A) ऊर्जा का सृजन और विनाश होता है।
B) ऊर्जा का सृजन हो सकता हैं
C) ऊर्जा का सृजन नहीं हो सकता परन्तु विनाश हो सकता है।
D) ऊर्जा का न तो सृजन हो सकता है और न ही विनाश।
Correct Answer: D
Solution :
उत्तर - ऊर्जा का न तो सृजन हो सकता है और न ही विनाश। | |
व्याख्या - ऊर्जा संरक्षण के नियम के अनुसार ऊर्जा को न तो नष्ट किया सकता है और न ही उत्पन्न किया जा सकता है, केवल एक रूप से दूसरे रूप में बदला जा सकता है। | |
टिप्पणी - ऊर्जा: सभी कार्यों के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है, किसी वस्तु के कार्य करने की क्षमता को उसकी ऊर्जा कहते है, कार्य का मात्रक ऊर्जा का मात्रक होता है। ऊर्जा के मात्रक - MKS पद्धति में, ऊर्जा का मात्रक- जूल, CGS पद्धति में ऊर्जा का मात्रक- अर्ग, SI मात्रक- जूल होता है। 1 वाट - 1 घंटा = 3600 जूल या \[3.6\times {{10}^{3}}\] जूल 1 किलोवाट घंटा = \[3.6\times {{10}^{6}}\] जूल 1 अश्व शक्ति = 746 वाट |
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