राजस्थानी लोकनृत्यों के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार करें - (RAS 2009) |
1. घूमर नृत्य को नृत्यों का सिरमौर कहा जाता है। |
2. यूनेस्को ने कालबेलिया नृत्य को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में भी शामिल किया है। |
3. चंग नृत्य महिलाओं का सामूहिक लोकनृत्य है। उपरोक्त में से सत्य कथनों का चुनाव करें |
A) 1 और 2
B) 2 और 3
C) 1 और 3
D) 1, 2 और 3
Correct Answer: A
Solution :
उत्तर - 1 और 2 |
व्याख्या - कथन 3 असत्य है शेष दोनो कथन सत्य हैं। |
· घूमर नृत्य - घूमर को नृत्यों का सिरमौर घूमर राज्य नृत्य के रूप में प्रसिद्ध है। इसमें ढोल, नगाड़ा और शहनाई आदि वाद्य यन्त्रों का प्रयोग किया जाता है। यह राजस्थान का सर्वाधिक प्रसिद्ध लोकनृत्य है, इसे मांगलिक पर्वो पर महिलाओं द्वारा हाथों के संचालन से ढोल -नगाड़ा, शहनाई आदि के सहायता से किया जाता है। यह मांगलिक अवसरों, पर्वो आदि पर महिलाओं द्वारा किया जाता है। लहंगे के घेरे को घूम्म कहते हैं। स्त्री-पुरुष घेरा बनाकर नृत्य करते हैं। |
· चंग नृत्य - यह राजस्थान में पुरुषों का सामूहिक लोकनृत्य है। इसका आयोजन होली पर्व पर होता है और महाशिवरात्रि से लेकर होली तक चलता है। राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र अर्थात चुरु, झुंझुनू, सीकर जिला व बीकानेर जिला इसके प्रमुख क्षेत्र हैं। इस लोकनृत्य में खुले स्थान में परमुखत: चंग नामक वाद्ययंत्र के साथ शरीर की गति या संचालन, नृत्य या तालबद्ध गति के साथ अभिव्यक्त किया जाता है। |
· कालबेलिया नृत्य - कालबेलिया राजस्थान की एक अत्यंत प्रसिद्ध नृत्य शैली है। कालबेलिया सपेरा जाति को कहते हैं। यह नृत्य दो महिलाओं द्वारा किया जाता है। पुरुष नृत्य के दौरान बीन व ताल वाद्य बजाते हैं। इस नृत्य में कांच के टुकड़ों व जरी-गोटे से तैयार काले रंग की कुर्ति, लहंगा व चुनड़ी पहनकर सांप की तरह बल खाते हुए नृत्य की प्रस्तुति की जाती है। |
विशेष - |
· कालबेलिया नृत्य को विशेष पहचान नृत्यांगना गुलाबो ने दिलाई, जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर में इस नृत्य का प्रदर्शन किया। |
· केन्या की राजधानी नैरोबी में नवंबर, 2010 में हुई अंतरसरकारी समिति की बैठक में यूनेस्को ने कालबेलिया नृत्य को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में भी शामिल किया है। |
You need to login to perform this action.
You will be redirected in
3 sec