सूची I | सूची II | ||
A. | यीस्ट | 1. | क्लोम |
B. | डायाफ्राम (मध्यपट) | 2. | एल्कोहॉल |
C. | तिलचट्टा | 3. | वक्ष-गुहा |
D. | पत्तियां | 4. | रंध्र |
E. | मछली | 5. | श्वास रंध्र |
A) A\[\to \]1, B\[\to \]2, C\[\to \]3, D\[\to \]4, E\[\to \]5
B) A\[\to \]2, B\[\to \]3, C\[\to \]5, D\[\to \]4, E\[\to \]1
C) A\[\to \]3, B\[\to \]5, C\[\to \]2, D\[\to \]4, E\[\to \]1
D) A\[\to \]1, B\[\to \]4, C\[\to \]2, D\[\to \]5, E\[\to \]3
Correct Answer: B
Solution :
उत्तर - A\[\to \]2, B\[\to \]3, C\[\to \]5, D\[\to \]4, E\[\to \]1 |
व्याख्या - यीस्ट एक-कोशिकीय जीव होता है। जो अवायवीय रूप से श्वसन करते हैं और इस प्रक्रिया के दौरान एल्कोहॉल निर्मित करते हैं। अत: इनका उपयोग अल्कोहल उद्योग में होता हैं। |
· श्वसन के समय वायु नासारन्ध्र, श्वास नली द्वारा हमारे फेफड़ों में प्रवेश करती है। फेफड़े वक्ष-गुहा में स्थित होते हैं। वक्ष-गुहा पार्श्व में पसलियों से घिरी रहती है। एक बड़ी पेशीय परत, जो डायाफ्राम (मध्यपट) कहलाती है, वक्ष-गुहा को आधार प्रदान करती है। श्वसन में डायाफ्रामऔर पसलियों से बने पिंजरे (Cage) की गति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। |
· तिलचट्टा के शरीर के पार्श्व भाग में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं। इन्हें छिद्र श्वास रंध्र कहते हैं |
· तिलचट्टों तथा अन्य कीटो में गैस के विनिमय के लिये वायु नालियों का जाल बिछा होता है। |
· पादपों की सतह पर उपस्थित सूक्ष्म छिद्र होते हैं, इन्ही रन्ध्रों के माध्यम से पौधों में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का विनिमय होता है। |
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