1. राज्य की कर सूची केंद्र की सूची से लंबी है। |
2. ज्यादा आय की संभावना वाले कर संघ सूची में हैं, |
A) कूटः केवल 1
B) केवल 2
C) 1 और 2 दोनों
D) न तो 1 और न ही 2
Correct Answer: C
Solution :
व्याख्या-संविधान के अनुच्छेद-265 में वर्णित है कि विधि के प्राधिकार के बिना कोई कर अधिरोपित या संगृहित नहीं किया जाएगा अर्थात् केवल कार्यपालिका के आदेश से कोई कर अधिरोपित नहीं किया जा सकता है बल्कि विधायिका (संसद अथवा विधानमण्डल) के द्वारा पारित किसी अधिनियम द्वारा ही लगाया जा सकता है। राज्य की कर सूची केन्द्र की सूची से लंबी है क्योंकि राज्य-कर-सूची में 20 विषय सम्मिलित हैं, जिन पर कर लगाने का अधिकार राज्य विधानमण्डल को दिया गया है, जबकि संघ की कर सूची में ऐसे 15 विषय दिये गए है, जिन पर संसद विधि बना सकती है। यद्यपि इन दोनों सूचियों में से केन्द्र की अपेक्षा राज्य सूची में अधिक विषय शामिल है परन्तु इसमें ज्यादा आय की संभावना वाले कर संघ सूची में है, जैसे-आयकर (कृषि आयकर को छोड़कर), सीमा शुल्क,निगम कर, सम्पदा शुल्क, स्टाम्प शुल्क आदि जबकि राज्य-सूची में शामिल करों से अधिक आय नहीं हो पाती है। राज्य कर सूची के अन्तर्गत शामिल कर इस प्रकार है-भू-राजस्व या लगान, कृषि आय पर कर, भूमि व भवनों पर कर, शराब, अफीम गाँजा तथा अन्य मादक पदार्थ और औषधियों पर उत्पाद कर, समाचार-पत्रों से विभिन्न वस्तुओं के क्रय-विक्रय पर कर, रेडियो या दूरदर्शन के विज्ञापनों पर कर आदि विषय शामिल हैं।You need to login to perform this action.
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