A) गुप्तों की
B) वाकाटकों की
C) पल्लवों की
D) चालुक्यों की
Correct Answer: D
Solution :
उत्तर - चालुक्यों की व्याख्या - 608 ई. में जब पुलकेशिन द्वितीय गद्दी पर बैठा तो उसने भी श्री पृथ्वी वल्लभ सत्याश्रय की उपाधि धारण की थी। चालुक्य शासन परंपरा में राजपद आनुवंशिक था। चालुक्य राजाओं की उपाधि सत्याश्रय श्री पृथ्वी वल्लभ महाराजाधिराज परमेश्वर भट्टारक की थी। चालुक्य राजा परमभट्टारक भी थे। अतः अपने आप में परमेश्वर भी जोड़ा करते थे।You need to login to perform this action.
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