भारतीय संविधान के विकास का क्रम
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विश्लेषणात्मक अवधारणा
भारत का संविधान एक विलक्षण दस्तावेज है, जो अन्य अनेक देशों, खासतौर से दक्षिण अफ्रीका के लिए एक प्रतिमान हो गया। तीन वर्ष तक संविधान बनाने की प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य यह रहा कि एक ऐसा संतुलित संविधान बनाया जाए, जिसमें संविधान द्वारा निर्मित संस्थाएँ अस्त-व्यस्त या कामचलाऊ व्यवस्थाएँ मात्र न हो बल्कि लोगों की आकांक्षाओं को एक लंबे समय तक संजोये रख सकें।
- अगस्त प्रस्ताव 1940: भारत शासन अधिनियम, 1935 के अधीन वर्ष 1937 में 11 ब्रिटिश प्रान्तों में प्रान्तीय विधानमण्डल के चुनाव सम्पन्न हुए थे, जिसमें कांग्रेस की 5 प्रान्तों में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी तथा 3 प्रान्तों में गठबन्धन की सरकार बनीं। परन्तु अक्टूबर 1939 में कांग्रेस मंत्रिमण्डल ने त्याग-पत्र दे दिया। कांग्रेस मंत्रिमण्डल के त्याग-पत्र से उत्पन्न संवैधानिक संकट तथा द्वितीय विश्व युद्ध में भारत के सहयोग की आवश्यकता के लिये ब्रिटिश सरकार ने वायसराय लॉर्ड लिनलिथिगो के माध्यम से 8 अगस्त, 1940 को एक प्रस्ताव प्रस्तुत करवाया गया, जिसे अगस्त प्रस्ताव कहा गया।
- क्रिप्स मिशनः क्रिप्स मिशन 22 मार्च, 1942 को भारत आया यह एक सदस्यीय आयोग था जो सर स्टैफोर्ड क्रिप्स के नेतृत्व में ब्रिटिश सरकार द्वारा भेजा गया था। क्रिप्स मिशन के अनुसार ब्रिटिश सरकार एक ऐसे भारतीय संघ की स्थापना करना चाहती थी, जिसकी स्थिति ब्रिटिश सम्राट के अंतर्गत एक पूर्ण औपनिवेशिक स्वराज की होगी। इसे ब्रिटेन के साथ संबंध विच्छेद करने की स्वतंत्रता प्राप्त होगी। द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के उपरांत भारत का संविधान बनाने के लिए एक संविधान सभा की स्थापना की जाएगी, जिसमें ब्रिटिश भारतीय प्रान्तों एवं देशी रियासतों व दोनों के प्रतिनिधि सम्मिलित होंगे। क्रिप्स प्रस्ताव को कांग्रेस और मुस्लिम लीग के द्वारा अस्वीकार कर दिया गया। कांग्रेस के अनुसार इस प्रस्ताव में अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान की मांग को स्वीकार किया गया था, जबकि मुस्लिम लीग का मानना था कि, इसमें पाकिस्तान के निर्माण के स्पष्ट प्रावधान नहीं थे।
- वेवेल योजना, 1945: भारत के तत्कालीन वायसराय लार्ड वेवेल के द्वारा यूरोप में विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद जापान के विरुद्ध भारतीय समर्थन प्राप्त करने तथा भारत में संवैधानिक गतिरोध को समाप्त करने के लिए 4 जून, 1945 को जिस योजना की घोषणा की गई उसे वेवेल योजना के नाम से जाना जाता है। वेवेल योजना के प्रमुख उद्देश्यों में द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात् भारतीयों द्वारा संविधान बनाए जाने के लिए एक प्रकार की अंतरिम व्यवस्था करना था तथा वायसराय की कार्यकारिणी परिषद का पुनर्गठन किया जाना था, जिसमें वायसराय और सैन्य प्रमुख को छोड़कर अन्य सभी सदस्य भारतीय होंगे। परिषद में सवर्ण हिंदुओं और मुसलमानों को समान प्रतिनिधित्व मिलेगा। कार्यकारिणी परिषद अंतरिम राष्ट्रीय सरकार के समान होगी और गवर्नर जनरल वीटो का प्रयोग बिना किसी कारण के नहीं करेगा। इस योजना को कांग्रेस मुस्लिम लीग दोनों ने अस्वीकार कर दिया क्योंकि कांग्रेस ने एक अखण्ड भारत के निर्माण की बात कही, वहीं मुस्लिम लीग पाकिस्तान की मांग कर रही थी।
