तृतीय मैसूर युद्ध के संबंध में निम्न कथनों में सत्य का चुनाव पर विचार कीजिए |
1. तृतीय मैसूर युद्ध 1790-1792 र्इ. तक लड़ा गया था। |
2. यह युद्ध लॉर्ड कॉर्नवॉलिस और टीपू सुल्तान के मध्य हुआ। |
3. अंग्रजों की डिंडीगुल, कोयम्बटूर, पालघाट पर बुरी तरह हार हुर्इ। |
A) 1 एवं 3
B) 1 एवं 2
C) 1, 2 एवं 3
D) केवल 3
Correct Answer: B
Solution :
उत्तर - 1 एवं 2 व्याख्या - तृतीय मैसूर युद्ध 1790-1792 र्इ. तक लड़ा गया था। यह युद्ध भी लार्ड कार्नवालिस और टीपू सुल्तान के मध्य लड़ा गया। तृतीय मैसूर युद्ध का कारण भी अंग्रेजों की दोहरी नीति थी। इस युद्ध में तीन संघर्ष हुए। 1790 र्इ. में तीन अंग्रेजी सेनाएं मैसूर की ओर बढ़ीं, उन्होंने डिंडीगुल, कोयम्बटूर तथा पालघाट पर अधिकार कर लिया। फिर भी उनको टीपू के प्रबल प्रतिरोध के कारण कोर्इ महत्व की विजय प्राप्त न हो सकी। इस विफलता के कारण स्वयं लॉर्ड कार्नवालिस ने, जो गवर्नर-जनरल भी था, दिसंबर, 1790 में प्रारम्भ हुए अभियान का नेतृत्व अपने हाथों में ले लिया। वेल्लोर और अम्बर की ओर से बढ़ते हुए कार्नवालिस ने मार्च, 1791 में बंगलोर पर अधिकार कर लिया और टीपू की राजधानी श्रीरंगपट्टनम की ओर बढ़ा। किन्तु अंग्रेज अपने इरादे में कामयाब न हो सके। टीपू की नियोजित विध्वंसक, भू-नीति के कारण अंग्रेजों की सेना को अनाज का एक दाना न मिल सका और कार्नवालिस को अपनी तोपें लेकर पीछे लौटना पड़ा।You need to login to perform this action.
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