सैयद एवं लोदी वंश (1414-1451 ई.) एवं (1451-1526 ई.)
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सैयद एवं लोदी वंश
विश्लेषणात्मक अवधारणा
तैमूर के आक्रमण के पश्चात् दिल्ली में सैयद वंश के रूप में एक नया राजवंश उभरा। कई अफगान सरदारों ने पंजाब में अपनी स्थिति सुदृढ़ कर ली थी। इन सरदारों में सबसे महत्वपूर्ण बहलोल लोदी था, जो सरहिन्द का इक्तादार था। बहलोल लोदी ने खोखरों की बढ़ती शक्ति को रोका। दिल्ली सल्तनत के प्रथम अफगान शासक लोदी वंश थे तथा ये दिल्ली सल्तनत के आखिरी शासक थे। इनके कबीले मुल्तान और पेशावर के बीच और पश्चिम में गजनी के सुलेमान पर्वत क्षेत्र तक फैले हुए थे।
एक मात्र शिया वंश के रूप में सैयद वंश (सय्यद वंश) दिल्ली सल्तनत पर शासक करने वाला चैथा वंश था। इस वंश ने दिल्ली सल्तनत में 1414-1451 ई. तक शासन किया। उन्होंने तुगलक वंश के बाद राज्य की स्थापना की। यह वंश मुस्लिमों की तुर्क जाति का यह आखरी राजवंश था।
सैयद वंश के शासक
सैयद खिज्र खां (1414-1421 ई.)
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मुबारक शाह (1421-1434 ई.)
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मुहम्मद शाह (1434-1445 ई.)
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आलमशाह (1445-1476 ई.)
सैयद खिज्र खां (1414-1421 ई.)
§ खिज्र खां ने सैयद वंश की स्थापना की। खिज्र खां ने 1414 ई. में दिल्ली की राजगद्दी पर अधिकार कर लिया।
§ खिज्र खां ने सुल्तान की उपाधि की जगह रैयत-ए-आला की उपाधि धारण की।
§ जब भारत को लूटकर तैमूर लंग वापस जा रहा था, उसने खिज्र खां को मुल्तानए लाहौर एवं दीपालपुर का शासक नियुक्त कर दिया था
§ खिज्र खां के शासन में पंजाबए मुल्तान एवं सिंध पुनः दिल्ली सल्तनत के अधीन हो गये। खिज्र खां अपने सिक्कों पर तुगलक सुल्तानों का नाम खुदवाया।
§ फरिश्ता ने खिज्र खां को एक न्यायप्रिय एवं उदार शासक बताया है।
मुबारक शाह (1421.1434 ई.)
§ खिज्र खां की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी के रूप में उनके पुत्र मुबारक शाह ने दिल्ली की सत्ता अपने हाथ में ली अपने पिता के विपरीत अपने आप को सुल्तान के रूप में घोषित किया।
मुबारक शाह के कार्य
§ मुबारक शाह ने यमुना नदी के किनारे 1434 ई. में मुबारकबाद नामक नगर की स्थापना की।
§ मुबारक शाह ने अपने नाम से खुतबा पढ़वाया और इस प्रकार विदेशी स्वामित्व का अन्त किया।
§ मुबारक शाह ने शाह की उपाधि ग्रहण कर अपने नाम के सिक्के जारी किये।
§ मुबारक शाह के समय में पहली बार दिल्ली सल्तनत में दो महत्वपूर्ण हिन्दू अमीरों का उल्लेख मिलता है।
§ मुबारक ने अपने दरबार में विद्वान वाहिया बिन अहमद सरहिन्दी को अपना राज्याश्रय प्रदान किया था। जिसके ग्रंथ तारीख-ए-मुबारकशाही से मुबारक शाह के शासन काल के विषय में जानकारी मिलती है।
मुहम्मद शाह (1434-1445 ई.)
§ मुबारक शाह के दत्तक पुत्र मुहम्मद शाह को वजीर सरवर-उल-मुल्क एवं अन्य अमीरों में मिलकर 1434 ई. को दिल्ली का सुल्तान बना दिया।
§ इसने मुल्तान के सुबेदार बहलोल को खान-ए-खाना की उपाधि दी।
§ मुहम्मद शाह नाममात्र का शासक था। शासन पर पूर्ण नियंत्रण वजीर सरवर-उल-मुल्क का था।
§ मुहम्मद शाह के शासक बनते ही वजीर ने शस्त्रागार, राजकोष एवं हाथियों पर आधिपत्य कर लिया।
§ मुहम्मद शाह को मारने के लिए वजीर सरवर-उल-मुल्क षडयंत्र कर रहा था। इससे पहले ही मुहम्मद शाह ने वजीर व उसके समर्थकों को मार दिया। मुहम्मद शाह ने कमाललमुल्क को नया वजीर बनाया।
§ 1440 ई. में महमूद खिलजी ने मुहम्मद शाह पर आक्रमण किया, लेकिन युद्ध के बाद दोनों में संधि हो गई।
बहलोल लोदी को मुहम्मद शाह ने अपने पुत्र की संज्ञा दी।
आलमशाह शाह (1445-1476 ई.)