- शिमला सम्मेलनः शिमला सम्मेलन 25 जून, 1945 को हुआ था। यह एक सर्वदलीय सम्मेलन था, जिसमें कुल 22 प्रतिनिधियों ने भाग लिया इसमें कांग्रेस के प्रतिनिधि मण्डल का नेतृत्व अबुल कलाम आजाद ने किया था। इस सम्मेलन में मुस्लिम लीग द्वारा यह शर्त रखी गई थी कि वायसराय की कार्यकारिणी के सभी मुस्लिम सदस्यों का चुनाव मुस्लिम लीग स्वयं करगी। फलतः शिमला सम्मेलन असफल रहा।
- भारत में आम चुनाव दिसंबर 1945: शिमला सम्मेलन के विफल हो जाने के बाद और द्वितीय विश्व युद्ध के उपरांत ब्रिटेन में जुलाई 1945 में ब्रिटेन में आम चुनाव हुए, जिसमें क्लीमेंट एटली के नेतृत्व में उदारवादी दृष्टिकोण वाली लेबर पार्टी की सरकार बनी। इसके उपरांत ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने भारत में केंद्रीय एवं प्रांतीय विधानसभाओं के लिए चुनाव कराने की घोषणा की। प्रांतीय चुनावों में कल जनसंख्या में से केवल 10 प्रतिशत जनता ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जबकि केंद्रीय व्यवस्थापिका के लिये चुनावों में कुल जनसंख्या में से केवल 1 प्रतिशत भाग को ही मताधिकार के योग्य माना गया।
- कैबिनेट मिशन, 1946: ब्रिटिश प्रधानमंत्री सर क्लीमेंट एटली ने 22 जनवरी, 1946 को भारत में चल रहे राजनीतिक गतिरोध को समाप्त करने के लिए एक उच्चस्तरीय कैबिनेट मिशन को भारत में भेजने का निर्णय लिया। इसके लिए उन्होंने कैबिनेट मंत्रियों के एक 3 सदस्यीय मिशन, जिसके सदस्य सर स्टैफोर्ड क्रिप्स, ए.बी. एलेग्जेंडर और पैथिक लॉरेंस थे। सर पैथिक लॉरेंस कैबिनेट मिशन के अध्यक्ष थे।
- अंतरिम सरकार का गठन, 1946: कैबिनेट मिशन योजना के तहत 24 अगस्त, 1946 को प्रथम अंतरिम सरकार की घोषणा की गई। 2 सितम्बर, 1946 को पंडित जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया। अंतरिम सरकार में वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन (अध्यक्ष) पंडित नेहरू (उपाध्यक्ष) सहित अन्य 11 अन्य सदस्यों ने अपने पद की शपथ ली। अन्य सदस्यों में तीन मुस्लिम सदस्य थे लेकिन वे मुस्लिम लीग से संबंधित नहीं थे। 26 अक्टूबर, 1946 ईसवी को मुस्लिम लीग भी सरकार में शामिल हो गई, जिसका उद्देश्य परिषद में रहकर पाकिस्तान के मांग करना था।
क्र.
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सदस्य
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धारित विभाग/मंत्रालय
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1.
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जवाहरलाल नेहरू
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राष्ट्रमंडल संबंध तथा विदेशी मामलों का मंत्रालय
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2.
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सरदार वल्लभ भाई पटेल
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गृह, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय
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3.
