A) नाइट्रोजन डाइऑक्साइड
B) सल्फर डाइऑक्साइड
C) फ्रिऑन
D) क्लोरीननाइट्रेट
Correct Answer: C
Solution :
उत्तर- फ्रिऑन |
व्याख्या- सन् 1980 में वायुमंडलीय वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका पर कार्य करते हुए दक्षिणी ध्रुव के ऊपर ओजोन परत के क्षय के बारे में बताया, जिसे सामान्य रूप से ओजोन-छिद्र कहा जाता है। यह पाया गया कि ओजोन छिद्र के लिए परिस्थितियों का एक विशेष समूह उत्तरदायी था। गरमी में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड परमाणुओं (अभिक्रिया i) एवं क्लोरीन परमाणुओं (अभिक्रिया ii) से अभिक्रिया करके क्लोरीन सिंक बनाते हैं, जो ओजोन-क्षय को काफी हद तक रोकता है। जबकि सर्दी के मौसम में विशेष प्रकार के बादल, जिन्हें ध्रुवीयं समतापमंडलीय बादल कहा जाता है, अंटार्कटिका के ऊपर बनते हैं। ये बादल एक प्रकार की सतह प्रदान करते हैं, जिस पर बना हुआ क्लोरीननाइट्रेट (अभिक्रिया प) जलयोजित होकर हाइपोक्लोरस अम्ल बनाता है (अभिक्रिया iii)। (अभिक्रिया iv) में उत्पन्न हाइड्रोजन क्लोराइड से भी अभिक्रिया कर के यह आण्विक क्लोरीन देता है। |
\[Cl{{O}^{.}}_{(g)}+N{{O}_{2(g)}}\to ClON{{O}_{2(g)}}\] |
\[C{{l}_{(g)}}+C{{H}_{4(g)}}\to C{{H}_{3(g)}}+HC{{l}_{(g)}}\] |
\[ClON{{O}_{2(g)}}+{{H}_{2}}{{O}_{(g)}}\to HOC{{l}_{(g)}}+HN{{O}_{3(g)}}\] |
\[ClON{{O}_{2(g)}}+HC{{l}_{(g)}}\to C{{l}_{2}}_{(g)}+HN{{O}_{3(g)}}\] |
बसंत में अंटार्कटिका पर जब सूर्य का प्रकाश लौटता है, तब सूर्य की गरमी बादलों को विखंडित कर देती है। |
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