A) यह मृदा उच्च तापमान और भारी वर्षा के क्षेत्रों में विकसित होती है।
B) ये बहुत ही अपक्षालित मिट्टियां हैं।
C) ये मृदाएं प्रायद्वीप के ऊंचे क्षेत्रों में पार्इ जाती हैं।
D) ये मृदाएं कृषि के लिये पर्याप्त उपजाऊ हैं।
Correct Answer: D
Solution :
उत्तर - ये मृदाएं कृषि के लिये पर्याप्त उपजाऊ हैं। |
व्याख्या - लैटेराइट एक लैटिन शब्द लेटर से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ र्इंट होता है। लैटेराइट मृदाएं उच्च तापमान और भारी वर्षा के क्षेत्रों में विकसित होती हैं। |
उष्णकटिबंधीय भारी वर्षा के कारण होने वाली तीव्र निक्षालन क्रिया के. परिणामस्वरूप लैटेराइट मिट्टी का निर्माण हुआ है ये आर्इ प्रदेशों की अपक्षालित मिट्टियां हैं। |
लैटेराइट मृदा में वर्षा के साथ चूना और सिलिका निक्षालित हो जाते हैं तथा लोहे के ऑक्साइड और एल्युमीनियम के यौगिक शेष बचे रह जाते हैं। उच्च तापमान में आसानी से पनपने वाले जीवाणु ह्यूमस की मात्रा को तेजी से नष्ट कर देते हैं जिसके कारण इन मृदाओं में जैव पदार्थ, नाइट्रोजन, फॉस्फेट और कैल्शियम की कमी होती है तथा लौह ऑक्साइड और पोटाश की अधिकता होती है। परिणामस्वरूप लैटेराइट मृदाएं कृषि के लिये पर्याप्त उपजाऊ नहीं हैं। फसलों के लिये उपजाऊ बनाने के लिये इन मृदाओं में खाद्य और उर्वरकों की भारी मात्रा डालनी पड़ती है। |
इन मृदाओं का विकास मुख्य रूप से प्रायद्वीपीय पठार के ऊंचे क्षेत्रों में हुआ है। ये मृदाएं सामान्यत: कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, ओडिशा और असम के पहाड़ी क्षेत्रों में पार्इ जाती हैं। |
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