A) OR
B) AND
C) NOT
D) इनमें से कोई नहीं
Correct Answer: C
Solution :
उत्तर - NOT | |||||||||||||||
व्याख्या - तर्क द्वारा या तार्किक द्वारा या लोजिक गेट (Logic gates) | |||||||||||||||
तार्किक द्वार एक ऐसा तर्क संगत परिपथ है जिसमें एक या एक से अधिक निवेशी टर्मिनल (input) परन्तु केवल एक निर्गत टर्मिनल (output) होता है। तार्किक द्वार अंकरूप परिपथों का भूत भाग है। | |||||||||||||||
तार्किक द्वार में निवेशी तथा निर्गत संकेत के मध्य एक तार्किक सम्बन्ध होता है। | |||||||||||||||
सत्य - सारणी (Truth Table) | |||||||||||||||
सत्य सारणी एक ऐसी सारणी है जो किसी तार्किक द्वार के निवेशी तथा निर्गत संकेतों की समस्त सम्भावनाओं को दर्शाती है। | |||||||||||||||
विभिन्न प्रकार के तार्किक द्वार (Different type of gate) | |||||||||||||||
रूप से तार्किक द्वार निम्न तीन प्रकार के होते हैं | |||||||||||||||
(i) OR द्वार (ओर या अपि द्वार) | |||||||||||||||
(ii) IND द्वार (एण्ड या अथ द्वार) | |||||||||||||||
(iii) NOT द्वार (नॉट या न द्वार) | |||||||||||||||
इन द्वारों के परस्पर संयोजन से अन्य द्वार NOR तथा NAND मी निर्मित कर सकते हैं। | |||||||||||||||
OR - द्वार (ओर या अपि द्वार) (OR gate) | |||||||||||||||
OR - द्वार एक ऐसा द्वार होता है जिसमे दो या दो से अधिक निवेशी टर्मिनल तथा एक निर्गत टर्मिनल होता है तथा किसी भी निवेशी संकेत में उच्च (1) होने पर निर्गत संकेत भी उच्च (1) होता है। दूसरे शब्दों में सभी निवेशी संकेतों के शून्य होने पर निर्गत संकेत भी शून्य होता है। चरों 0 तथा 1 की बीजगणित सामान्य बीजगणित से भिन्न होती है। इस बीजगणित को इसके प्रतिपादक जॉर्ज बूल के नाम पर बूलिय बीजगणित (Boolean algebra) कहते हैं तथा इस प्रकार के चरों में परस्पर सम्बन्ध प्रदर्शित करने वाले समीकरणों को बूलिय व्यंजक (Boolean expression) कहते हैं। | |||||||||||||||
OR - द्वार की संक्रिया को + से व्यक्त करते है। OR - द्वार के लिए दो निवेशी टर्मिनल होने पर बूलीय व्यंजक निम्न है | |||||||||||||||
Y = A + B | |||||||||||||||
तथा तीन निवेशी टर्मिनल होने पर | |||||||||||||||
Y = A + B +C | |||||||||||||||
OR - द्वार के संकेत | |||||||||||||||
OR द्वार की सत्य सरणी | |||||||||||||||
A | B | Y=A+B | |||||||||||||
0 | 0 | 0 | |||||||||||||
0 | 1 | 1 | |||||||||||||
1 | 0 | 1 | |||||||||||||
1 | 1 | 1 | |||||||||||||
AND-द्वार ऐसा द्वार है जिसमें दो या दो अधिक निवेशी टर्मिनल तथा एक निर्गत टर्मिनल होता है तथा किसी एक भी निवेशी संकेत के शून्य अवस्था में होने पर निर्गत संकेत शून्य होता है अर्थात निर्गत संकेत को उच्च (अवस्था-I) प्राप्त करने के लिए सभी निवेशी संकेत उच्च (अवस्था-I) में होने चाहिए। | |||||||||||||||
AND- द्वार की संक्रिया को (डॉट) से व्यक्त करते हैं। ANDद्वार में दो निवेशी टर्मिनल तथा तीन निवेशी टर्मिनल होने पर बूलीय व्यंजक को निम्न प्रकार व्यक्त करते हैं। | |||||||||||||||
Y = A .B Y = A . B .C | |||||||||||||||
AND - द्वार का संकेत | |||||||||||||||
AND- द्वार की सत्य सारणी | |||||||||||||||
A | B | Y=A.B | |||||||||||||
