A) सेलखड़ी से
B) काचली मिट्टी से
C) गोमेद एवं चर्ट से
D) मिट्टी एवं तांबे से
Correct Answer: A
Solution :
उत्तर - सेलखड़ी से |
व्याख्या - पुरातत्वविदों को उत्खन्न वाली जगहों पर अलग -अलग प्रकार की मोहरें मिली है जैसे कि वर्गाकार, त्रिकोणीय, आयाताकार आदि। इन मोहरों को बनाने में मुलायम पत्थर स्टेटाइट (सेलखड़ी)का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता था। |
विशेष - अधिकांश मोहरों पर चित्राक्षर लिपि (पिक्टोग्राफिक स्क्रिप्ट) में मुद्रलेख भी है, पर इन्हें अभी तक पढ़ा नही जा सका है । मुद्रालेख को दाई से बाई और लिखा गया है। इन पर कई पशुओं की आक्रति भी पाई गई है जैसे बैल, गेंडा, हाथी आदि पर गाय का कोई साक्ष्य नही मिला है। मोहरों का मुख्य रूप से वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए प्रयोग किया जाता था और हो सकता है कि इनका प्रयोग शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए भी किया जाता होगा। उदाहरण के तौर पर पशुपति की मोहर, यूनिकॉर्न वाली मोहर आदि। |
You need to login to perform this action.
You will be redirected in
3 sec