निम्न कथनों पर विचार करें - |
1. पंजाब की फुलकारी एक प्रसिद्ध चित्रकला है। |
2. थिरमा फुलकारी सफेद रंग का प्रयोग किया जाता है। |
3. दर्शन द्वार फुलकारी में जानवरों के चित्र बनाये जाते हैं। उपरोक्त में से सत्य कथनों का चुनाव करें |
A) 1 और 2
B) 2 और 3
C) 1 और 3
D) 1, 2 और 3
Correct Answer: B
Solution :
उत्तर - 2 और 3 |
व्याख्या - पहला कथन असत्य है, शेष दोंनो कथन सत्य हैं। फुलकारी चित्रकला नही बल्कि कपड़ों पर की जाने वाली फूलों की कढ़ार्इ है। जो पंजाब क्षेत्र का सर्वाधिक प्रसिद्ध हस्तशिल्प है। फुलकारी कढ़ार्इ की तकनीक को भारतीय उपमहाद्वीप लाने का श्रेय मध्य एशिया (फारस) के जाट समुदाय को जाता है। चम्बा, चूंघट बाग एवं सूबर फुलकारी कढ़ार्इ की कुछ अन्य किस्में हैं। संभवत: फारस में फुलकारी को गुलकारी कहा जाता है। इसमें खादी के वस्त्रों पर रेशमी धागों द्वारा कढ़ार्इ की जाती है। इसमें फूल-पत्तियां, चांद-सूरज आदि चित्रित रहते हैं। थिरमा फुलकारी में सफेद रंग के कपड़ों पर कढ़ार्इ की जाती है, जिसे लगभग 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं पहनती हैं।यह फुलकारी शुद्धता का द्योतक मानी जाती है। दर्शन द्वार फुलकारी गुरुद्वारों में चढार्इ जाती है। इस कढ़ार्इ में फूलों के साथ ही इंसानों एवं जानवरों के चित्र भी बनाये जाते हैं। |
टिप्पणी - बावन फुलकारी का एक विशेष प्रकार है जिसमें कपड़े पर 52 प्रकार के पैटर्न चित्रित किये जाते हैं। बाघ फुलकारी काफी घनी होती है तथा जिस कपड़े पर काम किया जाता है उसे फुलों की कढ़ार्इ से ढका जाता है। |
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