पर्वतीय वर्षा के सम्बंध में निम्न कथनों पर विचार करें |
1. पवनमुखी ढाल पर अधिक वर्षा होती है। |
2. पर्वतीय वर्षा के अंतर्गत वर्षा का प्रतिलोमन एक प्रमुख घटना है। |
उपरोक्त में से सत्य कथनों का चुनाव करें |
A) केवल 1
B) केवल 2
C) 1 और 2
D) न तो 1 न ही 2
Correct Answer: C
Solution :
उत्तर - 1 और 2 |
व्याख्या - पर्वतीय वर्षा के सम्बंध में उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं। |
वह स्थिति जब जलवाष्प युक्त वायुराशि पर्वतीय ढाल के माध्यम से ऊपर उठती हैं तो ऊपर उठने के क्रम में वायु के तापमान में कमी आने से वायु संतृप्त हो जाती है। जिसके फलस्वरूप बादलों का निर्माण होता है। इस प्रकार पर्वतीय वर्षा की स्थिति उत्पन्न होती है। इस प्रकार की वर्षा का मुख्य विशेषता यह है कि पवनाभिमुख ढाल पर सबसे अधिक वर्षा होती है। जबकि जब ये हवाएं दूसरे ढाल पर पहुंचती हैं, तो वे नीचे की ओर उतरती हैं तथा उनका तापमान बढ़ जाता है। परिणामस्वरूप उनकी आर्द्रता धारण करने की क्षमता बढ़ जाती है एवं इस प्रकार, प्रतिपवन ढाल सूखे तथा वर्षा विहीन रहते हैं। |
वर्षा का प्रतिलोमन का सम्बन्ध पर्वतीय वर्षा से है। इसके अंतर्गत अत्यधिक ऊंचार्इ पर कम वर्षा तथा कम ऊंचार्इ पर अधिक वर्षा होती है। |
टिप्पणी - पर्वतीय वर्षा का एक मुख्य गुण वृष्टि छाया क्षेत्र का बनना भी है। जिसके अन्तर्गत पवनाविमुख ढाल सूखे तथा वर्षा विहीन रहते हैं। अर्थात प्रतिपवन भाग में स्थित वह क्षेत्र, |
जिनमें कम वर्षा होती है उसे वृष्टि छाया क्षेत्र कहा जाता है। |
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