0 | 0 | 0 | |||||||||||||
1 | 0 | 0 | |||||||||||||
0 | 1 | 0 | |||||||||||||
1 | 1 | 1 | |||||||||||||
NOT- द्वार (नॉट या न द्वार) (NOT gate) | |||||||||||||||
NOT - द्वार एक ऐसा द्वार होता है जिसमें एक निवेश तथा एक निर्गत टर्मिनल होता है तथा निर्गत टर्मिनल पर संकेत, निवेशी टर्मिनल के संकेत का विपरीत होता है। इसीलिए इसे प्रतिलोमक (Invertor) भी कहते हैं। इसका उपयोग स्विच परिपथ में किया जाता है। जब निवेशी संकेत शून्य अवस्था में होता है तो निर्गत संकेत उच्च (अवस्था-I) अवस्था में प्राप्त होता है। जबकि निवेशी संकेत के उच्च (अवस्था-I) अवस्था में होने पर निर्गत संकेत शून्य अवस्था में प्राप्त होता है। | |||||||||||||||
NOT - द्वार के बूलीय व्यंजक का निम्नानुसार व्यक्त करते हैं | |||||||||||||||
\[Y=\overline{A}\] | |||||||||||||||
NOT - द्वार का संकेत | |||||||||||||||
NOT- द्वार की सत्य सारणी | |||||||||||||||
A | \[Y=\overline{A}\] | ||||||||||||||
0 | 1 | ||||||||||||||
1 | 0 | ||||||||||||||
NOR- द्वार (नॉर या नापि द्वार) (NOR Gate) | |||||||||||||||
NOR- द्वार OR तथा NOT द्वार के संयोजन से बनाया जाता है। जिसमें दो या दो से अधिक निवेशी टर्मिनल तथा केवल एक निर्गत टर्मिनल होता है। इसके निर्गत पर एक बुलबुला लगा होता है। NOR- द्वार का निर्गत संकेत तभी उच्च (अवस्था - I) होता है जब सभी निवेशी संकेत शून्य अवस्था में हो। | |||||||||||||||
NOR- द्वार की संक्रिया को निम्न बूलीय व्यंजक से व्यक्त करते हैं- | |||||||||||||||
\[Y=\overline{A+B}\] | |||||||||||||||
NOR- द्वार का संकेत | |||||||||||||||
NOR- द्वार की सत्य-सारणी | |||||||||||||||
A | B | A+B | \[Y=\overline{A+B}\] | ||||||||||||
0 | 0 | 0 | 1 | ||||||||||||
0 | 1 | 1 | 0 | ||||||||||||
1 | 0 | 1 | 0 | ||||||||||||
1 | 1 | 1 | 0 | ||||||||||||
NAND- द्वार (नेड द्वार, नथ द्वार) (NAND gate) | |||||||||||||||
AND- द्वार तथा NOT के संयोजन से प्राप्त युक्ति NAND द्वार कहलाती है। यह एक ऐसा तार्किक द्वार है जिसमें दो या दो से अधिक निवेशी टर्मिनल जबकि केवल एक निर्गत टर्मिनल होता है। निर्गत पर एक बुलबुला लगा होता है। सभी निवेशी संकेत के उच्च (अवस्था-I) होने पर ही, निर्गत संकेत शून्य होता है। अन्यथा निर्गत संकेत अवस्था-1 में होता है। | |||||||||||||||
NAND- द्वार की बूलीय व्यंजक की निम्नानुसार व्यक्त कर सकते हैं- \[Y=\overline{A\,\,\,.\,\,\,B}\]Y | |||||||||||||||
NAND- द्वार का संकेत | |||||||||||||||
NAND- द्वार की सत्य-सारणी | |||||||||||||||
A | B | A.B | \[Y=\overline{A\,\,.\,\,\,B}\] | ||||||||||||
0 | 0 | 0 | 1 | ||||||||||||
0 | 1 | 0 | 1 | ||||||||||||
1 | 0 | 0 | 1 | ||||||||||||
1 | 1 | 1 | 0 | ||||||||||||
नेड द्वार तथा नॉर द्वार अंकीय परिपथों के लिए निर्माण खण्ड (building blocks) प्रयुक्त किए जाते हैं अर्थात इनका उपयोग करके ओर द्वार, ऐन्ड द्वार तथा नॉट द्वार बनाये जा सकते हैं। इस कारण इन्हे सार्वत्रिक द्वार (universal gate) भी कहते हैं। | |||||||||||||||
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