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डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
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खाद्य एवं कृषि मंत्रालय
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4.
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जॉन मथाई
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उद्योग एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय
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5.
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जगजीवन राम
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श्रम मंत्रालय
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6.
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सरदार बलदेव सिंह
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रक्षा मंत्रालय
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7.
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सी.एच. भाभा
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कार्य, खनन एवं ऊर्जा मंत्रालय
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8.
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लियाकत अली खाँ
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वित्त मंत्रालय
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9.
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अब्दुल-रब-नश्तार
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डाक, वायु, रेलवे व संचार मंत्रालय
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10.
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सी. राजगोपालाचारी
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शिक्षा एवं कला मंत्रालय
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11.
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आई.आई. चुंदरीगर
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वाणिज्य मंत्रालय
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12.
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गजनफर अली खान
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स्वास्थ्य मंत्रालय
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13.
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योगेंद्रनाथ मंडल
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विधि मंत्रालय
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- माउण्टबेटेन योजनाः भारत में तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियों में ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने 20 फरवरी, 1947 को यह घोषणा की कि, ब्रिटिश सरकार 30 जून, 1948 के पूर्व सत्ता भारतीयों को सौंप देगी। सत्ता के निर्बाध हस्तांतरण की व्यवस्था करने के लिए वेवेल के स्थान पर लॉर्ड माउण्टबेटन को वायसराय बनाकर भारत भेजा गया। 3 जून, 1947 को माउण्टबेटन द्वारा प्रस्तुत योजना को माउण्टबेटन योजना कहा जाता है।
- भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947: 20 फरवरी, 1947 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने घोषणा की कि 30 जून, 1947 को भारत में ब्रिटिश शासन समाप्त हो जाएगा। इसके बाद सत्ता उत्तरदायी भारतीय सरकार के हाथ में सौंप दी जाएगी। इसके उपरांत ब्रिटिश सरकार ने स्पष्ट किया कि 1946 में संविधान सभा का गठन किया जाएगा, जो भारतीय संविधान का निर्माण करेगी। इसके उपरांत लॉर्ड माउण्टबेटन वायसराय बनकर कर भारत आए और उन्हें भारत की स्वतंत्रता एवं भारत के विभाजन से संबंधित कार्य सौंपा गए। इसी के अंतर्गत माउंटबेटन योजना के अनुसार भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947, 4 जुलाई, 1947 को ब्रिटिश संसद में प्रस्तुत किया गया, जिसे 18 जुलाई, 1947 को स्वीकृति प्रदान की गई।
इस अधिनियम के तहत निम्नलिखित प्रावधान किए गएः
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इस अधिनियम के तहत भारत में ब्रिटिश राज समाप्त कर 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्र संप्रभु राष्ट्र घोषित कर दिया जाएगा, जबकि 14 अगस्त, 1947 को भारत का विभाजन कर पाकिस्तान का निर्माण किया गया।
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इस अधिनियम के तहत वायसराय के पद को समाप्त करके गवर्नर जरनल बना दिया गया। इसके अंतर्गत अंतिम भारतीय ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड माउण्टबेटन था एवं प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी थे।
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दोनों राज्यों के लिए संविधान निर्माण सभा बनाने का अधिकार प्रदान किया गया, जो अपने राज्य के लिए संविधान निर्माण कर सकते थे। इसके तहत दोनों देशों के लिए अलग-अलग संविधान सभा का गठन किया गया और वर्तमान संविधान सभा ही नया संविधान बनाने और लागू होने तक विधानमंडल के रूप में 1935 के अधिनियम के अनुसार कार्य करेगी यह प्रावधान किया गया।
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जब तक संविधान सभा संविधान का निर्माण नहीं कर लेती है। तब तक संविधान सभा विधानमंडल के रूप में भी कार्य करेगी। साथ ही विधानमंडल के रूप में कार्य करते समय इनकी शक्तियों पर ब्रिटिश संसद का किसी भी प्रकार का नियंत्रण नहीं रहेगा।
- स्वतंत्र भारत का प्रथम मंत्रिमंडल (1947) सदस्य
क्र.
