयान निर्माण कारखाना सर्वप्रथम सिंधिया स्टीम नेविगेशन कंपनी द्वारा वर्ष 1941 में विशाखापट्टनम में खोला गया।
- वर्ष 1952 में इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया गया और इसका नया नाम हिन्दुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड रखा गया।
- कोचीन शिपयार्ड भारत का आधुनिक तथा सबसे बडा पोत प्रांगण है। जिसका निर्माण वर्ष 1972 में जापान के सहयोग से हुआ।
- मुम्बर्इ स्थित मझगांव डॉक भारतीय नौसेना के लिये जहाज, पनडुब्बियां आदि का निर्माण करता है। इसकी इकाइयां न्हावाशेवा एवं मंगलौर में हैं।
वायुयान निर्माण उद्योग
- भारत में वायुयान निर्माण उद्योग कि शुरूआत वर्ष 1940 में निजी स्वामित्व के अंतर्गत हिन्दुस्तान. एयरक्राफ्ट लिमिटेड की स्थापना के साथ हुर्इ।
- 1964 में सरकार द्वारा हिन्दुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड का अधिग्रहण कर लिया गया एवं इसका नाम हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) कर दिया गया। भारत में इस उद्योग का पूर्ण स्वामित्व केन्द्र सरकार के पास है एवं इसका संचालन बैंगलूर स्थित भ्।स् द्वारा किया जाता है।
- HAL अपने चार यूनिट के साथ उत्पादन का कार्य करता है। इसके 13 डिवीजन है जो 6 राज्यों में स्थित हैं। इनमें नासिक, कोरापुट, हैदराबाद, कानपुर, लखनऊ, एवं बंगलुरू डिवीजन प्रमुख हैं।
- HAL द्वारा लड़ाकू विमान एयरोस्पेस क्राफ्ट, हेलीकॉप्टर, इंजन, सुखोर्इ, मिग एवं जगुआर जैसे उन्नत विमानों का निर्माण किया जाता हैं।
कांच उद्योग
- भारत में कांच का निर्माण, कुटीर एवं कारखाना दोनों रूपों में किया जाता है।
- कुटीर उद्योग के तहत इसका सर्वाधिक विकास फिरोजाबाद (उत्तर प्रदेश) एवं बेलगांव (कर्नाटक) में हुआ हैं।
- कच्चे माल के तौर पर सिलिका रेत, सोडा ऐश, फेल्सपार और चूना पत्थर का उपयोग किया गया हैं।
चमड़ा उद्योग
- भारत में पशुओं की संख्या विश्व में सर्वाधिक होने के कारण इस उद्योग का यहां पर्याप्त विकास हुआ हैं। इस उद्योग का केन्द्रण आगरा, कानपुर, चेन्नर्इ, कोलकाता, मुम्बर्इ, कपूरथला, भोपाल आदि स्थानों पर हैं।
- चमड़े एवं चमड़े से निर्मित सामानों का निर्यात मुख्यत: चेन्नर्इ बंदरगाह से किया जाता है।
चीनी उद्योग
- भारत में चीनी का उत्पादन गन्ने से किया जाता हैं। भारत में चीनी बनाने का प्रथम प्रयास डचों द्वारा वर्ष 1840 में किया गया जो असफल रहा।
- पहले सफल चीनी संयंत्र की स्थापना वर्ष 1904 में बिहार के मारोहरा (सारण) में हुर्इ थी।
- भारत में वस्त्रं उद्योग के बाद चीनी उद्योग दूसरा सबसे बड़ा कृषि आधारित उद्योग हैं।