A) संत कनकदास
B) संत पुरन्दरदास
C) संत त्यागराज
D) संत दिक्षितर
Correct Answer: B
Solution :
उत्तर - संत पुरन्दरदास |
व्याख्या - पुरन्दर दास कर्नाटक संगीत के महान संगीतकार थे। इन्हें कर्नाटक संगीत जगत के पितामह मानते हैं। इनके कई कृतियां समकालीन तेलुगु गेयकार अन्नमचार्य से प्रेरित थे। पुरन्दर दास का जन्म कर्नाटक के शिवमोगा जिले में तीर्थहल्ली के पास क्षेमपुरा में 1484 ईसवी में हुआ था। पुरन्दर दास ने संगीत शिक्षा के लिए बुनियादी पैमाने राग मलावागोवला की रचना की और स्वरावली, अलंकार, लक्षण-गीत, गीत, प्रबंध, उगभोग, सुलादी और कृति के रूप में वर्गीकृत अभ्यास की श्रृंखला के माध्यम से कर्नाटक संगीत शिक्षण पद्धति की शुरुआत की जिसका आज भी अनुसरण किया जाता है। |
टिप्पणी - पुरन्दरदास का प्रारम्भिक नाम श्रीनिवास नायक था। 30 वर्ष की आयु में उन्होंने अपनी सारी संपत्ति दान कर दी और अपने परिवार के साथ एक चारण का जीवन व्यतीत करने के लिए घर छोड़ दिया। कालांतर में उनकी भेंट ऋषि व्यासतीर्थ से हुई, जिन्होंने 1525 में उन्हें दीक्षा देकर एक नया नाम पुरन्दरदास दिया। पुरंदरदास एक वोगायक (संगीतकार-कलाकार), एक लिक्षणकरा (संगीतज्ञ), और संगीत शैक्षणिक संस्था के संस्थापक थे। विशेष- पुरंदरदास गीत रचनाओं में साधारण दैनिक जीवन पर टिप्पणियां शामिल करने वाले पहले संगीतकार थे। पुरंदरदास ने अपने गीतों के लिए बोलचाल की भाषा के तत्वों का प्रयोग किया। पारंपरिक स्रोतों के अनुसार उनकी रचनाएं संख्या 4.77 हजार है। हालांकि वर्तमान समय मे 700 से अधिक रचनाएं ही उपलब्ध हैं। |
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