पूर्व मध्यकालीन भारत

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पूर्व मध्यकालीन भारत

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

                भारतीय इतिहास की अनवरत जारी यात्रा उस पड़ाव में आ पहुंची है जिस काल में इस्लामिक प्रभाव और भारत पर शासन के मध्य सशक्त रूप से संबंध है! मध्यकालीन भारतीय इतिहास तथाकथित स्वदेशी शासकों के अधीन लगभग तीन शताब्दियों तक चलता रहा, जिसमें चालुक्य, पल्लव, पाण्ड्य, राष्ट्रकूट शामिल हैं। नौवीं सदी के मध्य में उभरने वाला सबसे महत्वपूर्ण राजवंश चोल राजवंश था। चोल प्रशासन में हम मंत्रीमंडल का उल्लेख नहीं पाते किन्तु इस वंश में जो ग्रामीण प्रशासन की व्यवस्था देखने को मिलती है, वो ऐतिहासिक और अभूतपूर्व रही है।

 

§  गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद उत्तर भारत की राजनैतिक शक्ति का केंद्र पाटलिपुत्र के स्थान पर कन्नौज हो गया।

§  आठवीं सदी के मध्य में भारत में तीन शक्तिशाली राजवंशों का उदय हुआ-

                (i) दक्षिण में राष्ट्रकूट

                (ii) पूर्व (बंगाल) में पाल

                (iii) पश्चिमोत्तर भारत में गुर्जर प्रतिहार वंश।

               

                त्रिपक्षीय संघर्ष (कन्नौज)

§  कन्नौज पर अधिकार करने के लिए इन तीनों के बीच लंबा . संघर्ष चला जिसे त्रिपक्षीय संघर्ष के नाम से जाना जाता है।

§  त्रिपक्षीय संघर्ष को प्रतिहार नरेश वत्सराज पाल राजा धर्मपाल और राष्ट्रकूट राजा ध्रुव ने आरंभ किया वत्सराज ने कन्नौज के आयुध शासक इंद्रायुध को पराजित कर उतर भारत में अपनी सत्ता का विस्तार करना प्रारंभ किया।

§  प्रतिहार गंगा यमुना दोआब तक बढ़ गये। अब बंगाल के पाल और प्रतिहार आमने-सामने थे। प्रतिहार नागभट्ट के समय अंततः कन्नौज पर कब्जा करने में सफल हुए।

 

        पालवंश (बंगाल)

§  बंगाल के पाल वंश का उदय लगभग 750 ई. में हुआ जब बंगाल की अराजक स्थिति से परेशान हो कर जनता ने गोपाल नामक व्यक्ति को राजा बना दिया।

§  पाल वंश का दूसरा शासक धर्मपाल इस वंश का सबसे महान राजा था।

§  पाल वंशी राजा बौद्ध थे। उन्होंने नालंदा और विक्रमशिला के विश्व प्रसिद्ध महाविहारों को संरक्षण प्रदान किया।

§  पाल वंश का शासन बंगाल एवं बिहार के क्षेत्रों में विस्तृत था।

§  पाल राज्य की राजधानी मुंगेर थी।

§  गोपाल द्वारा बिहारशरीफ में उदंतपुरी एवं जगदल विश्वविद्यालय की स्थापना की गई।

§  धर्मपाल को पाल वंश का सबसे महान शासक माना जाता है।

§  धर्मपाल ने भागलपुर (बिहार) से कुछ दूरी पर विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना कराई।

§  देवपाल ने उदंतपुरी में बौद्ध मठ की स्थापना करवाई। अधिकांश पाल शासक बौद्ध धर्म के अनुयायी थे।

§  पाल राज्य की स्थापना के संबंध में जानकारी लखीमपुर ताम्र पत्र से प्राप्त होती है।

§  प्रसिद्ध काव्य ग्रंथ रामचरित् संध्याकर नंदी द्वारा पालों के समय में लिखी गई।

       

        सेन वंश (बंगाल) -

§  पाल वंश के बाद बंगाल में सेन वंश का शासन आया। नादिया (लखनौती) सेन राज्य की राजधानी थी।

§  बंगाल के सेन वंश की स्थापना सामंत सेन ने किया।

§  गीतगोविंद के रचयिता जयदेव, लक्ष्मण सेन के राज्याश्रय में थे।

§  देवपाडा की विशाल प्रद्युमनेश्वर मंदिर का निर्माण विजय सिंह ने करवाया। सर्वप्रथम हिंदी भाषा में अभिलेख लिखने वाला राजवंश सेन वंश था।

§  बंगाल का अंतिम हिंदू शासक लक्ष्मण सेन था।

 

कश्मीर के राजवंश

§  कश्मीर में क्रमशः कार्कोट वंश, उत्पल वंश एवं लोहार वंश आदि प्रमुख राजवंशों ने शासन किया।

