A) घड़ी की सुर्इ के विपरीत
B) लम्बवत
C) घड़ी की सुर्इ के अनुसार
D) तिर्यक
Correct Answer: A
Solution :
उत्तर - घड़ी की सुर्इ के विपरीत |
व्याख्या - वायुमंडल में स्थायी पवनों के क्षेत्र में ही चक्रवात, प्रतिचक्रवात, आदि उत्पन्न होने हैं। वायुमण्डल की इन्हीं परिघटनाओं को द्वितीयक परिसंचरण की संज्ञा दी जाती हैं। चक्रवात वह वायुदाब प्रणाली है जिसके केन्द्र में निम्न वायुदाब के कारण हवायें केन्द्र की ओर बहती हैं। इस निम्न वायुदाब केन्द्र के चारों ओर बढ़ते वायुदाब की रेखायें पार्इ जाती हैं। चक्रवात में पवन की दिशा बाहर से केन्द्र की ओर होती है। |
उत्तरी गोलार्द्ध में चक्रवात में वायु की दिशा घड़ी की दिशा के विपरीत होती है। |
दक्षिणी गोलार्द्ध में चक्रवात में वायु की दिशा घड़ी की दिशा के अनुकूल होती है। |
चक्रवात दो प्रकार के होते हैं - |
1. शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात |
2. उष्ण कटिबंधीय चक्रवात |
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