§ आलमशाह शाह (अलाउद्दीन शाह), मुहम्मद शाह का पुत्र था।
§ 1445 ई. में मुहम्मद शाह की मृत्यु के बाद सरदारों ने उसके पुत्र को अलाउद्दीन आलमशाह की उपाधि से इस विनिष्ट राज्य का शासक घोषित किया।
§ आलमशाह शाह बहुत कमजोर और अयोग्य था। उसने 1451 ई. में दिल्ली का राजसिंहासन बहलोल लोदी को दे दिया।
§ 1476 ई. में अलाउद्दीन शाह (आलमशाह शाह) की मृत्यु हो गई।
लोदी वंश (1451-1526 ई.)
सैयद वंश के अंतिम शासक आलमशाह के राज्य त्याग के बाद बहलोल लोदी ने 1451 ई. में लोदी वंश की दिल्ली सल्तनत में स्थापना की। यह वंश 1526 ई. तक सत्ता में रहा और सफलतापूर्वक शासन किया। यह राजवंश दिल्ली सल्तनत का एक मात्र वंश था, जो अफगान मूल से था।
लोदी वंश के शासक
बहलोल लोदी (1451-1489 ई.)
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सिकंदर लोदी (1489-1517 ई.)
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इब्राहिम लोदी (1517-1526 ई.)
बहलोल लोदी (1451-1489 ई.)
§ बहलोल लोदी लोदी वंश का संस्थापक था। इसके पिता का नाम मलिक काला था। सैयद वंश का अंतिम शासक अलाउद्दीन आलमशाह था जिसे बहलोल लोदी ने 1451 ई. में अपने पक्ष में दिल्ली की गद्दी छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया।
§ बहलोल लोदी दिल्ली का प्रथम अफगान शासक था। हालांकि खिलजी भी अफगानिस्तान से आए थे, लेकिन वे मूलतः तुर्की थे।
§ बहलोल लोदी ने जौनपुर को दिल्ली सल्तनत में मिलाया जहां पहले शर्की वंश का स्वतंत्र शासन था।
§ बहलोल लोदी के द्वारा चलाए गए सिक्के बहलोली सिक्के कहलाए जो अकबर के समय तक चलन में रहे।
§ बहलोल लोदी की मृत्यु मिलावली में 1489 ई. में हो गई।
सिकंदर लोदी (1489-1517 ई.)
§ बहलोल लोदी की मृत्यु के बाद उसका तीसरा पुत्र निजाम खां सिकंदर शाह के नाम से 1489 ई. में सुल्तान बना।
§ सिकंदर लोदी ने 1504 ई. में आगरा शहर की स्थापना की तथा उसे 1506 ई. में अपनी राजधानी बनाया।
§ सिकंदर लोदी ने जमीन की पैमाईश के लिए गज-ए-सिकंदरी का प्रचलन कराया।
कुछ स्रोतों के अनुसार सिकंदर लोदी एक असहिष्णु शासक था। द्य उसने नगरकोट के ज्वालामुखी मंदिर की मूर्ति को तुड़वा दिया तथा उसके टुकड़ों को कसाइयों को मांस तोलने के लिए दे दिया। उसने मुसलमानों द्वारा ताजिया निकालने तथा मुस्लिम स्त्रियों द्वारा पीरों, संतों की मजारों पर जाना प्रतिबंधित कर दिया।
§ सिकंदर लोदी ने ब्राह्मणों पर पुनः जजिया कर लगाया।
§ प्रसिद्ध संत कबीर दास सिकंदर लोदी के समकालीन थे।
§ सिकंदर लोदी ने गुलरुखी उपनाम से फारसी में कविताएं करता था।
इब्राहीम लोदी (1517-1526 ई.)
§ 517 ई. में सिकंदर लोदी की मृत्यु के बाद उसका पुत्र इब्राहीम लोदी शासक बना।
§ इब्राहीम लोदी दिल्ली सल्तनत का अंतिम सुल्तान था।
§ 21 अप्रैल 1526 में पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहीम लोदी बाबर से पराजित हुआय इसी के साथ लोदी वंश का शासन तथा दिल्ली सल्तनत समाप्त हो गया।
§ बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए पंजाब के शासक दौलत खां लोदी और मेवाड़ के राणा संग्राम सिंह ने आमंत्रित किया।
§ मोठ मस्जिद लोदी स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है, इसे सिकंदर लोदी के वजीर द्वारा बनवाया गया था।
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