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सदस्य
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धारित विभाग/मंत्रालय
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1.
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पं.जवाहरलाल नेहरू
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प्रधानमंत्री, राष्ट्रमंडल तथा विदेशी मामले, वैज्ञानिक शोक मंत्री
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2.
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सरदार वल्लभ भाई पटेल
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गृह, सूचना एवं प्रसारण, राज्यों के मामले मंत्री
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3.
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डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
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खाद्य एंव क्रषि मंत्री
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4.
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मौलाना अबुल कलाम आजाद
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शिक्ष मंत्री
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5.
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डॉ. जॉन मथाई
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रेलवे एंव परिवहन मंत्री
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6.
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आर.के. षणमुगम शेट्टी
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वित्त मंत्री
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7.
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डॉ. बी. आर अम्बेडकर
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विधि मंत्री
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8.
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जगजीवन राम
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श्रम मंत्री
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9.
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सरदार बलदेव सिंह
|
रक्षा मंत्री
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10.
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श्राजकुमारी अमृत कौर
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स्वास्थ्य मंत्री
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11.
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सी. एच. भाभा
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वाणिज्य मंत्री
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12.
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रफी अहमद किदवई
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संचार मंत्री
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13.
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डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी
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उद्योग एंव आपूर्ति मंत्री
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14.
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वी. एन. गॉडगिल
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कार्य, खान एंव ऊर्जा मंत्री
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- संविधान सभाः संविधान सभा के विचार को व्यावहारिक रूप में सर्वप्रथम अमेरिका और फ्रांस में अपनाया गया। भारत में स्वतंत्रता के राष्ट्रीय आंदोलन के लंबे कालानुक्रम में अनेक अवसरों पर प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से संविधान सभा के गठन की मांग की गई। संविधान सभा के सिद्धांत का दर्शन सर्वप्रथम बाल गंगाधर तिलक के निर्देशन में निर्मित स्वराज विधेयक में मिलता है। 1942 ईसवी में क्रिप्स मिशन ने भारत में संविधान सभा के गठन की बात को स्पष्टता से स्वीकार किया परन्तु इसे व्यावहारिक रूप से 1946 में कैबिनेट मिशन प्रस्ताव द्वारा प्रदान किया जा सका। 9 दिसंबर, 1946 को संविधान सभा की प्रथम बैठक हुई। प्रथम बैठक में डॉ. सच्चिदानन्द सिन्हा को अस्थायी अध्यक्ष चुना गया। 11 दिसबंर, 1946 को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष और एच.सी. मुखर्जी को उपाध्यक्ष चुना गया और सर बी.एन. राव को संविधान सभा का सलाहकार नियुक्त किया गया।
