A) केवल 1
B) केवल 2
C) 1 और 2
D) न तो 1 न ही 2
Correct Answer: C
Solution :
उत्तर - 1 और 2 |
व्याख्या - उपरोक्त दोनो कथन सत्य हैं। कथक की उत्पति भक्ति आन्दोलन के समय हुई। संस्कृत में कथा कहने वाले को कत्थक कहा जाता है और कत्थक नृत्य के माध्यम से उस समय रामायण और महाभारत एवं अन्य पुराणिक कहानियों का प्रदर्शन किया जाता था। अवध, लखनऊ के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह के समय में यह कला अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंच गई, और इसमें गजल और ठुमरी के समन्वय का भी प्रयास हुआ। कत्थक ही भारत का वह एकमात्र शास्त्रीय नृत्य है जिसका सम्बन्ध उत्तर भारत तथा मुस्लिम संस्कृति से रहा है। |
विशेष - कथक नृत्य की मुख्य विशेषताएं निम्नानुसार हैं. |
· कत्थक एकल नृत्य के रूप में विकसित हुआ। |
· मुगलों के संरक्षण में इस नृत्य पर फारसी सांस्कृतिक प्रभाव भी पड़ा। राधा और कृष्ण की प्रेम कहानियों के स्थान में, शुद्ध और अमूर्त नृत्य करने पर जोर दिया गया। |
· राजस्थान के हिन्दू राजाओं ने भी पौराणिक हिंदू कथाओं के कत्थक नर्तकों को संरक्षण दिया। |
· कत्थक अत्यंत नियमबद्ध एवं शुद्ध शास्त्रीय नृत्य शैली है, जिसमें पूरा ध्यान लय पर दिया जाता है। |
· इस नृत्य में पैरों की थिरकन (तत्कार) और घूमने (चक्कर) पर विशेष ध्यान दिया जाता है। अपना परिचय प्रस्तुत करते हुए नर्तक नृत्य का आरम्भ करता. |
· जुगलबंदी कत्थक की विशिष्ट पहचान है जिसमे तबला वादक व नर्तक के बीच प्रतिस्पर्धा होती है। |
· तराना कत्थक का महत्वपूर्ण भाग है जो समापन भाग होता है। |
· कत्थक में मुख्य रूप से ध्रुपद की जुगलबंदी की जाती है। तबला, ढोलक आदि वाद्य यंत्र प्रयोग में लाये जाते |
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