A) राजपूतों में से जातिच्युत लोगों को इंगित करने के लिए
B) वैदिक कर्मकांडों के त्याग को इंगित करने के लिए
C) कुछ आधुनिक भारतीय भाषाओं के आरंभिक रूपों को इंगित करने के लिए
D) संस्कृतेतर छंदों को इंगित करने के लिए
Correct Answer: C
Solution :
उत्तर - आधुनिक भारतीय भाषाओं के आरंभिक रूपों को इंगित करने के लिए |
व्याख्या - अप्रभ्रंश मध्यकालीन भारतीय आर्यभाषा और आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं के बीच की कड़ी है। भाषा विद्वानों ने अपभ्रंश को एक सन्धिकालीन भाषा कहा है। कहा जा सकता है की अपभ्रंश को भारतीय आर्यभाषा के विकास की एक स्थिति माना है। इनके अनुसार 6वीं से 11वीं शती तक प्रत्येक प्राकृत का अपना अपभ्रंश रूप रहा होगा-जैसे मागधी प्राकत के बाद मागधी अपभ्रंश, अर्धमागधी प्राकृत के बाद अर्धमागधी अपभ्रंश, शौरसेनी प्राकृत के बाद शौरसैनी अपभ्रंश एवं महाराष्ट्री प्राकृत के बाद महाराष्ट्री अपभ्रंश आदि। |
टिप्पणी - भर्तृहरि के वाक्यपदीयम् के अनुसार सर्वप्रथम व्याडि ने संस्कृत के मानक शब्दों से भिन्न संस्कारच्युत, भ्रष्ट और अशुद्ध शब्दों को अपभ्रंश की संज्ञा दी। |
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