A) स्थूलबाहु के नेतृत्व में दक्षिण भारत में जैन धर्म का प्रचार हुआ
B) पाटलिपुत्र में हुई परिषद के पश्चात जो जैन धर्म के लोग भद्रबाहु के नेतृत्व में रहे, वे श्वेतांबर कहलाए
C) प्रथम शतक ई.पू. में जैन धर्म को कलिंग के राजा खारवेल का समर्थन मिला।
D) बौद्धों के विपरीत जैन धर्म की प्रारंभिक अवस्था में, जैन धर्म के लोग चित्रों का पूजन करते थे।
Correct Answer: C
Solution :
उत्तर-प्रथम शतक ई.पू. में जैन धर्म को कलिंग के राजा खारवेल का समर्थन मिला। |
व्याख्या - भद्रबाहु स्वामी एक जैन साधु थे। ये चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु थे। उन्होंने दक्षिण भारत में जैन धर्म का प्रचार किया। श्वेतांबर जैन धर्म का एक प्रमुख सम्प्रदाय है, जिसे मानने वाले संत स्वेत अर्थात सफेद वस्त्र को धारण करते हैं। भद्रबाहु के समर्थक दिगंबर कहलाए, इन्होंने पाटलिपुत्र में आयोजित जैन धर्म की प्रथम महासभा में भाग नहीं लिया था। खारवेल कलिंग में राज करने वाले महामेघवाहन वंश का तृतीय एवं सबसे महान तथा प्रख्यात सम्राट था। खारवेल के बारे में सबसे महत्वपूर्ण जानकारी हाथीगुम्फा शिलालेख है। उसने भुवनेश्वर के पास उदयगिरि तथा खंडगिरि पहाड़ियों को कटवाकर जैन भिक्षुओं के निवास के लिए गुहा विहार बनवाए थे। जैन धर्म की प्रारंभिक अवस्था में चित्र पूजा या मूर्ति पूजा प्रचलित नहीं थी। |
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