निम्न में से किन संगीत घरानों का संबंध ध्रुपद शास्त्रीय शैली से |
1. दरभंगा घराना |
2. बेतिया घराना |
3. तलवंडी घराना उपरोक्त में से सत्य कथनों का चुनाव करें |
A) 1 और 2
B) 2 और 3
C) 1 और 3
D) 1, 2 और 3
Correct Answer: D
Solution :
उत्तर - (d) 1, 2 और 3 |
व्याख्या - हिंदुस्तानी शास्त्रीय परम्परा के अंर्तगत मध्यकाल में ध्रुपद गायन प्रमुख रूप बन गया था किंतु 18 वीं शताब्दी में इसमें कमी आने लगी थी। ध्रुपद गायन में मुख्यत: चार घराने प्रसिद्ध रहे हैं जिनमे दरभंगा, बेतिया, तलवंडी प्रमुख हैं - |
डागरी घराना - यह घराना डागुरवाणी का प्रयोग करता है। यह शैली अलाप पर बहुत जोर देती है। इसके संस्थापक बहराम खां डागर थे। जहीरूद्दीन डागर व फैयाजुद्दीन डागर जुगलबंदी के लिए जाने जाते है। |
दरभंगा घराना - यह घराना खंडार वाणी और गौहर वाणी गाते हैं। वे राग अलाप पर जोर देते हैं और साथ ही एक सुभेद्य आलाप पर गीतों की रचना करते हैं। |
बेतिया घराना - यह घराना कुछ अनोखी तकनीकों के साथ नौहार और खंडार वाणी शैलियों का प्रदर्शन करते हैं, जो केवल उन परिवारों में प्रशिक्षित किया जाता है जो जानते हैं। |
तलवंडी घराना - यह घराना खंडार वाणी गाते हैं, लेकिन यह घराना वर्तमान पाकिस्तान में स्थित है, अत: भारतीय संगीत की ध्रुपद गायन शैली के अंर्तगत इसको सामान्यत: नहीं रखा जाता। |
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