§  दुर्लभवर्धन ने कश्मीर में सातवीं सदी में कार्कोट वंश की स्थापना की।

§  ललितादित्य मुक्तापीड़ कार्कोट वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक था।

§  ललितादित्य मुक्तापीड़ ने कश्मीर के मार्तड मंदिर का निर्माण कराया।

§  अवंति वर्मन ने कार्कोट वंश के पश्चात् कश्मीर में उत्पल वंश के शासन की स्थापना की।

§  संग्रामराज ने उत्पलवंश के पतन के पश्चात् कश्मीर में लोहार वंश की स्थापना की।

§  लोहार वंश का अंतिम शासक जयसिंह था।

 

पल्लव वंश -

§  इस वंश का वास्तविक संस्थापक सिंह विष्णु (575-600 ई.) को माना जाता है। इसने अवंतिवर्मन की उपाधि धारण की।

§  सिंह विष्णु की राजधानी कांची थी।

§  किरातार्जुनीयम् के रचयिता भारवि सिंह, विष्णु का दरबारी कवि था।

§  पल्लव शासक नरसिंह वर्मन प्रथम (630-660 ई.) ने श्रीलंका के शासक के साथ मिलकर बादामी या वातापी को जीत लिया।

§  नरसिंह वर्मन प्रथम को अभिलेखों में वातापीकोंड की उपाधि दी गई है।

§  बादामी विजय के बाद उसे महामल्ल कहा गया।

§  पल्लव वंश के शासक नरसिंह वर्मन प्रथम ने महाबलीपुरम में एकाश्मक रथ मंदिर का निर्माण कराया।

§  नरसिंह वर्मन प्रथम ने मामल्लपुरम नगर की स्थापना कांची के पास की।

§  कांची के कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण पल्लव शासक नरसिंह वर्मन द्वितीय ने किया।

§  कांची के मुक्तेश्वर मंदिर और बैकुंठ पेरुमल मंदिर का निर्माण पल्लव शासक नंदीवर्मन ने कराया।

§  संस्कृत के प्रसिद्ध काव्य ग्रंथ दशकुमारचरित का रचनाकार दंडी पल्लव शासक नंदीवर्मन का दरबारी था।

§  पल्लव शासक महेंद्र वर्मन प्रथम ने मत्तविलास प्रहसन हास्य ग्रंथ नामक प्रसिद्ध नाटक की रचना की।

§  कांची के ऐरावतेश्वर मंदिर का निर्माण राजसिंह शैली में नरसिंह वर्मन द्वितीय ने करवाया।

§  पल्लव शासक नंदिवर्मन द्वितीय के शासनकाल में राष्ट्रकूट दंतिदुर्ग ने पल्लवों को हराकर कांची पर अधिकार कर लिया।

§  पल्लव वंश का अंतिम शासक अपराजित वर्मन (879-897 ई.) था जिसे 897 ई. के आसपास चोल शासक आदित्य प्रथम ने परास्त कर दिया।

       

राष्ट्रकूट

§  राष्ट्रकूट वंश की स्थापना दंतिदुर्ग ने लगभग 736 ई. में की। दंतिदुर्ग वातापी के चालुक्यों के अधीन सामंत था। उसने अंतिम चालुक्य राजा कीर्तिवर्मन द्वितीय को पराजित किया। बाद के राष्ट्रकूट शासकों ने मान्यखेत (मालखंड) को अपनी राजधानी बनाया।

§  कृष्ण प्रथम (756-772 ई.) ने ऐलौरा के प्रसिद्ध कैलाश मंदिर का निर्माण कराया।

§  कन्नौज पर अधिकार करने के उद्देश्य से त्रिपक्षीय संघर्ष में भाग लेकर उत्तर भारत की राजनीति में हस्तक्षेप करने वाला दक्षिण भारत का पहला शासक राष्ट्रकूट धु्रव था।

§  प्रतिहार नरेश वत्सराज और पाल शासक धर्मपाल को राष्ट्रकूट शासक धु्रव ने हराया।

§  कन्नड़ भाषा में लिखित कविराज मार्ग की रचना राष्ट्रकूट नरेश अमोघवर्ष ने की।

§  राष्ट्रकूट अमोघवर्ष जैन धर्म का अनुयायी था। अमोघवर्ष ने तुंगभद्रा में जल समाधि लेकर अपना जीवन समाप्त कर दिया।

§  अरब यात्री सुलेमान ने राष्ट्रकूट राजा अमोघवर्ष की गणना तत्कालीन विश्व के चार महान् शासकों में की है।

§  राष्ट्रकूटों का पराभव कल्याणी के चालुक्यों द्वारा हुआ। चालुक्य शासक तैलप द्वितीय ने 973 ई. में इस वंश के अंतिम शासक कर्क द्वितीय को पसजित करके मान्यखेत पर अधिकार कर लिया।


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