उष्मा बजट के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार करें - |
1. पृथ्वी को प्राप्त एवं उत्सर्जित ऊर्जा की मात्रा बराबर होती |
2. पृथ्वी पर प्राप्त विकिरण की मात्रा और पार्थिव विकिरण की मात्रा में देशांतरीय भिन्नता पार्इ जाती है। |
3. वायुमंडल की उपरी सतह पर प्राप्त 100 इकार्इ सूर्याताप में से 35 इकाइयां धरातल पर पहुंचने से पहले ही अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाती हैं। |
उपरोक्त में से सत्य कथनों का चुनाव करें |
A) 1 और 2
B) 2 और 3
C) 1 और 3
D) 12 और 3
Correct Answer: C
Solution :
उत्तर - 1 और 3 |
व्याख्या - सौर्यिक विकिरण का पृथ्वी एवं वायुमंडल द्वारा अवशोषण होता है। पृथ्वी और वायुमंडल सौर्यिक विकिरण की जिस मात्रा का अवशोषण करता है उसके बराबर मात्रा ही अन्तरिक्ष में वापस लौटा देता है। इस तरह पृथ्वी और वायुमंडल को प्राप्त सौर्यिक ऊर्जा की मात्रा एवं उत्सर्जित ऊर्जा की मात्रा बराबर होती है, इसे ऊष्मा बजट या ऊष्मा संतुलन कहते है। |
कथन 2 असत्य है। वस्तुत: पृथ्वी पर प्राप्त विकिरण की मात्रा और पार्थिव विकिरण की मात्रा में देशांतरीय नहीं अपितु अक्षांशीय भिन्नता पार्इ जाती है। सामान्यत: 38 से \[40{}^\circ \]उत्तरी और दक्षिणी अक्षांश में तापमान अधिक होता है। यहां प्राप्त सौर विकिरण की तुलना में पार्थिव विकिरण द्वारा कम मात्रा में ऊष्मा का रास होता है। |
वायुमंडल की उपरी सतह पर प्राप्त 100 इकार्इ सूर्यातप में से 35 इकाइयां धरातल पर पहुंचने से पहले ही अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाती हैं। शेष 65 इकाइयों में से 51 इकाइयां पृथ्वी द्वारा अवशोषित कर ली जाती हैं, जिसे पृथ्वी पुन: पार्थिव विकिरण के रूप में लौटा देती है। वायुमंडल कुल 48 इकाइयों का अवशोषण करता है, जिसे विकिरण द्वारा पुन: अंतरिक्ष में वापस लौटा देता है। इस प्रकार पृथ्वी जितनी ऊष्मा सूर्य से प्राप्त करती है उतनी ही मात्रा पुन: वापस लौटा देती है। |
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