- उद्देशिका प्रस्तावः संविधान निर्माण का प्रारंभ 13 दिसबंर, 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू केउद्देश्य प्रस्ताव से हुआ। इसी उद्देश्य प्रस्ताव में भावी संविधान की रूपरेखा थी। इस उद्देश्य प्रस्ताव में कुल 8 अनुच्छेद शामिल थे। इस उद्देशिका प्रस्ताव में भारत के सभी लोगों को सामाजिक एवं राजनैतिक न्याय, कानून के समक्ष क्षमता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता तथा कानून और सार्वजनिक नैतिकता की सीमाओं में रहते हुए भाषण, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म, उपासना, व्यवसाय, संगठन और कार्य करने की मौलिक स्वतंत्रता की गारण्टी और सुरक्षा प्रदान की जाएगी। जवाहर लाल नेहरू के इस उद्देशिका प्रस्ताव को 22 जनवरी, 1946 को सर्वसमिति से स्वीकार कर लिया गया। अंत में इसी उद्देशिका प्रस्ताव के परिवर्तित रूप से संविधान की प्रस्तावना का निर्माण किया गया।
- संविधान सभा की प्रमुख समितियाँ : संविधान सभा ने भारत के संविधान के निर्माण के लिए कार्य करने के लिए कई समितियों का गठन किया, जिनमें 8 बड़ी समितियाँ एवं कई अन्य समितियाँ थीं।
समिति
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अध्यक्ष
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संघ शक्ति समिति
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पं. जवाहर लाल नेहरू
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संघीय संविधान समिति
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पं. जवाहर लाल नेहरू
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प्रान्तीय संविधान समिति
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सरदार वल्लभ भाई पटेल
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प्रारूप समिति
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डॉ. भीम राव अम्बेडकर
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मौलिक अधिकारों एवं अल्पसंख्यकों संबंधी परामर्ष समिति
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सरदार वल्लभ भाई पटेल
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संचालन समिति
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डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
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झण्डा समिति
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जे.बी. कृपलानी
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मौलिक अधिकार उप-समिति के अध्यक्ष जे.बी. कृपलानी एवं अल्पसंख्यक उप-समिति एच.सी. मुखर्जी की अध्यक्षता में बनाई गई।
- प्रारूप समितिः भारत के संविधान के प्रारूप को तैयार करने के लिए प्रारूप समिति का गठन 29 अगस्त, 1947 को डॉ. भीमराव अम्बेडकर की अध्यक्षता में किया गया। इसमें अध्यक्ष सहित 7 सदस्य थेः
- डॉ. भीमराव अम्बेडकर-अध्यक्ष,
- के.एम. मुंशी,
- सैयद मो. सादुल्लाह,
- बी.एल. मित्र,
- डी.पी. खेतान,
- एन. गोपालस्वामी आयंगर,
- अल्लादी कृष्ण स्वामी अय्यर।
बी.एल. मित्र (इन्होंने स्वास्थ्य कारणों से त्याग-पत्र दे दिया था। इनके स्थान पर एन. माधवराव को सदस्य बनाया गया) और डी.पी. खेतान (इनकी की मृत्यु के उपरान्त इनके स्थान पर टी.टी. कृष्णाचारी) को प्रारूप समिति का सदस्य बनाया गया। 30 अगस्त, 1947 को प्रारूप समिति की प्रथम बैठक हुई। इसके पश्चात् संविधान के प्रारूप पर 114 दिन की चर्चा के उपरान्त तैयार संविधान के प्रारूप पर 3 बार वाचन किया गया।
- संविधान का निर्माण एवं लागू होनाः भारतीय संविधान के निर्माण हेतु संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसंबर, 1946 को नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब जिसे वर्तमान में संसद भवन का केंद्रीय कक्ष कहा जाता है, में हुई थी। इस बैठक में संविधान सभा के वरिष्ठतम सदस्य डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थाई अध्यक्ष चुना गया 11 दिसंबर, 1946 को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को सर्व समिति से सभा का स्थाई अध्यक्ष एवं डॉ. एच.सी. मुखर्जी तथा वी.टी. कृष्णामचारी को उपाध्यक्ष चुना गया। संविधान सभा की कार्यवाही जवाहरलाल नेहरू द्वारा 13 दिसंबर, 1946 को प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव के साथ प्रारंभ हुई। उद्देशिका प्रस्ताव को 22 जनवरी, 1947 को स्वीकृति मिली। डॉ. भीमराव अंबेडकर ने संविधान सभा द्वारा निर्मित संविधान के प्रस्ताव को 26 नवंबर, 1949 को पारित किया। 26 नवंबर, 1949 को ही भारतीय संविधान को अंगीकार कर लिया गया और संविधान सभा के 284 उपस्थित सदस्यों ने संविधान पर हस्ताक्षर किया इस प्रकार भारतीय संविधान निर्माण में कुल 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी, 1950 को हुई और अंततः भारतीय संविधान को 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया था।