निम्न लिखित पर विचार करें. |
1. गिल्ट-एज बाजार के अंतर्गत क्रय-विक्रय की जाने वाली प्रतिक्षतियों का मूल्य स्थिर रहता है। |
2. जो व्यक्ति स्टॉक की कीमतें बढ़ाना चाहता है, वह तेजड़िया कहलाता है। |
3. जो व्यक्ति स्टॉक की कीमतें घटाना चाहता है, वह मंदड़िया कहलाता है। |
4. नेट एसेट वेल्यू शब्द म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों को कहा जाता है। |
उपरोक्त में से कौन-सा कथन सत्य है/हैं? |
A) केवल 1
B) केवल 2
C) 1, 2 और 3
D) 1, 2, 3 और 4
Correct Answer: C
Solution :
उत्तर- 1, 2 और 3 |
व्याख्या- |
· गिल्ट एज बाजार:- इसके अन्तर्गत क्रय-विक्रय की जाने वाली प्रतिभूतियों का मूल्य स्थिर रहता है। भारतीय गिल्ट एज बाजार में प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय आरबीआई के माध्यम से किया जाता है। इसे सरकारी प्रतिभूति बाजार भी कहते हैं। |
· तेजड़िया और मंदड़िया (Bulls and Bears) यह स्टॉक एक्सचेंज शब्द है - जो व्यक्ति स्टॉक की कीमतें बढ़ाना चाहता है, तेजड़िया कहलाता है तथा जो व्यक्ति स्टॉक की कीमतें गिरने की आशा करके किसी वस्तु को भविष्य में देने का वायदा करके बेचता है, वह मंदड़िया कहलाता है। |
· नेट एसेट वैल्यू:- म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों के लिए एन.ए.वी. शब्द एक पहेली की तरह है। इसका पूरा नाम नेट एसेट वैल्यू है। अगर फंड की कुल निवेश वैल्यू में कुल यूनिटों का भाग दे दिया जाए तो एसेट वैल्यू निकलती है। |
· गिल्ट फण्ड:- ऐसे फण्ड जिनके माध्यम से सरकारी सिक्योरिटी में निवेश किया जाता हैए गिल्ट-फण्ड कहलाते हैं। सरकारी कम्पनियों में किया जाने वाला निवेश ज्यादा बेहतर तथा सुरक्षित रहते हैं। |
· खुले बाजार की क्रियाएँ:- यह केन्द्रीय बैंक द्वारा साख नियंत्रण का एक महत्वपूर्ण उपाय है। खुले बाजार की क्रियाओं के अन्तर्गत केन्द्रीय बैंक द्वारा मुद्रा बाजार में किसी भी प्रकार के बिलों अथवा प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय होता है। |
· म्यूचुअल फण्ड:- म्यूचुअल फण्ड के अन्तर्गत जन-साधारण के निवेश योग्य धन को ऐच्छिक आधार पर एकत्रित करके विनियोग के बेहतर अवसरों में प्रयोग किया जाता है। इसकी स्थापना प्रायः निवेश संबंधी निर्णय लेने वाली दक्ष वित्तीय संस्थाओं द्वारा की जाती है। भारत में यूनिट ट्रस्ट ऑफ इण्डिया, स्टेट बैंक, केपरा बैंक, बैंक ऑफ इण्डिया, इण्डियन बैंक तथा जीवन बीमा निगम आदि ने इस प्रकार के म्यूचुअल फण्ड स्थापित किए है। |
· प्रतिभूति:- प्रतिभूति शब्द का प्रयोग प्रपत्रों के रूप में वित्तीय परिसम्पत्तियों यथा शेयर, डिबेन्चर एवं अन्य ऋण पत्रों आदि के लिए किया जाता है। बैंकिंग में ऋणों की जमानत के सन्दर्भ में भी प्रतिभूति काफी प्रयुक्त होता है, जहाँ प्रतिभूति से अभिप्राय उस बीमित हित से होता है, जो ऋण के भुगतान न होने की स्थिति में उत्पन्न होता है अर्थात प्रतिभूति ऋण का बीमा होती है। व्यक्तिगत प्रतिभूति: बैंक प्रायः छोटे-मोटे ऋणों के लिए ऋण लेने वाले व्यक्ति अथवा किसी तीसरे व्यक्ति की व्यक्तिगत प्रतिभूति को ही स्वीकार कर लेता है। व्यक्तिगत प्रतिभूति में ऋणी का चरित्र, उसकी सम्पत्ति तथा क्षमता को ध्यान में रखा जाता है। |
· दृश्य अथवा मूर्त प्रतिभूति:- दृश्य प्रतिभूति में ऋण की वसूली प्रतिभूति बेचकर की जा सकती है। दृश्य प्रतिभूति में अंशए ऋणपत्र सरकारी प्रतिभूति तथा जीवन बीमा पॉलिसी आदि को सम्मिलित किया जाता है। |
· लदान बिल:- लदान बिल अथवा लदान रसीद जहांज कम्पनी द्वारा माल प्राप्ति की रसीद होती है, जिसमें माल का पूर्ण विवरण, लदान की तिथि, माल पहुँचने का स्थान आदि तथ्यों का विवरण होता है। |
· सरकारी प्रतिभूतियाँ: सरकारी प्रतिभूतियों में सरकारी प्रतिज्ञा-पत्र, राष्ट्रीय बचत प्रमाण-पत्र तथा राष्ट्रीय बचत योजना, वाहक बन्धक पत्र आदि सम्मिलित किए जाते हैं। बैंक इन प्रतिभूतियों की जमानत पर सरलता से ऋण प्रदान कर सकते हैं, क्योंकि इन प्रतिभूतियों का मूल्य स्थिर रहता है तथा ये सुरक्षित मानी जाती हैं। |
· करेंसी अथवा चलन मुद्रा तिजोरियाँ:- करेंसी तिजोरियाँ ऐसे बॉक्स हैं, जिनमें धात्विक सिक्कों के साथ-साथ नए या पुनः जारी कर सकने योग्य करेन्सी नोटों का भण्डार रखा जाता है। ऐसी तिजोरियाँ रिजर्व बैंक स्टेट बैंक और उसके सहायक बैंकों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकोंए सरकारी खजानों तथा उप खजानों द्वारा संचालित की जाती हैं। करेंसी तिजोरियों में इस तरह रखेजाने वाले नोटों का भण्डारण सम्पूर्ण देश में फैला है। |
· कर्ब डीलिंग:- शेयर बाजार के बाहर होने वाले सभी व्यापार को कर्ब डीलिंग कहते हैं। |
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