A) मध्य प्रदेश
B) कर्नाटक
C) उत्तर प्रदेश
D) बिहार
Correct Answer: B
Solution :
उत्तर - कर्नाटक |
व्याख्या - यक्षगान नृत्य, गाना, वार्तालाप और वेषभूषाओं से सजनेवाली कर्नाटक की एक सांप्रदायिक शास्त्रीय कला है। कर्नाटक के उत्तर कन्नड, दक्षिण कन्नड, उडुपी, शिवमोग्ग, चिक्कमगलूर आदि जिलों में यक्षगान घर-घर की नृत्यकला है। साथ ही कर्नाटक के समीपस्थ राज्यों अर्थात केरल, तामिलनाडु, आंध्र प्रदेश में भी यह यक्षगान प्रचलित में है। |
विशेष - यक्षगान नृत्य की विशेषतायें - |
· कथावस्तु - यक्षगान में किसी एक कथावस्तु को लेकर उसे लोगों को गाना, अभिनय, नृत्य के साथ दर्शाया जाता है। इसी को यक्षगान का कथावस्तु कहा जाता है। इन संदर्भो में पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक और सामाजिक संदर्भो को चुन सकते हैं। |
· पात्र - यक्षगान के संदर्भ के कथावस्तु को अभिनय करनेवालों को ही पात्र कहा जाता है। स्त्री पात्र, खलनायक पात्र, हास्य-व्यंग्य पात्र, नायक ऐसे ही संदर्भ के अनुसार पात्रों का सृजन होता है। |
· भागवत - यक्षगान में भागवत अत्यंत प्रमुख होता है। भागवत कथावस्तु को काव्यगायन के रुप में प्रस्तुत करते हैं। इस यक्षगान में कथावस्तु को काव्यरुप में प्रस्तुत करने वालों को भागवत कहा जाता है। भागवत के काव्यगायन के अनुसार पात्र अभिनय करते हैं। |
· काव्यगायन - भागवत के काव्यगायन के पश्चात पात्र उसे वार्तालाप के द्वारा विवरण देते हैं। काव्यगायन में घटना को गाया जाता है उसे लोगों को सरल एवं बोलचाल की भाषा में प्रस्तुत किया जाता है। |
· वाद्ययंत्र - यक्षगान में मृदंग, ढोल, बाजे जैसे विभिन्न संगीत के उपकरणों से कथावस्तु को संगीतमय बनाया जाता है। |
टिप्पणी - यक्षगान के मुख्यत: 3 प्रकार हैं - |
· यक्षगान बयलाट - बयलाट यानि वेषभूषा के साथ रंगमंच पर खेलने वाला खेल होता है। |
· यक्षगान मूडलपाय - उत्तर कर्नाटक में श्रीकृष्ण पारिजात इसी मूडलपाय यक्षगान का ही एक अंग है। |
· यक्षगान पडुवलपाय - इसके तीन प्रकार हैं |
तेंकुतिव, बडगुतिट्ट और उत्तरतिव। |
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